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चुनावों की होने लगी मांग, पढ़ाई से हटने लगा ध्यान

जौनपुर में महाविद्यालय में चुनावों की खबरों से छात्र परेशान हैं. छात्रों का कहना है कि लॉकडाउन ने महाविद्यालय के गेट पर ताला लटका दिया था. महाविद्यालय खुलने के बाद परीक्षाएं सर पर हैं तो चुनाव की खबरें परेशान करने वाली हैं.

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Published : Jan 25, 2021, 3:01 PM IST

चुनाव से परेशान छात्र
चुनाव से परेशान छात्र

जौनपुर: कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने महाविद्यालय के गेट पर ताला लटका दिया था. महाविद्यालय खुलने के बाद परीक्षाएं सर पर हैं. दूसरी तरफ कोर्स भी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट से महाविद्यालय के छात्रों को डर सता रहा है कि अगर चुनाव हुए तो पढ़ाई एक बार फिर से बाधित हो जाएगी.

पढ़ाई न होने से छात्र परेशान
100 साल पुराना है इतिहास

जौनपुर के तिलकधारी महाविद्यालय में लगभग 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. महाविद्यालय का इतिहास 100 वर्षों से अधिक पुराना है. महाविद्यालय में पहली बार साल 1974 में छात्रसंघ चुनाव हुए थे. महाविद्यालय में होने वाले छात्रसंघ चुनावों पर जनपद के हर आदमी का ध्यान रहता है. इस सत्र में कोरोना संकट के कारण चुनाव पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. महाविद्यालय खुलने के बाद शिक्षकोंं को कोर्स पूरा कराने की जल्दी है तो दूसरी तरफ छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है. इस बात को लेकर तिलकधारी महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र परेशान हैं.

चुनाव हुए तो बाधित होगी पढ़ाई

तिलकधारी महाविद्यालय के बीएससी कृषि के फाइनल ईयर के छात्र मणि प्रकाश शुक्ला कहते हैं कि कोरोना के चलते पढ़ाई लिखाई बंद हो गई थी. महाविद्यालय खुले तो किसी तरह से पढ़ाई शुरू हुई. फरवरी से परीक्षाएं होनी हैं. इतने कम समय में कई विषयों का कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा. कुछ विषयों का कोर्स तो अभी तक शुरू भी नहीं किया गया है. ऐसे में यदि छात्र संघ चुनाव होते हैं तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

क्लास रोक कर होता है प्रचार

बीएससी के छात्र ऋषभ श्रीवास्तव कहते हैं कि चुनाव होने से महाविद्यालय का माहौल बदल जाएगा. छात्रों के दल अपने प्रचार के लिए कक्षाओं को बाधित करेंगे. कक्षाओं को रोककर प्रत्य़ाशी प्रचार करते हैं. इसके कारण ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाती है.


राजनीति की पौधशाला है छात्रसंघ चुनाव

महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंशुमान सिंह मोनू कहते हैं कि छात्रसंघ अध्यक्ष राजनीति की पौधशाला है. इसी पौधशाला से निकलकर भविष्य के नेता तैयार होते हैं. इसमें वोट देने वाले लोग भी शत प्रतिशत शिक्षित होते हैं. इस चुनाव के माध्यम से लीडरशिप का चयन किया जाता है. इससे वे भविष्य में उनकी समस्याओं का समाधान करने वाले नेताओं का चुनाव कर सकें. महाविद्यालय प्रशासन कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर छात्र संघ चुनाव कराना चाहता है, तो उसका स्वागत है. इस बात का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए की छात्र-छात्राओं का कोर्स भी समय से पूरा हो और उनकी पढ़ाई भी बाधित ना हो.

संभव हुआ तो ही कराएंगे चुनाव

तिलकधारी महाविद्यालय के प्राचार्य समर बहादुर सिंह कहते हैं कि छात्र संघ चुनाव को लेकर समिति की बैठक करेंगे. बैठक में निकले निष्कर्ष के हिसाब से ही चुनाव के बारे में निर्णय लिया जाएगा. वह कहते हैं कि वह खुद इस बात के समर्थक हैं कि छात्र संघ चुनाव होना चाहिए, मगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं है. नवंबर महीने से पठन-पाठन शुरू हुआ है. विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी जल्द शुरू हो जाएगी. इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर फैसला किया जाएगा.

