झांसी: अंग्रेजों के विरुद्ध रणयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वोपरी माना जाता है. आजादी की पहली लड़ाई की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती 19 नवंबर को मनाई जाती है. अपने तलवार के दम पर मात्र तेईस साल की उम्र में उन्होंने शौर्य की जो इबारत लिखी, वैसा दूसरा उदाहरण पूरी दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलता. आज भी झांसी के जर्रे-जर्रे में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियां जीवंत रूप में मौजूद हैं और हमें रानी के शौर्य और बलिदान की याद दिलाती हैं.
जयंती विशेष: यहां जर्रे-जर्रे में समाई है रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य की गाथा - झांसी समाचार
19 नवंबर को महानायिका रानी लक्ष्मीबाई की जयंती है. रानी लक्ष्मीबाई उस वीरता शौर्य साहस और पराक्रम का नाम है, जिसने अपने छोटे से जीवन काल में वो मुकाम हासिल किया, जिसकी मिसाल आज भी दुर्लभ है, यहां जानिए रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें-
झांसी: अंग्रेजों के विरुद्ध रणयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वोपरी माना जाता है. आजादी की पहली लड़ाई की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती 19 नवंबर को मनाई जाती है. अपने तलवार के दम पर मात्र तेईस साल की उम्र में उन्होंने शौर्य की जो इबारत लिखी, वैसा दूसरा उदाहरण पूरी दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलता. आज भी झांसी के जर्रे-जर्रे में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियां जीवंत रूप में मौजूद हैं और हमें रानी के शौर्य और बलिदान की याद दिलाती हैं.