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जौनपुर: लॉकडाउन ने तोड़ी सब्जी किसानों की कमर - सब्जियों के दाम कम

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में किसानों के सामने लॉकडाउन ने आफत खड़ी कर दी है. सब्जियों के कम दाम में बिकने के कारण किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

farmers are not getting profit
सब्जी किसान परेशान
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Published : May 27, 2020, 9:10 PM IST

जौनपुर: कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉकडाउन 4.0 चल रहा है. वही इस संकट के दौर में दूसरों का पेट भरने वाले अन्नदाता इन दिनों खुद संकट में हैं. लॉकडाउन की वजह से अनाज का रेट हो या सब्जियों का रेट दोनों ही कम हो गए हैं. सब्जी उत्पादक किसान के सामने अब आर्थिक समस्या गंभीर हो चली है.

सब्जी किसान परेशान

सब्जियों के नहीं मिल रहे सही दाम
किसानों की सब्जी खेत में तैयार तो है लेकिन मंडियों में सही दाम न मिलने के कारण लागत का एक चौथाई दाम ही बड़ी मुश्किल से मिल पा रहा है. जौनपुर के कुद्दूपुर में कई सब्जी किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी, लेकिन जब फसल तैयार हुई तो उस पर कोरोना का ग्रहण लग गया. 16 से 18 घंटे मेहनत करने के बाद भी किसान को इन दिनों सब्जी की फसल को घाटे में बेचना पड़ रहा है.

खेत में किसान छोड़ रहे तैयार फसल
वहीं कई किसान तो खेत में ही अपनी तैयार फसल को छोड़ दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें मंडी में अपनी सब्जियां पहुंचाने के लिए लगाया गया भाड़ा भी जेब से ही लगाना पड़ रहा है. ऐसे मुश्किल दौर में अन्नदाता को अपने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल पड़ रहा है. क्योंकि इसी फसल के जरिए ये किसान अपने सपनों को पूरा करता है, लेकिन इस बार उनके सपने लॉकडाउन ने चकनाचूर कर दिए हैं.

सरकार के वादे खोखले
केंद्र की सरकार किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की बात कहती है, लेकिन आए तो दुगना नहीं हुई बल्कि किसानों को इस लॉकडाउन के दौर में अपनी सब्जियों की फसल को घाटे में बेचने को मजबूर हैं. किसान खेत में फसल नहीं बोता है बल्कि वह सपने बोता है, लेकिन इस बार तैयार फसल को लेकर देखे गए सपने चकनाचूर हो गए हैं.

घाटे में किसान
सब्जी की खेती करने वाली कुद्दुपुर के किसान मनोज ने बताया कि इस बार उन्होंने भिंडी, नेनुआ और कद्दू की खेती की थी. वहीं 15 हजार रुपये की लागत लगाई थी, लेकिन इस बार लागत का चौथाई भी नहीं निकल पाया. यहां तक कि कभी-कभी जब सब्जियां नहीं बिकती है तो उन्हें पशुओं को भी खिलाना पड़ता है. कुछ ऐसा ही हाल अरविंद मौर्या का है. उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने भिंडी और नेनुआ की खेती की थी, जिसमें करीब 10 हजार से ज्यादा की लागत लगाई थी, लेकिन लागत का एक चौथाई भी नहीं निकल पाया है. मंडी में भिंडी 12 रुपये में 5 किलो बिक रही है और यही हाल नेनुआ का है. इसी में मंडी ले जाने का भाड़ा और सब्जी तोड़ने के लिए मजदूरी भी देनी पड़ती है. ऐसे में घर चलाने काफी दिक्कत आ रही है.

सब्जी की खेती करने वाले किसान संजीव पटेल ने बताया कि इस बार उन्होंने भिंडी, नेनुआ की खेती की थी और बीज और खाद में 10,000 से ज्यादा की लागत लगाई थी, लेकिन इस बार मंडी में लॉकडाउन के चलते सब्जियों का नाम नहीं मिल पाया है. 2 रुपये किलो भिंडी बिक रही है तो वहीं नेनुआ का भी यही हाल है. अभी तक लागत का 2000 रुपये भी नहीं निकल पाया है. यही हाल रहा तो वह आगे खेती कैसे करेंगे यह बड़ा सवाल उनके सामने खड़ा हो गया है.

