झांसी: बुन्देलखंड विश्वविद्यालय सभागार में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में राज्यपाल राम नाईक के साथ सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे अतिथि के रूप में मौजूद रहे. इस पुस्तक के संपादक प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे, सह संपादक प्रोफेसर श्रीराम अग्रवाल और डॉ. पुनीत बिसारिया है. वहीं पुस्तक में झांसी के इतिहास, संस्कृति, लोककला, साहित्य, संस्कृति सहित अन्य विषयों पर विभिन्न लेखकों के आलेख शामिल है.
झांसी की रानी कहने के बाद 1857 की याद आ जाती है. 1857 का जो भी इतिहास पढ़ाया गया, उसे अंग्रेजों ने लिखा था. यही इतिहास बदलने का काम वीर सावरकर ने किया. तथ्यों को सामने रखकर उन्होंने बताया कि यह बगावत नहीं थी, बल्कि देश का पहला स्वातंत्र्य समर था. ऐसे में जिन्होंने बलिदान दिया है, उनमें सबसे आगे नाम रानी लक्ष्मीबाई का आता है.
राम नाईक, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश