झांसी: वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के समय से चली आ रही गंगा-जमुनी तहजीब (Ganga Jamuni Tehzeeb) को झांसी के वाशिंदे आज भी विरासत के तौर पर संभाले हुए हैं. धर्मों के नाम पर दंगा करवाने वालों के मंसूबों को झांसी ने हमेशा कौमी एकता की मिसाल कायम कर कामयाब नहीं होने दिया है. यही वजह है कि यहां आज तक धर्मों के नाम पर कोई फसाद नहीं हुआ. इसी के चलते सरकार के आदेशों का पालन व सांप्रदायिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए झांसी में भी विभिन्न धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों को उतारा जा रहा है.
वहीं, जनपद के बड़ा गांव कस्बे में मंदिर-मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर को उतारा गया. जिसकों लेकर धार्मिक स्थलों के प्रबंधकों ने कहा कि अब वे ऐसे साउंड का उपयोग करेंगे, जिससे आवाज परिसर के बाहर न जाए. देश के कई हिस्सों में लाउडस्पीकर पर जारी विवाद के दरमियान उत्तर प्रदेश की हुकूमत ने नया आदेश जारी किया है. इस आदेश के मुताबिक बिना इजाज़त अब लाउडस्पीकर और माइक नहीं लग पाएंगे.
वहीं, जो लाउडस्पीकर और माइक पहले से लगे हैं, उनके लिए शर्त रखी गई है कि उनकी आवाज़ परिसर के बाहर नहीं आनी चाहिए. झांसी के बड़ा गांव स्थित सुन्नी जामा मस्जिद से लाउडस्पीकर उतारे गए तो दूसरी ओर रामजानकी मंदिर से भी प्रबंधकों ने लाउडस्पीकर उतार दिए. मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद ताज आलम ने बताया कि लाउडस्पीकरों को उतारने के लिए कहा गया था. ऐसे में हमने सरकारी आदेशों का पालन करते हुए लाउडस्पीकरों को उतार दिया है.
उन्होंने कहा कि अब हम ऐसे माइक व लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल करेंगे, जिसकी आवाज मस्जिद परिसर के बाहर न जाए. वहीं, राम जानकी मंदिर के महंत श्याम मोहन दास ने कहा कि हम दोनों समुदाय के लोगों ने पहले बैठकर आपसी बातचीत की और उसके बाद हमने यह निर्णय लिया कि सरकार की ओर से दिए गए आदेश की हम पालन करते हुए अपने मंदिर-मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरेंगे और इसी के तहत हमे आज लाउडस्पीकरों को उतारने का काम किया है.
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