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भगवान राम ने किया था दैत्य केरार का संहार, प्रभु के आशीर्वाद से बने जौनपुर के कोतवाल

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Published : Mar 22, 2020, 1:07 PM IST

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में दैत्य केरार का मंदिर स्थित है. केरार को जौनपुर का कोतवाल भी कहा जाता है. मान्यता है केरार आने-जाने वाले लोगों को परेशान किया करते थे, तभी प्रभु श्रीराम ने दैत्य केरार का संहार किया था.

जौनपुर ताजा समाचार
दैत्य केरार का संहार प्रभु श्रीराम ने किया.

जौनपुर: जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में जौनपुर के कोतवाल के नाम से विख्यात केरार वीर बाबा का मंदिर स्थित है और श्रद्धालु माता शीतला चौकिया रानी के दर्शन के बाद केरार बीर बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं. मान्यता है केरार बाबा एक दैत्य थे, जो आने-जाने वाले लोगों को परेशान किया करते थे. जिसके कारण प्रभु श्री राम ने इनका संहार किया था. वहीं संहार होने पर ये सात हिस्सों में विभक्त हुए थे, जो वाराणसी के लहुराबीर बीर बाबा, चंदौली के कनेरा बीर बाबा, चंदवक के सरेरा बीर बाबा के रूप में प्रसिद्ध हुए. केरार बीर बाबा जौनपुर के कोतवाल होने के कारण लोगों के पूजनीय भी हैं और लोग शुभ काम में सबसे पहले बाबा केरार वीर बाबा को निमंत्रण देते हैं. मान्यता है कि बाबा से मन्नतें मांगने पर पूरी होती हैं जिससे लोगों का बाबा के प्रति विश्वास भी अटूट है. वहीं यहां दर्शन करने के लिए पूर्वांचल के कई जिलों से ही नहीं दूर- दूर से आते हैं.

दैत्य केरार का संहार प्रभु श्रीराम ने किया.

श्रीराम ने किया था दैत्य केरार का संहार
बताया जाता है कि प्रभु श्रीराम द्वारा दैत्य केरार का संहार किया था गया था. संहार होने के बाद प्रभु श्रीराम से दैत्य केरार ने क्षमा याचना किया. जिसके बाद श्रीराम ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम्हारी कलयुग में पूजा की जाएगी. जिसके बाद यहां बाबा कि राजगीर के पूजन दर्शन होने लगे और लोग मन्नतें मांगने पूरी होने पर यहां पर चढ़ावा भी चढ़ाने लगे. बाबा को प्रसाद के रूप में दारू, मुर्गा, नारियल चुनरी, फूल माला से लेकर तेल चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भूत प्रेत जैसी बाधाओं से भी बाबा के दर्शन करने से दूर होती हैं. बाबा के दर्शन के लिए आमतौर पर मंगलवार और रविवार दर्शन के लिए भक्त आते हैं. केरार बीर बाबा मंदिर में चैत्र नवरात्र और सावन के हर दिन में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मेले का भी आयोजन किया जाता.

दिल्ली की रहने वाली श्रद्धालु सपना वर्मा ने बताया की वह बचपन से ही केरार बीर बाबा के दर्शन -पूजा करते आ रही हूं. आज मैं भीम बाबा, केरार बीर बाबा के दर्शन करने आई हूं. हमारे यहां माता चौकिया का पहले दर्शन करने के बाद केरार बीर बाबा के दर्शन किए जाते हैं. यह बहुत ही प्राचीन हैं. मेरे पति दिल्ली में रहते हैं पर हमें यहां दर्शन करना बहुत जरूरी रहता है. हमारी जो मनोकामना रहती है उसे जरूर पूरा करते हैं. मेरी दो बेटियां थी मैंने मन्नत मांगी कि मुझे बेटा हो बाबा की मुझे बेटा हुआ, जिसका में मुंडन कराने आई हूं.

इसे भी पढ़ें: कोरोना का प्रभाव: जौनपुर में जुमे की नमाज पर अगले आदेश तक लगी रोक

मंदिर के महंत अभिषेक गोस्वामी ने बताया कि केरार बीर बाबा दैत्य थे. जिनका संहार प्रभु श्रीराम ने किया था. इनके सात अंग कट कर पृथ्वी पर गिरे जो बनारस, लहुराबीर, मुगलसराय, चंदवक एवं मिर्जापुर में हैं. संहार के बाद दैत्य केरार का धड़ जहां गिरा वह केरार बीर बाबा के नाम से प्रसिध्द हुए. संहार के बाद केरार ने रामजी से क्षमा याचना मांगा जिस पर प्रभु ने कलयुग में तुम्हारा पूजा किया जाएगा का आशीर्वाद दिया. शहर में मान्यता है कि जैसे कोई काम डीएम- एसएसपी के आदेश लेकर किया जाता है ठीक उसी तरह बाबा के राजगीर से आदेश लेकर काम किया जाता है. साथ ही घर में कोई शुभ कार्य का आयोजन होता है तो सबसे पहले पूजनीय केरार वीर बाबा को पुज कर करते हैं. इनकी बहन इनके पीछे किला की मरी नाम से हैं, जिनको इन के बाद पूजा जाता है.