जौनपुर: कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉकडाउन 4.0 चल रहा है. वही इस संकट के दौर में दूसरों का पेट भरने वाले अन्नदाता इन दिनों खुद संकट में हैं. लॉकडाउन की वजह से अनाज का रेट हो या सब्जियों का रेट दोनों ही कम हो गए हैं. सब्जी उत्पादक किसान के सामने अब आर्थिक समस्या गंभीर हो चली है.

सब्जी किसान परेशान

सब्जियों के नहीं मिल रहे सही दाम
किसानों की सब्जी खेत में तैयार तो है लेकिन मंडियों में सही दाम न मिलने के कारण लागत का एक चौथाई दाम ही बड़ी मुश्किल से मिल पा रहा है. जौनपुर के कुद्दूपुर में कई सब्जी किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी, लेकिन जब फसल तैयार हुई तो उस पर कोरोना का ग्रहण लग गया. 16 से 18 घंटे मेहनत करने के बाद भी किसान को इन दिनों सब्जी की फसल को घाटे में बेचना पड़ रहा है.

खेत में किसान छोड़ रहे तैयार फसल
वहीं कई किसान तो खेत में ही अपनी तैयार फसल को छोड़ दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें मंडी में अपनी सब्जियां पहुंचाने के लिए लगाया गया भाड़ा भी जेब से ही लगाना पड़ रहा है. ऐसे मुश्किल दौर में अन्नदाता को अपने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल पड़ रहा है. क्योंकि इसी फसल के जरिए ये किसान अपने सपनों को पूरा करता है, लेकिन इस बार उनके सपने लॉकडाउन ने चकनाचूर कर दिए हैं.

सरकार के वादे खोखले
केंद्र की सरकार किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की बात कहती है, लेकिन आए तो दुगना नहीं हुई बल्कि किसानों को इस लॉकडाउन के दौर में अपनी सब्जियों की फसल को घाटे में बेचने को मजबूर हैं. किसान खेत में फसल नहीं बोता है बल्कि वह सपने बोता है, लेकिन इस बार तैयार फसल को लेकर देखे गए सपने चकनाचूर हो गए हैं.

घाटे में किसान
सब्जी की खेती करने वाली कुद्दुपुर के किसान मनोज ने बताया कि इस बार उन्होंने भिंडी, नेनुआ और कद्दू की खेती की थी. वहीं 15 हजार रुपये की लागत लगाई थी, लेकिन इस बार लागत का चौथाई भी नहीं निकल पाया. यहां तक कि कभी-कभी जब सब्जियां नहीं बिकती है तो उन्हें पशुओं को भी खिलाना पड़ता है. कुछ ऐसा ही हाल अरविंद मौर्या का है. उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने भिंडी और नेनुआ की खेती की थी, जिसमें करीब 10 हजार से ज्यादा की लागत लगाई थी, लेकिन लागत का एक चौथाई भी नहीं निकल पाया है. मंडी में भिंडी 12 रुपये में 5 किलो बिक रही है और यही हाल नेनुआ का है. इसी में मंडी ले जाने का भाड़ा और सब्जी तोड़ने के लिए मजदूरी भी देनी पड़ती है. ऐसे में घर चलाने काफी दिक्कत आ रही है.

सब्जी की खेती करने वाले किसान संजीव पटेल ने बताया कि इस बार उन्होंने भिंडी, नेनुआ की खेती की थी और बीज और खाद में 10,000 से ज्यादा की लागत लगाई थी, लेकिन इस बार मंडी में लॉकडाउन के चलते सब्जियों का नाम नहीं मिल पाया है. 2 रुपये किलो भिंडी बिक रही है तो वहीं नेनुआ का भी यही हाल है. अभी तक लागत का 2000 रुपये भी नहीं निकल पाया है. यही हाल रहा तो वह आगे खेती कैसे करेंगे यह बड़ा सवाल उनके सामने खड़ा हो गया है.

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