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मध्य प्रदेश चुनाव से पहले सैंकड़ों दलितों ने मांगी धर्मपरिवर्तन की अनुमति, क्या है वजह?

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में दलितों समुदाय के लोगों ने जिलाधिकारी से धर्मपरिवर्तन की मांग की है. उनका कहना है कि वो मजबूरन धर्मपरिवर्तन करना चाहते है. क्या है इसकी वजह आइए जानते हैं?

Dalit community demanded religious conversion
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Published : May 26, 2023, 12:50 PM IST

Updated : May 26, 2023, 2:20 PM IST

मनपुरा गांव के विजय बरार ने बताई धर्मपरिवर्तन के मांग की वजह

झांसीः जिले से सटे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में 200 से अधिक दलितों ने मजबूरन धर्मपरिवर्तन की मांग की है. शिवपुरी के मनपुरा गांव की कुल आबादी करीब 5 हजार है. इसमें 50 प्रतिशत आबादी एससी जाति के लोगों की है. इसमें बरार समाज के लोग भी रहते हैं. इलाके में करीब 5 सौ साल पुराना ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर है, जहां सभी पूजा करते है. लेकिन, कुछ दिनों से दलित समाज के लोग भयभीत हैं. ये लोग जिलाधिकारी से मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले धर्म परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने धर्मपरिवर्तन की मांग करने वाले लोगों से बातचीत की और इसकी वजह तलाशने की कोशिश की.

मनपुरा गांव के निवासी विजय बरार ने ईटीवी से बताया कि गांव के ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर में उनका समाज मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कराना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष महन्त आनंद गिरी महाराज और पिछोर एसडीएम से सहमति ले ली थी. 21 मई को मंदिर में मां सरस्वती की स्थापना होनी थी. मूर्ति स्थापित करने के लिए मन्दिर के भीतर निर्माण कार्य भी करा लिया गया था. इस धार्मिक आयोजन में करीब 4 से 5 हजार लोगों के लिए भण्डारे के आयोजन की भी तैयारी कर ली गई थी. इसके साथ ही भौंती थाना पुलिस को भी सूचना दी गई थी.

विजय बरार ने बताया कि 21 मई को जब समाज के लोग मां सरस्वती की मूर्ति लेकर मन्दिर में पहुंचे, तो मन्दिर के पुजारी पवन कोटिया और उनके छोटे भाई राम बिहारी कोटिया ने मुख्य दरवाजे को बंद कर दिया. उस वक्त पुलिस भी मौके पर मौजूद थी. पुलिस ने मंदिर के पुजारी को समझाने का प्रयास किया. लेकिन, उन्होंने दरवाजा नहीं खोला. इसके बाद पुजारी ने गांव के कुछ स्वर्ण समाज के दबंगों को बुला लिया. उन लोगों ने उन्हें अछूत कहकर अपमानित किया. इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा मन्दिर में नहीं रखने दी.

विजय बरार ने कहा, 'जब हमें हिन्दू ही नहीं समझा जा रहा और तो फिर हमें हिन्दू धर्म में रहने का क्या मतलब. इसी बात से आहत होकर हम सभी धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं. इसके लिए हमने प्रशासन को पत्र लिखा है. हमारी मांग है कि दबंगों पर कार्रवाई हो या फिर हमें धर्म परिवर्तन की मंजूरी दी जाए. 2 दिन से एक टीकमगढ़ के राजा सागर देव सिंह इस मंदिर को अपना पुश्तैनी मंदिर बता रहे हैं. इसे वह अपनी पुस्तैनी संपत्ति होने का दावा कर रहे हैं. अगर वह इस मंदिर को उनकी संपत्ति होने का कागजात या प्रमाणित दस्तावेज दिखा दें. तो हम मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं करेंगे.'

विजय ने कहा कि इस मंदिर पर सिर्फ ट्रस्ट का अधिकार है. ट्रस्ट ही मंदिर की देखभाल करता है. इसके मुख्य प्रबंधक जिलाधिकारी है. लेकिन, कुछ उच्च जाति के लोग यहां की भोली-भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं. वो माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. विजय ने आगे कहा कि वो लोग सिर्फ मंदिर को सरस्वती मां की मूर्ति भेंट कर रहे थे. मूर्ति लगने के बाद उनका कोई लेना देना नहीं रहता. मूर्ति की देखभाल पूजा सभी मंदिर के पुजारी द्वारा ही की जाती. तब भी कुछ लोग राजनीति के चलते यहां बेवजह परेशान कर रहे हैं.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है की जब उनके पूर्वज वर्षों से यहीं रहते चले आ रहे हैं, तो फिर उन्हें मंदिर में मूर्ति लगाने क्यों नहीं दी जा रही. उन्हें गालियां देते हुए भगा दिया गया. वहीं, गांव की ही महिलाओं ने कहा की मूर्ति मंदिर में लगनी चाहिए. उस दिन जब वो लोग मूर्ति लेकर मंदिर गए, तो ताला लगाकर मंदिर को बंद कर दिया गया. पूरा दिन सभी धूप में मंदिर के बाहर बैठे रहे. इसके बाद अछूत बोलकर भगा दिया गया. उन्होंने कहा कि तुम लोगों की दी हुई मूर्ति मंदिर में नहीं लगाई जा सकती.

वही, इस मामले में पिछोर एसडीएम अरविंद शाह का कहना है कि मामले में गांव के सभी समाज और मन्दिर प्रबंधन की सहमति होने के बाद मूर्ति स्थापित करने की बात कही गई थी. ऐसे में विवाद की आशंका थी तो पहले नियमानुसार कलेक्टर से वैध स्वीकृति लेनी चाहिए थी. अब भी बरार समाज प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद मूर्ति स्थापित कर सकता है.

