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स्मार्ट सिटी झांसी में कई सालों से पानी की समस्या, महिलाओं को लेना पड़ता है मायके और रिश्तेदारों का सहारा

झांसी स्मार्ट सिटी में पानी की समस्या के कारण लोगों का हाल बुरा है. महिलाओं को कपड़ें धोने के लिए अपने मायके या किसी रिश्तेदार के यहां जाना पड़ता है. यह समस्या कई सालों से बनी हुई है. पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट.

झांसी में पानी की समस्या
झांसी में पानी की समस्या
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Published : Nov 1, 2022, 10:03 AM IST

झांसी: स्मार्ट सिटी बन जाने के बाद भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां आज भी कई सालों से पानी की समस्या बनी हुई. कई वार्ड तो ऐसे हैं कि पहले जहां कभी 24 घंटे में 20 मिनट पानी आता था. लेकिन, पिछले कई महीनों से नलों में सिर्फ 8 मिनट ही पानी आता है. इसकी शिकायत यह लोग संबंधित जल संस्थान विभाग में कई बार बड़े अधिकारियों के सामने कर चुके हैं. लेकिन, आज भी इनकी समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया. इसके चलते वार्ड नंबर 8 की महिलाओं ने मिशन कंपाउंड स्थित जल संस्थान के अधिकारियों का घेराव किया.

महानगर झांसी में 60 वार्ड आते हैं. इनमें से कई वार्डों में पानी की भयंकर समस्या पिछले कई सालों से बनी हुई है. इस समस्या से जूझ रहे लोग कई बार अपनी शिकायत लेकर जनप्रतिनिधियों और जल संस्थान के अधिकारियों के पास भी जा चुके हैं. इनको सभी की तरफ से आश्वासन मिला. लेकिन, इनके नलों में पानी नहीं आया. इसके चलते वार्ड नंबर 8 खजूर बाग, नई बस्ती में पानी के लिए दिनभर मसक्वत करती महिलाओं ने इकट्ठा होकर जलसंस्थान के अधिकारियों का घेराव किया.

पानी की समस्या को लेकर महिलाओं और सहायक अभियंता से बातचीत.

पानी की समस्या से परेशान कविता श्रीवास्तव ने समस्या बताते हुए कहा कि हमारे इलाके में पानी का जलस्तर बहुत कम है, जिससे यहां लगे हुए हैंडपंप में भी पानी नहीं आता. इस कारण इनको हर सप्ताह घर के कपड़े इकठ्ठा करके अपने मायके कपड़े धोने के लिए जाना पड़ता है. वहीं, जिनका मायका पास नहीं है वह अपने आसपास के रिश्तेदारों के यहां कपड़े धोने के लिए हर सप्ताह जाती हैं. इसके लिए उनको अपने रिश्तेदारों को एक दिन पहले बताना पड़ता है कि वह कल कपड़े धोने के लिए आएंगी. इस तरह रिश्तेदारों के यहां कपड़े धोने का सिलसिला कई सालों से चल रहा है. लेकिन, आज तक इनकी इस समस्या का समाधान किसी के द्वारा नहीं किया गया.

पानी की समस्या से जूझती महिला सावित्री ने बताया कि पानी तो नहीं आ रहा. लेकिन, पानी का बिल जरूर समय पर और 13 सौ की जगह 4 हजार आने लगा है. लेकिन, अब इन्होंने ठान लिया है कि जल नहीं तो अब जलकर भी नहीं. जिनके पास पैसा है वह लोग पानी के टैंकर मंगाकर गुजारा कर लेते हैं. टैंकर भी 6 सौ से 7 सौ के बीच आता है. इनकी समस्या सुनने आए सहायक अभियंता प्रदीप सिंह जादौन ने बताया कि इनके यहां पानी की समस्या कुछ दिनों से आ रही है. इसको संज्ञान में ले लिया है और 15 से 20 दिन में इनके इलाके में पानी की सप्लाई का जो समय कम था उसको बढ़ा दिया जाएगा. कुछ जगहों की समस्या को दूर कर दिया गया है. कुछ रह गई हैं, उनको भी जल्द दूर कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: वायरल और डेंगू की वजह से अस्पतालों में बढ़ी भीड़, जांच के लिए मरीजों को करनी पड़ रही कड़ी मशक्कत

