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झांसी रेलवे मंडल ने एक साल में पैदा की 12 लाख यूनिट सोलर बिजली

सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के प्रयासों में झांसी मण्डल रेलवे ने एक साल में बारह लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन कर लगभग 37 लाख रुपये बचाने में सफलता हासिल की है.

झांसी मंडल रेलवे.
झांसी मंडल रेलवे.
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Published : Jul 16, 2021, 1:09 PM IST

झांसीः सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के प्रयासों में झांसी मण्डल रेलवे ने एक साल में बारह लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन कर लगभग 37 लाख रुपये बचाने में सफलता हासिल की है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह उत्पादन काफी अधिक है. अब रेलवे ने इस प्रयोग की सफलता के बाद वर्तमान वित्तीय वर्ष में कई नए तरह के प्रयोग भी सोलर एनर्जी को लेकर शुरू किए हैं. रेलवे की इस परियोजना में दिलचस्पी इसलिए भी अधिक है, क्योंकि अधिकांश संयंत्र पीपीपी मॉडल पर लगे हैं, जिनमें रेलवे को किसी भी तरह का खर्च नहीं उठाना पड़ा है.

सभी प्रमुख स्टेशनों पर प्लांट स्थापित

रेलवे अफसरों के मुताबिक झांसी मण्डल में वर्तमान में 1.205 मेगा वाट का सौर ऊर्जा संयंत्र पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया गया है. इसकी स्थापना से लेकर रखरखाव तक में रेलवे की ओर से कोई धनराशि खर्च नहीं हो रही है. झांसी स्थित डीआरएम कार्यालय में अलग-अलग स्थानों पर लगे सोलर पैनलों की क्षमता 220 किलोवाट है. मंडलीय रेलवे चिकित्सालय में 55.44 किलो वाट का और इलेक्ट्रिक लोको शेड में 55.50 किलोवाट का सोलर पैनल स्थापित किया गया है. इसके अलावा ग्वालियर स्टेशन पर 35.2 किलोवाट, डबरा स्टेशन पर 24.96 किलोवाट, मुरैना स्टेशन पर 19.86 किलोवाट, दतिया स्टेशन पर 10.08 किलोवाट, टीकमगढ़ स्टेशन पर 24.96 किलोवाट, खजुराहो स्टेशन पर 43.9 किलोवाट, छतरपुर स्टेशन पर 49.92 किलोवाट, सरकनपुर स्टेशन पर 24.96 किलोवाट और बिरलानगर स्टेशन पर 35.2 किलोवाट के पैनल लगाए गए हैं.

इसे भी पढ़ें- जमीन पर नहीं बही 'हर घर जल' योजना, पेयजल संकट से जूझ रहे लोग

कार्बन उत्सर्जन में कमी

झांसी मण्डल में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 12.24 लाख यूनिट हरित उर्जा उत्पन्न हुई है और इससे लगभग 36.92 लाख रुपये राजस्व की बचत हुई है. सोलर संयंत्र से उत्पन्न होने वाले हरित उर्जा के कारण पर्यावरण से लगभग 0.98 किलोटन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5.2 लाख यूनिट हरित ऊर्जा उत्पन्न हुई थी और 15.68 लाख रुपये राजस्व की बचत हुई थी. साथ ही पर्यावरण से लगभग 0.41 किलोटन कार्बन उत्सर्जन में कमी हुई थी. झांसी मण्डल में कुल नान-ट्रैक्शन विद्युत खपत का लगभग 5 प्रतिशत सौर ऊर्जा की मदद से पूरा किया जा रहा है.

बिना खर्च स्थापित हुए सोलर पैनल

झांसी मण्डल के जन सम्पर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि सोलर ऊर्जा से कार्बन उत्सर्जन कम होता है. रेलवे सोलर ऊर्जा पर काफी ध्यान दे रहा है, जिससे हम हरित ऊर्जा का निर्माण कर सकें. हमने सोलर पैनल पर कोई खर्च नहीं किया है. कहीं पीपीपी मॉडल पर तो कहीं भारत सरकार की संस्थाओं से हमे पैनल उपलब्ध कराए गए हैं. कहीं पर यह बिजली ग्रिड में जाती है और कहीं हमें इससे राजस्व की बचत होती है. सोलर ऊर्जा की उपयोगिता को बढ़ाने पर इस समय रेलवे मुख्य रूप से ध्यान दे रहा है.

