झांसी: साल 2015 में जिले के जुझारपुरा में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एरच बांध परियोजना की आधारशिला रखी थी. इस बांध का निर्माण 721 करोड़ रुपये की लागत से 2 साल में किया जाना था. साल 2017 में उत्तर प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद बांध निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और योगी सरकार ने काम पर रोक लगाते हुए मामले की जांच के आदेश दिए थे. इस बांध के निर्माण में वित्तीय अनियमितता के साथ ही प्रक्रियाओं की अनदेखी, डिजाइन में खामी सहित कई आरोप लगे थे और जांच शुरू हुई थी. तत्कालीन सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि 15 दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी लेकिन ढाई साल बाद भी जांच अधर में है.
जानिए क्या कुछ कहा भारतीय किसान यूनियन के प्रभारी ने
भारतीय किसान यूनियन के बुन्देलखण्ड प्रभारी शिव नारायण परिहार कहते हैं कि एरच बांध अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था. मोठ और गरौठा तहसील के बीच यह बांध बनाया जा रहा था. अगर यह चालू हो जाता तो सिंचाई के साथ ही पेयजल की समस्याएं भी खत्म हो जाती. यह बांध 80 से 90 प्रतिशत बन चुका है. बीच मे कुछ कारणों से इसे रोक दिया गया था. उनका कहना है कि यह किसानों के साथ धोखा है. किसानों के लिए इतना बड़ा बांध बन रहा था, अगर यह बन जाता तो झांसी जिले में सूखे से काफी निजात मिलती.
एरच बांध में हाइड्रोलॉजी के संबंध में पूछा गया था कि इसमें पानी है कि नहीं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की से इसकी जांच कराई गई है. हमें बताया गया कि इसमें पॉजिटिव रिपोर्ट आई है. इसको हमने लखनऊ डिजाइन के लिए भेजा है, वहां से रिपोर्ट आने के बाद काम शुरू हो जाएगा.
- जे के शर्मा, मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग