झांसी: स्वास्थ्य महकमे का एक बड़ा कारनामा सामने आया है. जहां ऐसे अफसर को गबन जांच की जिम्मेदारी दी गई है, जिसपर खुद घोटाले का आरोप लगा है. ऐसे में ये मुद्दा चर्चा का विषय बना है कि जिस अफसर पर खुद घोटाले का आरोप लगा हो ऐसे अफसर को घोटाले की जांच का जिम्मा कैसे दिया जा सकता है.
दरअसल, जिला अस्पताल के कनिष्ठ सहायक दिनेश कुमार रायकवार को विभागीय जांच में रोगी कल्याण समिति का 2,48,325 रुपये गबन करने का दोषी पाया गया था. इस पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रशासन ने कर्मचारी को सस्पेंड कर एफआईआर और रिकवरी के आदेश जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक को जारी किए. इसके साथ ही इन आरोपों की जांच के लिए झांसी के मुख्य विकास अधिकारी और झांसी मण्डल दो अफसरों की टीम बनाकर अपर निदेशक स्वास्थ्य को 22 जून को संयुक्त रूप से जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया.
जांच टीम में शामिल झांसी मण्डल की अपर निदेशक डॉ. अल्पना बरतारिया को उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दिया है. उन पर जालौन जनपद में सीएमओ रहने के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण, मरम्मत आदि कामों में अनियमितता के आरोप लगे थे और कमिश्नर की जांच में उन्हें दोषी पाया गया था. उन्हें शासन ने 27 मई को चार्जशीट देते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की है और जांच अधिकारी निदेशक प्रशासन को नामित किया गया है.
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भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीटेड और विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहीं अफसर को किसी कर्मचारी के गबन के मामले में जांच अधिकारी बनाये जाने पर सवाल खड़े हो गए हैं. इस मामले में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रशासन डॉ. राजा गणपति आर से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों, उसे किसी ऐसे मामले की जांच के लिए अधिकारी नहीं बनाया जा सकता. अभी यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है. मामला संज्ञान में आने पर जांच अधिकारी बदल दिया जायेगा.