जौनपुरः जिले में पंचायत चुनाव में जहां एक तरफ बाहुबल और ग्लैमर का तड़का लग चुका है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की भी कवायद है. इसी कड़ी में पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्वांचल के कद्दावर नेता स्वर्गीय पारसनाथ यादव की छोटी पुत्रवधू उर्वशी सिंह यादव पंचायत चुनाव लड़ रही हैं. उर्वशी सिंह के परदादा विजय पाल सिंह ने चौधरी चरण सिंह को 1971 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से मात दी थी. उर्वशी यादव वार्ड संख्या 51 से दावेदारी पेश कर रही हैं. ETV BHARAT से खास बातचीत में उर्वशी सिंह यादव ने बताया कि जिला पंचायत सदस्य पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर चुकी है. उन्हें क्षेत्र की जनता से अपार समर्थन और आशीर्वाद मिल रहा है.
उर्वशी यादव ने की है विदेश से पढ़ाई
उर्वशी सिंह यादव ने बताया कि उनके पिता महेंद्र पाल सिंह आईपीएस थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा बोर्डिंग स्कूल से हुई है. उर्वशी ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई मेरठ से की है. एमिटी यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद उन्होंने विदेश से एमबीए किया है. पिता की तबीयत खराब हुई तो वह भारत वापस लौट आई. इसके बाद उन्होंने आईआईएम बेंगलुरु से मार्केटिंग और एनालिटिक्स से एमबीए किया.
जिला पंचायत सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया
उर्वशी ने बताया कि उनका परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है. 1971 के लोकसभा चुनाव में उनके परदादा विजय पाल सिंह ने चौधरी चरण सिंह को हराया था. उर्वशी की शादी पूर्वांचल के कद्दावर समाजवादी नेता और मिनी मुलायम के जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय पारसनाथ यादव के छोटे बेटे से हुई है. हालांकि वार्ड संख्या 51 से जिला पंचायत सदस्य के पद पर ताल ठोक रही उर्वशी को समाजवादी पार्टी से टिकट नहीं मिला है. वे कहती हैं कि उनके वार्ड से पार्टी ने किसी को भी अधिकृत उम्मीदवार नहीं घोषित किया है. उन्होंने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि अपने पति वेद प्रकाश यादव के राजनीतिक अनुभव और अपने मैनेजमेंट की पढ़ाई का उपयोग करके वह अपने क्षेत्र का बेहतर विकास कर सकती हैं.
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जीतने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी करेंगी पेश
उर्वशी सिंह यादव ने कहा कि अगर वह जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में जीत हासिल करती हैं तो निश्चित रूप से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भी दावेदारी पेश करेंगी. उनकी प्राथमिकता में सड़क शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य जैसी व्यवस्था को ठीक करना है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्र की जनता उनके ससुर स्वर्गीय पारसनाथ यादव के काम का जिक्र करती है. वह बताती हैं कि उनके ससुर ने भी अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत पंचायत चुनाव से ही की थी.