झांसीः सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के प्रयासों में झांसी मण्डल रेलवे ने एक साल में बारह लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन कर लगभग 37 लाख रुपये बचाने में सफलता हासिल की है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह उत्पादन काफी अधिक है. अब रेलवे ने इस प्रयोग की सफलता के बाद वर्तमान वित्तीय वर्ष में कई नए तरह के प्रयोग भी सोलर एनर्जी को लेकर शुरू किए हैं. रेलवे की इस परियोजना में दिलचस्पी इसलिए भी अधिक है, क्योंकि अधिकांश संयंत्र पीपीपी मॉडल पर लगे हैं, जिनमें रेलवे को किसी भी तरह का खर्च नहीं उठाना पड़ा है.

सभी प्रमुख स्टेशनों पर प्लांट स्थापित

रेलवे अफसरों के मुताबिक झांसी मण्डल में वर्तमान में 1.205 मेगा वाट का सौर ऊर्जा संयंत्र पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया गया है. इसकी स्थापना से लेकर रखरखाव तक में रेलवे की ओर से कोई धनराशि खर्च नहीं हो रही है. झांसी स्थित डीआरएम कार्यालय में अलग-अलग स्थानों पर लगे सोलर पैनलों की क्षमता 220 किलोवाट है. मंडलीय रेलवे चिकित्सालय में 55.44 किलो वाट का और इलेक्ट्रिक लोको शेड में 55.50 किलोवाट का सोलर पैनल स्थापित किया गया है. इसके अलावा ग्वालियर स्टेशन पर 35.2 किलोवाट, डबरा स्टेशन पर 24.96 किलोवाट, मुरैना स्टेशन पर 19.86 किलोवाट, दतिया स्टेशन पर 10.08 किलोवाट, टीकमगढ़ स्टेशन पर 24.96 किलोवाट, खजुराहो स्टेशन पर 43.9 किलोवाट, छतरपुर स्टेशन पर 49.92 किलोवाट, सरकनपुर स्टेशन पर 24.96 किलोवाट और बिरलानगर स्टेशन पर 35.2 किलोवाट के पैनल लगाए गए हैं.

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कार्बन उत्सर्जन में कमी

झांसी मण्डल में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 12.24 लाख यूनिट हरित उर्जा उत्पन्न हुई है और इससे लगभग 36.92 लाख रुपये राजस्व की बचत हुई है. सोलर संयंत्र से उत्पन्न होने वाले हरित उर्जा के कारण पर्यावरण से लगभग 0.98 किलोटन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5.2 लाख यूनिट हरित ऊर्जा उत्पन्न हुई थी और 15.68 लाख रुपये राजस्व की बचत हुई थी. साथ ही पर्यावरण से लगभग 0.41 किलोटन कार्बन उत्सर्जन में कमी हुई थी. झांसी मण्डल में कुल नान-ट्रैक्शन विद्युत खपत का लगभग 5 प्रतिशत सौर ऊर्जा की मदद से पूरा किया जा रहा है.

बिना खर्च स्थापित हुए सोलर पैनल

झांसी मण्डल के जन सम्पर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि सोलर ऊर्जा से कार्बन उत्सर्जन कम होता है. रेलवे सोलर ऊर्जा पर काफी ध्यान दे रहा है, जिससे हम हरित ऊर्जा का निर्माण कर सकें. हमने सोलर पैनल पर कोई खर्च नहीं किया है. कहीं पीपीपी मॉडल पर तो कहीं भारत सरकार की संस्थाओं से हमे पैनल उपलब्ध कराए गए हैं. कहीं पर यह बिजली ग्रिड में जाती है और कहीं हमें इससे राजस्व की बचत होती है. सोलर ऊर्जा की उपयोगिता को बढ़ाने पर इस समय रेलवे मुख्य रूप से ध्यान दे रहा है.

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