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54 करोड़ खर्च, लेकिन नहीं हो सका लक्ष्मी तालाब का सौंदर्यीकरण

झांसी के ऐतिहासिक लक्ष्मीतालाब के सौंदर्यीकरण के लिए सरकार ने 54 करोड़ रुपये का बजट दिया था, लेकिन पूरा बजट खत्म होने के बाद यह योजना अधर में अटकी है.

नहीं पूरा हुआ लक्ष्मी तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य,beautification of laxmitalab is not completed
नहीं पूरा हुआ लक्ष्मी तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य.
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Published : Mar 17, 2020, 11:16 AM IST

Updated : Mar 17, 2020, 12:04 PM IST

झांसी: ऐतिहासिक लक्ष्मी तालाब के सौंदर्यीकरण और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना फिलहाल अधर में लटक गई है. इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने 54 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन पूरी धनराशि खर्च होने के बाद भी काम आधे से भी कम हो सका है. धनराशि खत्म हो जाने के कारण अब बड़ा सवाल यह है कि शेष काम कब पूरा किया जाएगा.

देखें वीडियो.

तालाब के बड़े हिस्से पर कब्जा
दावा किया जाता है कि लक्ष्मी तालाब किसी समय में 82 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ था. जिला प्रशासन और नगर निगम की उदासीनता के कारण तालाब के आधे से अधिक हिस्से पर भूमाफियाओं और बिल्डर्स ने कब्जा कर लिया. अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शेष बचे तालाब को किसी तरह सुरक्षित और संरक्षित कर उसे विकसित कर लिया जाए.

तालाब का है ऐतिहासिक महत्व
लक्ष्मी तालाब का काफी ऐतिहासिक महत्व है. इस तालाब के निकट लक्ष्मी मन्दिर स्थित है. मान्यता है कि रानी लक्ष्मीबाई इस मंदिर में दर्शन करने आती थीं. इसके साथ ही तालाब के निकट राजा गंगाधर राव की समाधि स्थल है. कई अन्य ऐतिहासिक महत्व के स्थल इस तालाब के आसपास स्थित हैं और इसे विकसित कर पर्यटक स्थल बनाया जा सकता है.

54 करोड़ रुपये हो गए खर्च
तालाब के गहरीकरण और इसके सौंदर्यीकरण के लिए सरकार ने 54 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत तालाब को गहरा करना, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने और तालाब के चारों ओर घूमने के लिए मार्ग बनाने का काम सहित कई अन्य काम होने थे, लेकिन पूरी धनराशि खर्च हो जाने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका और इसके बाद से जल निगम पर सवाल उठने लगे हैं.

यह भी पढ़ें- झांसी के इस कस्बे को माना जाता है होली की उद्गम स्थली, मौजूद हैं कई प्रमाण

स्थानीय लोगों में निराशा
स्थानीय निवासी शोभाराम वाल्मीकि कहते हैं कि तालाब में अब पानी ही नहीं बचा है. पहले तालाब 82 एकड़ में फैला था, लेकिन तालाब की काफी जगह पर आसपास के लोगों कब्जा कर लिया है. यहां पर आवारा जानवर घूमते रहते है.

विधायक ने लगाया धांधली का आरोप
भारतीय जनता पार्टी के बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा कहते हैं कि लक्ष्मी तालाब की परियोजना महत्वाकांक्षी योजना थी. यह योजना झांसी के लिए किसी वरदान की तरह साबित होती. तालाब के सुंदरीकरण के लिए जो बजट आया था, उसमें गड़बड़ी हुई है. इस योजना से संबंधित कुछ अधिकारियों की मंशा और नीयत संदिग्ध प्रतीत होती है. इसके खिलाफ शिकायत की गई है, इस योजना में हुई गड़बड़ियों की जांच होगी.

