झांसी : बुंदेलखंड राज्य निर्माण की लड़ाई कई वर्षों से लड़ी जा रही है. आजादी के बाद 12 मार्च 1948 को पृथक बुंदेलखंड राज्य बनाया गया. राज्य की राजधानी नौगांव को बनाया गया था. मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य कामता प्रसाद सक्सेना को मिला, लेकिन बाद में बुंदेलखंड राज्य को समाप्त कर इसके दो भाग कर दिए गए. सात जिले उत्तर प्रदेश में और सात मध्य प्रदेश के खाते में चले गए.
बुंदेलखंड क्रांति दल के अध्यक्ष कुंवर सत्येंद्र पाल सिंह बताते हैं कि देश की आजादी से पहले 35 रियासतों के राजाओं से यह अनुबंध किया गया था कि इनको मिलाकर जो राज्य बनेगा उसका नाम बुंदेलखंड रखा जाएगा. आगे चलकर ऐसा ही हुआ. 12 मार्च 1948 को बुंदेलखंड के नाम से राज्य बनाया गया, जिसका मुख्यालय वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित नौगांव रहा. इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि नौगांव में आज भी पोस्ट ऑफिस और स्टेट बैंक में बुंदेलखंड नौगांव की मोहर इस्तेमाल की जाती है. 31 अक्टूबर 1956 तक बुंदेलखंड राज्य रहा.
उन्होंने बताया कि एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन हुआ. उसी दिन बुंदेलखंड को आधा यूपी और आधा एमपी में मिला दिया गया. हमारे साथ उस समय केंद्र सरकार ने धोखा किया था. पृथक बुंदेलखंड राज्य की लड़ाई लड़ रहे सभी संगठनों की कांग्रेस और बीजेपी से समान दूरी है. जहां कांग्रेस ने बुंदेलखंड राज्य को बना बनाया तोड़ दिया. वहीं, बीजेपी ने वादा करने के बाद भी बुंदेलखंड पृथक राज्य नहीं बनाया.