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शिक्षिका की आनोखी पहल, लगा रहीं छोटे बच्चों की प्री नर्सरी क्लास

कहते हैं कि अगर अलग पहचान बनानी हो तो काम करने का तरीका भी अलग होना चाहिए. इस वाक्य को परिषदीय स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने साकार कर दिखाया है.

शिक्षिका की आनोखी पहल
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Published : Feb 6, 2019, 8:24 PM IST

जौनपुर : परिषदीय स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता के चलते अक्सर कटघरे में खड़ी होती हैं, लेकिन सरकोनी ब्लॉक के हौज गांव के परिषदीय स्कूल के शिक्षक अपने अनोखे प्रयास से नाम कमा रहे हैं. यहां के प्रधानाचार्य ने गांव में अशिक्षा के माहौल को देखते हुए छोटे बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा उठाया है.

शिक्षिका की आनोखी पहल
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शिक्षिका ने स्कूल में ही प्री नर्सरी की क्लास शुरू कर दी. पांच साल से छोटे बच्चे इस क्लास का हिस्सा होते हैं. छोटे बच्चे जिनको स्कूल में पढ़ने के साथ कपड़ा पहनने, खाना खाने के तरीके और उनके अंदर से पढ़ाई का डर खत्म करने के लिए शिक्षिका प्रयास कर रही है. यह बच्चे जब आगे कक्षा में प्रवेश करें तो उन्हें पढ़ने में कोई कठिनाई न हो.


हौज प्राथमिक स्कूल के प्रधानाचार्य रितु उपाध्याय ने बताया कि बड़े बच्चों के साथ उनके भाई बहन स्कूल में आते हैं, लेकिन वह खाना खाने के लिए आते हैं. बच्चों का भविष्य खराब ना हो इसलिए उन्होंने स्कूल में प्री नर्सरी की क्लास लगाना शुरू कर दी है . यह उनका खुद का प्रयास है जिससे की आगे इन बच्चों को पढ़ने में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो.

जौनपुर : परिषदीय स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता के चलते अक्सर कटघरे में खड़ी होती हैं, लेकिन सरकोनी ब्लॉक के हौज गांव के परिषदीय स्कूल के शिक्षक अपने अनोखे प्रयास से नाम कमा रहे हैं. यहां के प्रधानाचार्य ने गांव में अशिक्षा के माहौल को देखते हुए छोटे बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा उठाया है.

शिक्षिका की आनोखी पहल
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शिक्षिका ने स्कूल में ही प्री नर्सरी की क्लास शुरू कर दी. पांच साल से छोटे बच्चे इस क्लास का हिस्सा होते हैं. छोटे बच्चे जिनको स्कूल में पढ़ने के साथ कपड़ा पहनने, खाना खाने के तरीके और उनके अंदर से पढ़ाई का डर खत्म करने के लिए शिक्षिका प्रयास कर रही है. यह बच्चे जब आगे कक्षा में प्रवेश करें तो उन्हें पढ़ने में कोई कठिनाई न हो.


हौज प्राथमिक स्कूल के प्रधानाचार्य रितु उपाध्याय ने बताया कि बड़े बच्चों के साथ उनके भाई बहन स्कूल में आते हैं, लेकिन वह खाना खाने के लिए आते हैं. बच्चों का भविष्य खराब ना हो इसलिए उन्होंने स्कूल में प्री नर्सरी की क्लास लगाना शुरू कर दी है . यह उनका खुद का प्रयास है जिससे की आगे इन बच्चों को पढ़ने में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो.

Intro:जौनपुर।।6Feb।। कहते हैं कि अगर अलग पहचान बनानी हो तो काम करने का तरीका भी अलग होना चाहिए । इसी आदर्श वाक्य को साकार कर दिखाया है जौनपुर जिले के एक परिषदीय स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने। स्कूल में कक्षा 1 से लेकर 5 तक बच्चों की पढ़ाई होती है लेकिन गांव के खराब माहौल को देखते हुए उसने बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा उठाया । अभी स्कूल में ही 5 साल से छोटे बच्चों के लिए प्री नर्सरी की क्लास शुरु कर दी है। शिक्षिका के इस अनोखी पहल से गांव के छोटे बच्चे भी अब पढ़ने से डरते नहीं हैं बल्कि स्कूल के समय पर पहुंच जाते हैं।


Body:वीओ- परिषदीय स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता के चलते बदनाम ज्यादा है लेकिन जौनपुर में कुछ शिक्षक अपने अनोखे प्रयास से नाम कमा रहे हैं और वो अच्छा काम कर रहे हैं । सरकोनी ब्लॉक के हौज गांव का परिषदीय स्कूल इन दिनों चर्चा में है । यहां के प्रधानाचार्य स्कूल की सूरत ही नहीं बदल डाली बल्कि गांव के अशिक्षा के माहौल को देखते हुए बेकार घूमते हुए छोटे बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा उठाया है । शिक्षिका ने स्कूल में ही प्री नर्सरी की क्लास शुरू कर दी । 5 साल से छोटे बच्चे इस क्लास का हिस्सा होते हैं। छोटे बच्चे जिनको स्कूल में पढ़ने के साथ कपड़ा पहनने ,खाना खाने के तरीके और उनके अंदर से पढ़ाई का डर खत्म करने के लिए शिक्षिका प्रयास कर रही है । यह बच्चे जब आगे कक्षा में प्रवेश करें तो उन्हें पढ़ने में कोई कठिनाई न हो।


Conclusion:हाउज प्राथमिक स्कूल के प्रधानाचार्य रितु उपाध्याय ने बताया कि बड़े बच्चों के साथ उनके भाई बहन स्कूल में आते हैं लेकिन वह खाना खाने के लिए आते हैं। बच्चों का भविष्य खराब ना हो इसलिए उन्होंने स्कूल में प्री नर्सरी की क्लास लगाना शुरू कर दी है । यह उनका खुद का प्रयास है जिससे की आगे इन बच्चों को पढ़ने में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो।

बाइट-रितु उपाध्याय- प्रधानाचार्य

Dharmendra singh
jaunpur
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