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गांव तक पहुंचा डिप्रेशन, स्वास्थ्य जांच में 63 में 44 बीमार - मानसिक स्वास्थ्य जांच शिविर

गांव हो या शहर, तनाव और अवसाद ने हर क्षेत्र में हर उम्र के बीच अपनी जगह बना ली है. इस तथ्य की पुष्टि शनिवार को झांसी जिले के मोंठ स्वास्थ्य केंद्र पर एक मेडिकल कैंप में हुई. जांच के दौरान 63 में 44 लोग मानसिक तनाव और डिप्रेशन के पीड़ित मिले.

झांसी में मानसिक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन.
झांसी में मानसिक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन.
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Published : Dec 6, 2020, 1:40 PM IST

झांसी: जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोंठ पर शनिवार को एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया गया. गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत ने कहा कि गांव के स्तर पर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से यह शिविर लगाया गया था. गांव को लोग मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक हों और समय पर लोगों को इलाज मिले, इसलिए सरकार की ओर से यह शिविर लगाया गया. विधायक ने कहा कि आजकल युवा मानसिक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. मानसिक रोग के लक्षण दिखाई देने पर युवा सीधे संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और समय से इलाज कराएं.

शिविर में झांसी से आए मनोचिकित्सक डॉ. काशीराम एवं डॉ. आर.एस. वर्मा ने 63 लोगों की जांच की, जांच में 44 लोग मानसिक स्तर पर बीमार मिले. इनमें अधिकतर मामले डिप्रेशन और तनाव के थे. एक-दो मामलों में भूत-प्रेत का भ्रम भी था. डॉ. काशीराम ने बताया कि नींद न आना, चिंता, घबराहट, तनाव में अवसाद होना, काम में मन न लगना, आत्महत्या के विचार आना, भूत-प्रेत की छाया का भ्रम होना आदि मानसिक रोग के लक्षण हैं. गर्भ में बच्चे का विकास सही नहीं होने, जन्म के समय भारी चोट लगने, आपसी संबंधों में तनाव, किसी प्रिय की मृत्यु या अलगाव, आर्थिक तंगी से परेशानी के कारण ही डिप्रेशन समेत अन्य मानसिक रोग हो सकते हैं.

डॉ आर.एस. वर्मा ने कहा कि मानसिक रोग भी अन्य रोगों के समान ही है, इसलिए इन्हें छुपाने के बजाय इलाज कराएं. शिविर में रोगियों को मुफ्त दवाइयां दी गईं. साथ ही, मानसिक रोगों से बचाव की जानकारी भी दी गई. इस मौके पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के करीब 30 कर्मचारियों को उनके कार्य के लिये प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.

झांसी: जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोंठ पर शनिवार को एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया गया. गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत ने कहा कि गांव के स्तर पर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से यह शिविर लगाया गया था. गांव को लोग मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक हों और समय पर लोगों को इलाज मिले, इसलिए सरकार की ओर से यह शिविर लगाया गया. विधायक ने कहा कि आजकल युवा मानसिक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. मानसिक रोग के लक्षण दिखाई देने पर युवा सीधे संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और समय से इलाज कराएं.

शिविर में झांसी से आए मनोचिकित्सक डॉ. काशीराम एवं डॉ. आर.एस. वर्मा ने 63 लोगों की जांच की, जांच में 44 लोग मानसिक स्तर पर बीमार मिले. इनमें अधिकतर मामले डिप्रेशन और तनाव के थे. एक-दो मामलों में भूत-प्रेत का भ्रम भी था. डॉ. काशीराम ने बताया कि नींद न आना, चिंता, घबराहट, तनाव में अवसाद होना, काम में मन न लगना, आत्महत्या के विचार आना, भूत-प्रेत की छाया का भ्रम होना आदि मानसिक रोग के लक्षण हैं. गर्भ में बच्चे का विकास सही नहीं होने, जन्म के समय भारी चोट लगने, आपसी संबंधों में तनाव, किसी प्रिय की मृत्यु या अलगाव, आर्थिक तंगी से परेशानी के कारण ही डिप्रेशन समेत अन्य मानसिक रोग हो सकते हैं.

डॉ आर.एस. वर्मा ने कहा कि मानसिक रोग भी अन्य रोगों के समान ही है, इसलिए इन्हें छुपाने के बजाय इलाज कराएं. शिविर में रोगियों को मुफ्त दवाइयां दी गईं. साथ ही, मानसिक रोगों से बचाव की जानकारी भी दी गई. इस मौके पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के करीब 30 कर्मचारियों को उनके कार्य के लिये प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.

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