यह भी पढ़ें- 500 साल पुराने इस हनुमान मंदिर में पूरी होती हैं मुरादें

नगर निगम बजट देने को तैयार
मेयर रामतीर्थ सिंघल बताते हैं कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो गया है. सौंदर्यीकरण के तहत पार्क, ओपन थियेटर आदि बनाने के लिए जल निगम बजट की कमी की बात कह रहा है. नगर निगम चाहता है कि शेष काम के लिए जल निगम प्रदेश सरकार से बजट न लेकर अपनी योजना नगर निगम के सामने रखे. हम स्मार्ट सिटी के तहत बजट उपलब्ध कराकर काम को पूरा कराएंगे.

झांसी: ऐतिहासिक लक्ष्मी तालाब के सौंदर्यीकरण और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना फिलहाल अधर में लटक गई है. इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने 54 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन पूरी धनराशि खर्च होने के बाद भी काम आधे से भी कम हो सका है. धनराशि खत्म हो जाने के कारण अब बड़ा सवाल यह है कि शेष काम कब पूरा किया जाएगा.

देखें वीडियो.

तालाब के बड़े हिस्से पर कब्जा
दावा किया जाता है कि लक्ष्मी तालाब किसी समय में 82 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ था. जिला प्रशासन और नगर निगम की उदासीनता के कारण तालाब के आधे से अधिक हिस्से पर भूमाफियाओं और बिल्डर्स ने कब्जा कर लिया. अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शेष बचे तालाब को किसी तरह सुरक्षित और संरक्षित कर उसे विकसित कर लिया जाए.

तालाब का है ऐतिहासिक महत्व
लक्ष्मी तालाब का काफी ऐतिहासिक महत्व है. इस तालाब के निकट लक्ष्मी मन्दिर स्थित है. मान्यता है कि रानी लक्ष्मीबाई इस मंदिर में दर्शन करने आती थीं. इसके साथ ही तालाब के निकट राजा गंगाधर राव की समाधि स्थल है. कई अन्य ऐतिहासिक महत्व के स्थल इस तालाब के आसपास स्थित हैं और इसे विकसित कर पर्यटक स्थल बनाया जा सकता है.

54 करोड़ रुपये हो गए खर्च
तालाब के गहरीकरण और इसके सौंदर्यीकरण के लिए सरकार ने 54 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत तालाब को गहरा करना, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने और तालाब के चारों ओर घूमने के लिए मार्ग बनाने का काम सहित कई अन्य काम होने थे, लेकिन पूरी धनराशि खर्च हो जाने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका और इसके बाद से जल निगम पर सवाल उठने लगे हैं.

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स्थानीय लोगों में निराशा
स्थानीय निवासी शोभाराम वाल्मीकि कहते हैं कि तालाब में अब पानी ही नहीं बचा है. पहले तालाब 82 एकड़ में फैला था, लेकिन तालाब की काफी जगह पर आसपास के लोगों कब्जा कर लिया है. यहां पर आवारा जानवर घूमते रहते है.

विधायक ने लगाया धांधली का आरोप
भारतीय जनता पार्टी के बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा कहते हैं कि लक्ष्मी तालाब की परियोजना महत्वाकांक्षी योजना थी. यह योजना झांसी के लिए किसी वरदान की तरह साबित होती. तालाब के सुंदरीकरण के लिए जो बजट आया था, उसमें गड़बड़ी हुई है. इस योजना से संबंधित कुछ अधिकारियों की मंशा और नीयत संदिग्ध प्रतीत होती है. इसके खिलाफ शिकायत की गई है, इस योजना में हुई गड़बड़ियों की जांच होगी.

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नगर निगम बजट देने को तैयार
मेयर रामतीर्थ सिंघल बताते हैं कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो गया है. सौंदर्यीकरण के तहत पार्क, ओपन थियेटर आदि बनाने के लिए जल निगम बजट की कमी की बात कह रहा है. नगर निगम चाहता है कि शेष काम के लिए जल निगम प्रदेश सरकार से बजट न लेकर अपनी योजना नगर निगम के सामने रखे. हम स्मार्ट सिटी के तहत बजट उपलब्ध कराकर काम को पूरा कराएंगे.

Last Updated : Mar 17, 2020, 12:04 PM IST
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