ये भी पढ़ेंः मैसूर से आए श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने अयोध्या में किया भूमि पूजन, ये बोले

मनपुरा गांव के विजय बरार ने बताई धर्मपरिवर्तन के मांग की वजह

झांसीः जिले से सटे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में 200 से अधिक दलितों ने मजबूरन धर्मपरिवर्तन की मांग की है. शिवपुरी के मनपुरा गांव की कुल आबादी करीब 5 हजार है. इसमें 50 प्रतिशत आबादी एससी जाति के लोगों की है. इसमें बरार समाज के लोग भी रहते हैं. इलाके में करीब 5 सौ साल पुराना ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर है, जहां सभी पूजा करते है. लेकिन, कुछ दिनों से दलित समाज के लोग भयभीत हैं. ये लोग जिलाधिकारी से मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले धर्म परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने धर्मपरिवर्तन की मांग करने वाले लोगों से बातचीत की और इसकी वजह तलाशने की कोशिश की.

मनपुरा गांव के निवासी विजय बरार ने ईटीवी से बताया कि गांव के ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर में उनका समाज मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कराना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष महन्त आनंद गिरी महाराज और पिछोर एसडीएम से सहमति ले ली थी. 21 मई को मंदिर में मां सरस्वती की स्थापना होनी थी. मूर्ति स्थापित करने के लिए मन्दिर के भीतर निर्माण कार्य भी करा लिया गया था. इस धार्मिक आयोजन में करीब 4 से 5 हजार लोगों के लिए भण्डारे के आयोजन की भी तैयारी कर ली गई थी. इसके साथ ही भौंती थाना पुलिस को भी सूचना दी गई थी.

विजय बरार ने बताया कि 21 मई को जब समाज के लोग मां सरस्वती की मूर्ति लेकर मन्दिर में पहुंचे, तो मन्दिर के पुजारी पवन कोटिया और उनके छोटे भाई राम बिहारी कोटिया ने मुख्य दरवाजे को बंद कर दिया. उस वक्त पुलिस भी मौके पर मौजूद थी. पुलिस ने मंदिर के पुजारी को समझाने का प्रयास किया. लेकिन, उन्होंने दरवाजा नहीं खोला. इसके बाद पुजारी ने गांव के कुछ स्वर्ण समाज के दबंगों को बुला लिया. उन लोगों ने उन्हें अछूत कहकर अपमानित किया. इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा मन्दिर में नहीं रखने दी.

विजय बरार ने कहा, 'जब हमें हिन्दू ही नहीं समझा जा रहा और तो फिर हमें हिन्दू धर्म में रहने का क्या मतलब. इसी बात से आहत होकर हम सभी धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं. इसके लिए हमने प्रशासन को पत्र लिखा है. हमारी मांग है कि दबंगों पर कार्रवाई हो या फिर हमें धर्म परिवर्तन की मंजूरी दी जाए. 2 दिन से एक टीकमगढ़ के राजा सागर देव सिंह इस मंदिर को अपना पुश्तैनी मंदिर बता रहे हैं. इसे वह अपनी पुस्तैनी संपत्ति होने का दावा कर रहे हैं. अगर वह इस मंदिर को उनकी संपत्ति होने का कागजात या प्रमाणित दस्तावेज दिखा दें. तो हम मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं करेंगे.'

विजय ने कहा कि इस मंदिर पर सिर्फ ट्रस्ट का अधिकार है. ट्रस्ट ही मंदिर की देखभाल करता है. इसके मुख्य प्रबंधक जिलाधिकारी है. लेकिन, कुछ उच्च जाति के लोग यहां की भोली-भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं. वो माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. विजय ने आगे कहा कि वो लोग सिर्फ मंदिर को सरस्वती मां की मूर्ति भेंट कर रहे थे. मूर्ति लगने के बाद उनका कोई लेना देना नहीं रहता. मूर्ति की देखभाल पूजा सभी मंदिर के पुजारी द्वारा ही की जाती. तब भी कुछ लोग राजनीति के चलते यहां बेवजह परेशान कर रहे हैं.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है की जब उनके पूर्वज वर्षों से यहीं रहते चले आ रहे हैं, तो फिर उन्हें मंदिर में मूर्ति लगाने क्यों नहीं दी जा रही. उन्हें गालियां देते हुए भगा दिया गया. वहीं, गांव की ही महिलाओं ने कहा की मूर्ति मंदिर में लगनी चाहिए. उस दिन जब वो लोग मूर्ति लेकर मंदिर गए, तो ताला लगाकर मंदिर को बंद कर दिया गया. पूरा दिन सभी धूप में मंदिर के बाहर बैठे रहे. इसके बाद अछूत बोलकर भगा दिया गया. उन्होंने कहा कि तुम लोगों की दी हुई मूर्ति मंदिर में नहीं लगाई जा सकती.

वही, इस मामले में पिछोर एसडीएम अरविंद शाह का कहना है कि मामले में गांव के सभी समाज और मन्दिर प्रबंधन की सहमति होने के बाद मूर्ति स्थापित करने की बात कही गई थी. ऐसे में विवाद की आशंका थी तो पहले नियमानुसार कलेक्टर से वैध स्वीकृति लेनी चाहिए थी. अब भी बरार समाज प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद मूर्ति स्थापित कर सकता है.

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Last Updated : May 26, 2023, 2:20 PM IST
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