गौरतलब है कि इस इलाके में ज्यादातर लोग गरीब तबके के रहते हैं. आलम ये है यहां के लोगों को अपने परिवार का पेट भरने के लिए दिन में मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है. इसके बाद पीने के पानी के लिए रात-रात भर जागकर दूर से ठेले पर पानी ढोना पड़ता है. सरकार की तरफ से चलाई जा रही हर घर नल जल योजना का लाभ भी इन इलाके के लोगों को नहीं मिल सका. लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

झांसी: स्मार्ट सिटी बन जाने के बाद भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां आज भी कई सालों से पानी की समस्या बनी हुई. कई वार्ड तो ऐसे हैं कि पहले जहां कभी 24 घंटे में 20 मिनट पानी आता था. लेकिन, पिछले कई महीनों से नलों में सिर्फ 8 मिनट ही पानी आता है. इसकी शिकायत यह लोग संबंधित जल संस्थान विभाग में कई बार बड़े अधिकारियों के सामने कर चुके हैं. लेकिन, आज भी इनकी समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया. इसके चलते वार्ड नंबर 8 की महिलाओं ने मिशन कंपाउंड स्थित जल संस्थान के अधिकारियों का घेराव किया.

महानगर झांसी में 60 वार्ड आते हैं. इनमें से कई वार्डों में पानी की भयंकर समस्या पिछले कई सालों से बनी हुई है. इस समस्या से जूझ रहे लोग कई बार अपनी शिकायत लेकर जनप्रतिनिधियों और जल संस्थान के अधिकारियों के पास भी जा चुके हैं. इनको सभी की तरफ से आश्वासन मिला. लेकिन, इनके नलों में पानी नहीं आया. इसके चलते वार्ड नंबर 8 खजूर बाग, नई बस्ती में पानी के लिए दिनभर मसक्वत करती महिलाओं ने इकट्ठा होकर जलसंस्थान के अधिकारियों का घेराव किया.

पानी की समस्या को लेकर महिलाओं और सहायक अभियंता से बातचीत.

पानी की समस्या से परेशान कविता श्रीवास्तव ने समस्या बताते हुए कहा कि हमारे इलाके में पानी का जलस्तर बहुत कम है, जिससे यहां लगे हुए हैंडपंप में भी पानी नहीं आता. इस कारण इनको हर सप्ताह घर के कपड़े इकठ्ठा करके अपने मायके कपड़े धोने के लिए जाना पड़ता है. वहीं, जिनका मायका पास नहीं है वह अपने आसपास के रिश्तेदारों के यहां कपड़े धोने के लिए हर सप्ताह जाती हैं. इसके लिए उनको अपने रिश्तेदारों को एक दिन पहले बताना पड़ता है कि वह कल कपड़े धोने के लिए आएंगी. इस तरह रिश्तेदारों के यहां कपड़े धोने का सिलसिला कई सालों से चल रहा है. लेकिन, आज तक इनकी इस समस्या का समाधान किसी के द्वारा नहीं किया गया.

पानी की समस्या से जूझती महिला सावित्री ने बताया कि पानी तो नहीं आ रहा. लेकिन, पानी का बिल जरूर समय पर और 13 सौ की जगह 4 हजार आने लगा है. लेकिन, अब इन्होंने ठान लिया है कि जल नहीं तो अब जलकर भी नहीं. जिनके पास पैसा है वह लोग पानी के टैंकर मंगाकर गुजारा कर लेते हैं. टैंकर भी 6 सौ से 7 सौ के बीच आता है. इनकी समस्या सुनने आए सहायक अभियंता प्रदीप सिंह जादौन ने बताया कि इनके यहां पानी की समस्या कुछ दिनों से आ रही है. इसको संज्ञान में ले लिया है और 15 से 20 दिन में इनके इलाके में पानी की सप्लाई का जो समय कम था उसको बढ़ा दिया जाएगा. कुछ जगहों की समस्या को दूर कर दिया गया है. कुछ रह गई हैं, उनको भी जल्द दूर कर दिया जाएगा.

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गौरतलब है कि इस इलाके में ज्यादातर लोग गरीब तबके के रहते हैं. आलम ये है यहां के लोगों को अपने परिवार का पेट भरने के लिए दिन में मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है. इसके बाद पीने के पानी के लिए रात-रात भर जागकर दूर से ठेले पर पानी ढोना पड़ता है. सरकार की तरफ से चलाई जा रही हर घर नल जल योजना का लाभ भी इन इलाके के लोगों को नहीं मिल सका. लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

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