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बुन्देलखण्ड विवि के पूर्व कुलपति ने जैविक कृषि प्रक्षेत्र का लिया जायजा - jhansi news

बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अविनाश चंद्र पाण्डेय ने मंगलवार को बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के करगुआं स्थित जैविक कृषि प्रक्षेत्र का भ्रमण किया. उन्होंने प्रक्षेत्र पर चल रहे शोध एवं प्रसार कार्यों की सराहना की.

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय
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Published : Jan 19, 2021, 7:52 PM IST

झांसी: बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वर्तमान में अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर अविनाश चंद्र पाण्डेय ने मंगलवार को बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के करगुआं स्थित जैविक कृषि प्रक्षेत्र का भ्रमण किया. उन्होंने प्रक्षेत्र पर चल रहे शोध एवं प्रसार कार्यों की सराहना की.

इस अवसर पर उपस्थित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर अविनाश चंद्र पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोगों के कारण विश्व में खाद्यान्न उत्पादन में तो निश्चित ही बढ़ोतरी हुई है, लेकिन खाद्यान्न की गुणवत्ता कम होती जा रही है. उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि कृषि वैज्ञानिकों को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए कि अधिकाधिक गुणवत्तापूर्ण फसलों का अधिकाधिक उत्पादन हो सके. जैविक विधियों के साथ प्रयेाग कर यह लक्ष्य पाया जा सकता है.

इस अवसर पर कृषि विज्ञान संस्थान के अकादमिक निदेशक ने पूर्व कुलपति को बताया कि इस जैविक कृषि प्रक्षेत्र में परास्नातक व शोध छात्र-छात्राएं निरन्तर कार्यरत रहते हैं. विश्वविद्यालय के जैविक क्षेत्र के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस संबंध में डॉ. संतोष पांडे व डॉ. अवनीश दुबे को निर्देशित किया जा चुका है.

झांसी: बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वर्तमान में अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर अविनाश चंद्र पाण्डेय ने मंगलवार को बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के करगुआं स्थित जैविक कृषि प्रक्षेत्र का भ्रमण किया. उन्होंने प्रक्षेत्र पर चल रहे शोध एवं प्रसार कार्यों की सराहना की.

इस अवसर पर उपस्थित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर अविनाश चंद्र पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोगों के कारण विश्व में खाद्यान्न उत्पादन में तो निश्चित ही बढ़ोतरी हुई है, लेकिन खाद्यान्न की गुणवत्ता कम होती जा रही है. उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि कृषि वैज्ञानिकों को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए कि अधिकाधिक गुणवत्तापूर्ण फसलों का अधिकाधिक उत्पादन हो सके. जैविक विधियों के साथ प्रयेाग कर यह लक्ष्य पाया जा सकता है.

इस अवसर पर कृषि विज्ञान संस्थान के अकादमिक निदेशक ने पूर्व कुलपति को बताया कि इस जैविक कृषि प्रक्षेत्र में परास्नातक व शोध छात्र-छात्राएं निरन्तर कार्यरत रहते हैं. विश्वविद्यालय के जैविक क्षेत्र के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस संबंध में डॉ. संतोष पांडे व डॉ. अवनीश दुबे को निर्देशित किया जा चुका है.

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