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झांसी: ठप हुई पाइपलाइन परियोजनाएं, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा पेयजल संकट

ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण गर्मी ने पेयजल संकट को और बढ़ा दिया है. इन क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई हैं. इससे लोगों को पानी के लिए खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jun 10, 2019, 12:54 PM IST

गर्मी से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा पेयजल संकट.

झांसी: भीषण गर्मी ने बुंदेलखंड में लोगों के लिए पेयजल संकट को और बढ़ा दिया है. इस भीषण गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप पड़ी हुई हैं. इसके अलावा कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे मुश्किल से ही लोगों को पीने का पानी मिल पा रहा है. जिससे लोगों को हर रोज पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

गर्मी से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा पेयजल संकट.

गर्मी में लोगों की बढ़ी परेशानी

  • ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं, इनमें से 9 ऐसी हैं जो पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं.
  • कुछ पाइपलाइन परियोजनाएं आंशिक रूप से ठप पड़ी है, वहीं कुछ 80 प्रतिशत काम कर रही हैं.
  • कुछ जगह नलकूप में दिक्कत है, तो कुछ जगहों पर पाइप लाइन में लीकेज है.
  • प्रशासन का दावा है कि इन्हें ठीक कराने की कोशिश हो रही है.
  • वहीं ग्रामीण हर रोज कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर जल संकट का समाधान करने की मांग कर रहे हैं.

'गांव में बनी टंकी का पानी नियमित रूप से नहीं आता, कभी-कभी तो चार-चार दिन तक पानी नहीं आता है. यह पानी-पीने लायक तो बिल्कुल ही नहीं है'.
- रमेश, ग्रामीण

'ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें से कुछ खराब हैं उनके मरम्मत का कार्य चल रहा है. विकास भवन में ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं से जुडी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. कलेक्ट्रेट, जल संस्थान, जल निगम और अन्य जगहों पर कंट्रोल रूम बनाये गए हैं. कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली स्थाई या अस्थाई समस्याओं के चौबीस घंटे के भीतर निराकरण की कोशिश की जाती है'.
- निखिल टीकाराम फुंडे, मुख्य विकास अधिकारी

झांसी: भीषण गर्मी ने बुंदेलखंड में लोगों के लिए पेयजल संकट को और बढ़ा दिया है. इस भीषण गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप पड़ी हुई हैं. इसके अलावा कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे मुश्किल से ही लोगों को पीने का पानी मिल पा रहा है. जिससे लोगों को हर रोज पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

गर्मी से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा पेयजल संकट.

गर्मी में लोगों की बढ़ी परेशानी

  • ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं, इनमें से 9 ऐसी हैं जो पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं.
  • कुछ पाइपलाइन परियोजनाएं आंशिक रूप से ठप पड़ी है, वहीं कुछ 80 प्रतिशत काम कर रही हैं.
  • कुछ जगह नलकूप में दिक्कत है, तो कुछ जगहों पर पाइप लाइन में लीकेज है.
  • प्रशासन का दावा है कि इन्हें ठीक कराने की कोशिश हो रही है.
  • वहीं ग्रामीण हर रोज कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर जल संकट का समाधान करने की मांग कर रहे हैं.

'गांव में बनी टंकी का पानी नियमित रूप से नहीं आता, कभी-कभी तो चार-चार दिन तक पानी नहीं आता है. यह पानी-पीने लायक तो बिल्कुल ही नहीं है'.
- रमेश, ग्रामीण

'ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें से कुछ खराब हैं उनके मरम्मत का कार्य चल रहा है. विकास भवन में ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं से जुडी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. कलेक्ट्रेट, जल संस्थान, जल निगम और अन्य जगहों पर कंट्रोल रूम बनाये गए हैं. कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली स्थाई या अस्थाई समस्याओं के चौबीस घंटे के भीतर निराकरण की कोशिश की जाती है'.
- निखिल टीकाराम फुंडे, मुख्य विकास अधिकारी

Intro:झांसी। भीषण गर्मी में बुंदेलखंड में पेयजल संकट ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण लोगों की परेशानी इस मौसम में और अधिक बढ़ गई है। झांसी जनपद में इस भीषण गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप पड़ी हुई हैं। इसके अलावा कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे मुश्किल से ही लोगों को पीने का पानी मिल पा रहा है। लोगों को हर रोज पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। 











Body:झांसी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें से 9 ऐसी हैं जो पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं। कुछ पाइपलाइन परियोजनाएं ऐसी हैं जो आंशिक रूप से ठप पड़ी है। कुछ ऐसी हैं जो 80 प्रतिशत काम कर रही हैं जबकि कुछ 50 प्रतिशत से भी काम कर रही हैं। कुछ जगह नलकूप की खराबी की दिक़्क़त है तो कुछ जगहों पर पाइप लाइन में लीकेज है। प्रशासन का दावा है कि इन्हें ठीक कराने की कोशिश हो रही है लेकिन जिले के अलग-अलग हिस्से से आये लोग हर रोज कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर संकट का समाधान करने की मांग कर रहे हैं। 


Conclusion:
रक्सा गांव के रहने वाले रमेश बताते हैं कि गांव में कभी पानी आता है, कभी नहीं आता है। कभी-कभी तो चार-चार दिन पानी नहीं आता है। पीने लायक तो यह पानी बिल्कुल ही नहीं है।
झाँसी के मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि पेयजल से जुडी सभी संस्थाओं की हेल्पाइन बनी है। विकास भवन में ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं से जुडी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। कलेक्ट्रेट, जल संस्थान, जल निगम और अन्य जगहों पर कंट्रोल रूम बनाये गए हैं। कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली स्थाई या अस्थाई समस्याओं के चौबीस घंटे के भीतर निराकरण की कोशिश की जाती है। 

बाइट - रमेश - ग्रामीण

बाइट - निखिल टीकाराम फुंडे - सीडीओ, झांसी 


लक्ष्मी नारायण शर्मा 

झांसी 

9454013045 

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