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इस बैल ने अपनी जिंदगी में जीते थे 150 से ज्यादा इनाम, मौत के बाद आयोजित हुआ तेरहवीं भोज

उत्तर प्रदेश के झांसी के लहरगिर्द गांव में एक परिवार ने अपने पालतू बैल के मौत का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से कर तेरहवीं भोज आयोजित किया. परिवार वालों का कहना है कि यह बैल जिंदगी में 150 से ज्यादा ईनाम जीतकर परिवार का नाम रोशन किया था.

बैल के मौत पर आयोजित हुआ तेरहवीं भोज
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Published : Sep 18, 2019, 10:58 PM IST

झांसी: जिले में लहरगिर्द गांव में एक परिवार ने अपने पालतू बैल की मौत पर न सिर्फ उसका धार्मिक विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया बल्कि बुधवार को उसकी तेरहवीं पर भोज भी आयोजित किया. परिवार का बैल से लगाव का बड़ा कारण यह था कि इसने 150 से ज्यादा इनाम जीतकर परिवार का नाम रोशन किया था.

बैल के मौत के बाद आयोजित हुआ तेरहवीं भोज.

इसे भी पढ़ें :- झांसी: स्कूली बच्चों से भरी वैन पलटी, कई जख्मी

परिवार के बहुत था करीब बैल
लहरगिर्द के रहने वाले पंजाब सिंह यादव के परिवार के राजू यादव, हरिओम यादव, जीतू और अन्य लोगों ने मिलकर कबरी नाम के बैल को पाला था. कबरी बैल यूपी और एमपी के कई बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका था. परिवार के लोग दावा करते हैं कि इसने अपने जीवन में 150 से ज्यादा इनाम जीते जिनमें दो कार, 30 के लगभग बाइक, टीवी, फ्रिज और अन्य सामान शामिल हैं.

बैल की मौत पर भोज आयोजित
परिवार के दो लोग बैलगाड़ी पर सवार होकर 3 सितम्बर को खेत से घर लौट रहे थे. इस दौरान एक अनियंत्रित ट्रक अचानक बैलगाड़ी के सामने आ गया. टक्कर से बैलगाड़ी को बचाने की कोशिश की और खुद जख्मी हो गई. इलाज के दौरान 6 सितम्बर को उसकी मौत हो गई. परिवार वालों ने विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया और तेरहवीं भोज आयोजन किया.

हमारा बैल कबरी हमारे परिवार में नंदी के रूप में आया था. जाते-जाते छोटे बैल नन्दी, भाई और बहू की जान बचाकर स्वर्ग सिधार गया. हम चाहते हैं कि इंसान जानवर को जानवर न समझें. प्रदेश सरकार कहती है कि गौवंश की रक्षा करनी है. हम चाहते हैं कि बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताएं कराई जायें जिससे लोग गाय और बैल अपने घर में पालें.
-पंजाब सिंह यादव, पशुपालक

झांसी: जिले में लहरगिर्द गांव में एक परिवार ने अपने पालतू बैल की मौत पर न सिर्फ उसका धार्मिक विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया बल्कि बुधवार को उसकी तेरहवीं पर भोज भी आयोजित किया. परिवार का बैल से लगाव का बड़ा कारण यह था कि इसने 150 से ज्यादा इनाम जीतकर परिवार का नाम रोशन किया था.

बैल के मौत के बाद आयोजित हुआ तेरहवीं भोज.

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परिवार के बहुत था करीब बैल
लहरगिर्द के रहने वाले पंजाब सिंह यादव के परिवार के राजू यादव, हरिओम यादव, जीतू और अन्य लोगों ने मिलकर कबरी नाम के बैल को पाला था. कबरी बैल यूपी और एमपी के कई बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका था. परिवार के लोग दावा करते हैं कि इसने अपने जीवन में 150 से ज्यादा इनाम जीते जिनमें दो कार, 30 के लगभग बाइक, टीवी, फ्रिज और अन्य सामान शामिल हैं.