जौनपुर: जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में जौनपुर के कोतवाल के नाम से विख्यात केरार वीर बाबा का मंदिर स्थित है और श्रद्धालु माता शीतला चौकिया रानी के दर्शन के बाद केरार बीर बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं. मान्यता है केरार बाबा एक दैत्य थे, जो आने-जाने वाले लोगों को परेशान किया करते थे. जिसके कारण प्रभु श्री राम ने इनका संहार किया था. वहीं संहार होने पर ये सात हिस्सों में विभक्त हुए थे, जो वाराणसी के लहुराबीर बीर बाबा, चंदौली के कनेरा बीर बाबा, चंदवक के सरेरा बीर बाबा के रूप में प्रसिद्ध हुए. केरार बीर बाबा जौनपुर के कोतवाल होने के कारण लोगों के पूजनीय भी हैं और लोग शुभ काम में सबसे पहले बाबा केरार वीर बाबा को निमंत्रण देते हैं. मान्यता है कि बाबा से मन्नतें मांगने पर पूरी होती हैं जिससे लोगों का बाबा के प्रति विश्वास भी अटूट है. वहीं यहां दर्शन करने के लिए पूर्वांचल के कई जिलों से ही नहीं दूर- दूर से आते हैं.

दैत्य केरार का संहार प्रभु श्रीराम ने किया.

श्रीराम ने किया था दैत्य केरार का संहार
बताया जाता है कि प्रभु श्रीराम द्वारा दैत्य केरार का संहार किया था गया था. संहार होने के बाद प्रभु श्रीराम से दैत्य केरार ने क्षमा याचना किया. जिसके बाद श्रीराम ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम्हारी कलयुग में पूजा की जाएगी. जिसके बाद यहां बाबा कि राजगीर के पूजन दर्शन होने लगे और लोग मन्नतें मांगने पूरी होने पर यहां पर चढ़ावा भी चढ़ाने लगे. बाबा को प्रसाद के रूप में दारू, मुर्गा, नारियल चुनरी, फूल माला से लेकर तेल चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भूत प्रेत जैसी बाधाओं से भी बाबा के दर्शन करने से दूर होती हैं. बाबा के दर्शन के लिए आमतौर पर मंगलवार और रविवार दर्शन के लिए भक्त आते हैं. केरार बीर बाबा मंदिर में चैत्र नवरात्र और सावन के हर दिन में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मेले का भी आयोजन किया जाता.

दिल्ली की रहने वाली श्रद्धालु सपना वर्मा ने बताया की वह बचपन से ही केरार बीर बाबा के दर्शन -पूजा करते आ रही हूं. आज मैं भीम बाबा, केरार बीर बाबा के दर्शन करने आई हूं. हमारे यहां माता चौकिया का पहले दर्शन करने के बाद केरार बीर बाबा के दर्शन किए जाते हैं. यह बहुत ही प्राचीन हैं. मेरे पति दिल्ली में रहते हैं पर हमें यहां दर्शन करना बहुत जरूरी रहता है. हमारी जो मनोकामना रहती है उसे जरूर पूरा करते हैं. मेरी दो बेटियां थी मैंने मन्नत मांगी कि मुझे बेटा हो बाबा की मुझे बेटा हुआ, जिसका में मुंडन कराने आई हूं.

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मंदिर के महंत अभिषेक गोस्वामी ने बताया कि केरार बीर बाबा दैत्य थे. जिनका संहार प्रभु श्रीराम ने किया था. इनके सात अंग कट कर पृथ्वी पर गिरे जो बनारस, लहुराबीर, मुगलसराय, चंदवक एवं मिर्जापुर में हैं. संहार के बाद दैत्य केरार का धड़ जहां गिरा वह केरार बीर बाबा के नाम से प्रसिध्द हुए. संहार के बाद केरार ने रामजी से क्षमा याचना मांगा जिस पर प्रभु ने कलयुग में तुम्हारा पूजा किया जाएगा का आशीर्वाद दिया. शहर में मान्यता है कि जैसे कोई काम डीएम- एसएसपी के आदेश लेकर किया जाता है ठीक उसी तरह बाबा के राजगीर से आदेश लेकर काम किया जाता है. साथ ही घर में कोई शुभ कार्य का आयोजन होता है तो सबसे पहले पूजनीय केरार वीर बाबा को पुज कर करते हैं. इनकी बहन इनके पीछे किला की मरी नाम से हैं, जिनको इन के बाद पूजा जाता है.

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