झांसी: बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के पोषण माह के तहत मंगलवार को जनपद के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया. इस मौके पर छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया. साथ ही छह माह के बाद ऊपरी आहार के महत्व के बारें में जागरूक किया गया. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने साग-सब्जियों से कोरोना वायरस का प्रतीक बनाकर लोगों को जागरूक किया.
जिला कार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र सिंह के मुताबिक सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. इसी के तहत मंगलवार को सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ऊपरी आहार की महत्ता के बारें में जागरूक करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने पौष्टिक आहार का प्रदर्शन किया. इसके साथ ही छह माह की अवधि पूरी कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन भी किया.
शहर के आवास विकास क्षेत्र की आंगनवाड़ी सुपरवाइजर मीना ने बताया कि केन्द्रों पर उपस्थित माताओं को केंद्र पर वितरित किए जाने वाले पोषाहार के बारे में बताया गया. उन्होंने कहा कि पोषाहार का सेवन करने से गर्भवती महिला में खून की कमी नहीं होती. इसमें आयरन, प्रोटीन, सोयाबीन आदि का मिश्रण होता है. यह गर्भवती महिला और किशोरियों को इसलिए दिया जाता है, ताकि महिला कुपोषण का शिकार न होने पाए.
झांसी: आंगनवाड़ी केंद्रों पर मनाया गया अन्नप्राशन दिवस
झांसी में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के पोषण माह के तहत सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने साग-सब्जियों से कोरोना वायरस का प्रतीक बनाकर लोगों को जागरूक किया.
झांसी: बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के पोषण माह के तहत मंगलवार को जनपद के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया. इस मौके पर छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया. साथ ही छह माह के बाद ऊपरी आहार के महत्व के बारें में जागरूक किया गया. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने साग-सब्जियों से कोरोना वायरस का प्रतीक बनाकर लोगों को जागरूक किया.
जिला कार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र सिंह के मुताबिक सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. इसी के तहत मंगलवार को सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ऊपरी आहार की महत्ता के बारें में जागरूक करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने पौष्टिक आहार का प्रदर्शन किया. इसके साथ ही छह माह की अवधि पूरी कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन भी किया.
शहर के आवास विकास क्षेत्र की आंगनवाड़ी सुपरवाइजर मीना ने बताया कि केन्द्रों पर उपस्थित माताओं को केंद्र पर वितरित किए जाने वाले पोषाहार के बारे में बताया गया. उन्होंने कहा कि पोषाहार का सेवन करने से गर्भवती महिला में खून की कमी नहीं होती. इसमें आयरन, प्रोटीन, सोयाबीन आदि का मिश्रण होता है. यह गर्भवती महिला और किशोरियों को इसलिए दिया जाता है, ताकि महिला कुपोषण का शिकार न होने पाए.