बैल की मौत पर भोज आयोजित
परिवार के दो लोग बैलगाड़ी पर सवार होकर 3 सितम्बर को खेत से घर लौट रहे थे. इस दौरान एक अनियंत्रित ट्रक अचानक बैलगाड़ी के सामने आ गया. टक्कर से बैलगाड़ी को बचाने की कोशिश की और खुद जख्मी हो गई. इलाज के दौरान 6 सितम्बर को उसकी मौत हो गई. परिवार वालों ने विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया और तेरहवीं भोज आयोजन किया.

हमारा बैल कबरी हमारे परिवार में नंदी के रूप में आया था. जाते-जाते छोटे बैल नन्दी, भाई और बहू की जान बचाकर स्वर्ग सिधार गया. हम चाहते हैं कि इंसान जानवर को जानवर न समझें. प्रदेश सरकार कहती है कि गौवंश की रक्षा करनी है. हम चाहते हैं कि बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताएं कराई जायें जिससे लोग गाय और बैल अपने घर में पालें.
-पंजाब सिंह यादव, पशुपालक

Intro:झांसी. एक परिवार ने अपने पालतू बैल की मौत पर न सिर्फ उसका धार्मिक विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया बल्कि बुधवार को उसकी तेरहवीं पर भोज आयोजित किया गया। झांसी के लहरगिर्द गांव के इस बैल के लिए परिवार के लगाव का बड़ा कारण यह था कि इसने अपनी जिंदगी में 150 से ज्यादा ईनाम जीतकर परिवार का नाम रोशन किया था। इतना ही नहीं, दुर्घटना के दिन बैलगाड़ी पर सवार परिवार के दो लोगों की जान बचाई और इस दौरान जख्मी होने के कारण उसकी मौत हो गई थी।


Body:लहरगिर्द के रहने वाले पंजाब सिंह यादव के परिवार के राजू यादव, हरिओम यादव, जीतू और अन्य लोगों ने मिलकर कबरी नाम के बैल को पाल रखा था। यह बैल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका था। परिवार के लोग दावा करते हैं कि अपने जीवन में कबरी बैल ने 150 से ज्यादा ईनाम जीते और परिवार का नाम रोशन किया। दो कार, 30 के लगभग बाइक, टीवी, फ्रिज और अन्य ईनाम बड़ी संख्या में इस बैल ने जीते थे।


परिवार के दो लोग बैलगाड़ी पर सवार होकर 3 सितम्बर को खेत से घर लौट रहे थे। परिवार के लोगों के मुताबिक बैलगाड़ी कबरी और नन्दी चला खींच रहे थे। इस दौरान एक अनियंत्रित ट्रक अचानक बैलगाड़ी के सामने आ गया और कबरी टक्कर से बैलगाड़ी को बचाने की कोशिश की। इस दौरान कबरी जख्मी हो गया। इलाज के दौरान 6 सितम्बर को उसकी मौत हो गई और विधि विधान से परिवार के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार किया। मौत के तेरहवें दिन तेरहवीं भोज का बुधवार को आयोजन हुआ जिसमें कई गांव के लोगों ने हिस्सा लिया।


Conclusion:बैल पालक पंजाब सिंह यादव ने बताया कि हमारा बैल कबरी हमारे परिवार में नंदी के रूप में आया था। जाते-जाते छोटे बैल नन्दी और भाई व बहू की जान बचाकर स्वर्ग सिधार किया गया। हम मानते हैं कि इंसान जानवर को जानवर न समझें। उत्तर प्रदेश सरकार कहती है कि गौवंश की रक्षा करनी है। हम चाहते हैं कि बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताएं कराई जाए जिससे लोग गाय और बैल अपने घर में पालकर रखें क्योंकि ट्रैक्टरों की वजह से लोगों ने बैल पालना बंद कर दिया है।

बाइट - पंजाब सिंह यादव - बैल पालक

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045
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