जौनपुर: कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने महाविद्यालय के गेट पर ताला लटका दिया था. महाविद्यालय खुलने के बाद परीक्षाएं सर पर हैं. दूसरी तरफ कोर्स भी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट से महाविद्यालय के छात्रों को डर सता रहा है कि अगर चुनाव हुए तो पढ़ाई एक बार फिर से बाधित हो जाएगी.

पढ़ाई न होने से छात्र परेशान
100 साल पुराना है इतिहास

जौनपुर के तिलकधारी महाविद्यालय में लगभग 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. महाविद्यालय का इतिहास 100 वर्षों से अधिक पुराना है. महाविद्यालय में पहली बार साल 1974 में छात्रसंघ चुनाव हुए थे. महाविद्यालय में होने वाले छात्रसंघ चुनावों पर जनपद के हर आदमी का ध्यान रहता है. इस सत्र में कोरोना संकट के कारण चुनाव पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. महाविद्यालय खुलने के बाद शिक्षकोंं को कोर्स पूरा कराने की जल्दी है तो दूसरी तरफ छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है. इस बात को लेकर तिलकधारी महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र परेशान हैं.

चुनाव हुए तो बाधित होगी पढ़ाई

तिलकधारी महाविद्यालय के बीएससी कृषि के फाइनल ईयर के छात्र मणि प्रकाश शुक्ला कहते हैं कि कोरोना के चलते पढ़ाई लिखाई बंद हो गई थी. महाविद्यालय खुले तो किसी तरह से पढ़ाई शुरू हुई. फरवरी से परीक्षाएं होनी हैं. इतने कम समय में कई विषयों का कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा. कुछ विषयों का कोर्स तो अभी तक शुरू भी नहीं किया गया है. ऐसे में यदि छात्र संघ चुनाव होते हैं तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

क्लास रोक कर होता है प्रचार

बीएससी के छात्र ऋषभ श्रीवास्तव कहते हैं कि चुनाव होने से महाविद्यालय का माहौल बदल जाएगा. छात्रों के दल अपने प्रचार के लिए कक्षाओं को बाधित करेंगे. कक्षाओं को रोककर प्रत्य़ाशी प्रचार करते हैं. इसके कारण ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाती है.


राजनीति की पौधशाला है छात्रसंघ चुनाव

महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंशुमान सिंह मोनू कहते हैं कि छात्रसंघ अध्यक्ष राजनीति की पौधशाला है. इसी पौधशाला से निकलकर भविष्य के नेता तैयार होते हैं. इसमें वोट देने वाले लोग भी शत प्रतिशत शिक्षित होते हैं. इस चुनाव के माध्यम से लीडरशिप का चयन किया जाता है. इससे वे भविष्य में उनकी समस्याओं का समाधान करने वाले नेताओं का चुनाव कर सकें. महाविद्यालय प्रशासन कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर छात्र संघ चुनाव कराना चाहता है, तो उसका स्वागत है. इस बात का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए की छात्र-छात्राओं का कोर्स भी समय से पूरा हो और उनकी पढ़ाई भी बाधित ना हो.

संभव हुआ तो ही कराएंगे चुनाव

तिलकधारी महाविद्यालय के प्राचार्य समर बहादुर सिंह कहते हैं कि छात्र संघ चुनाव को लेकर समिति की बैठक करेंगे. बैठक में निकले निष्कर्ष के हिसाब से ही चुनाव के बारे में निर्णय लिया जाएगा. वह कहते हैं कि वह खुद इस बात के समर्थक हैं कि छात्र संघ चुनाव होना चाहिए, मगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं है. नवंबर महीने से पठन-पाठन शुरू हुआ है. विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी जल्द शुरू हो जाएगी. इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर फैसला किया जाएगा.

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