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जौनपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग प्रवासी मजदूरों की मदद कर मना रहे ईद - मुस्लिम समुदाय के लोग मजदूरों की कर रहे मदद

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग ईद का त्योहार प्रवासी मजदूरों की मदद करके मना रहे हैं. उनका कहना है कि इंसानियत से बड़ा त्योहार कोई नहीं है.

muslim community providing food to workers
मजदूरों को खाना दे रहा मुस्लिम समुदाय
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Published : May 24, 2020, 10:48 AM IST

जौनपुर: कोरोना काल में लोगों के रहन-सहन के तरीकों में बड़ा बदलाव हो चुका है. वहीं त्योहारों को मनाने के तरीके भी अब बदलने लगे हैं क्योंकि पिछले 2 महीनों से देश में कोरोना वायरस के चलते देश मे लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में इस बार नवरात्र का त्योहार लोगों ने घरों में ही पूजा पाठ करके मनाया तो वहीं जिले में लॉकडाउन के चलते मुस्लिम समुदाय भी इस बार ईद को दूसरों की मदद करके मना रहा है.

मजदूरों को खाना दे रहा मुस्लिम समुदाय

मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे मजदूरों की मदद
हर साल ईद के त्योहार में लोग कपड़े और मीठी सेवइयों से खुशियां मनाते थे, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह त्योहार फीका पड़ गया है. इस बार जौनपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के बचे हुए पैसों से प्रवासी मजदूरों को खाना-पानी और बिस्कुट बांट कर मदद कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से शहर की अटाला मस्जिद पर यह कार्य किया जा रहा है. मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि कोई भी त्योहार खुशियों के लिए मनाया जाता है. इस बार ईद को दूसरों की मदद करके मना रहे हैं, क्योंकि इंसानियत से बड़ा कोई त्योहार नहीं होता है.

इंसानियत से बड़ा कोई त्योहार नहीं
कोई भी त्योहार इंसानी खुशियों के लिए मनाया जाता है. वहीं इस बार ईद त्योहार के मायने बदल गए हैं. कोरोना के चलते देश में 2 महीनों से चल रहे लॉकडाउन के कारण इस बार मुस्लिम समुदाय के लोग ईद नहीं मना रहे हैं. इस बार जौनपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के पैसों से इंसानियत का फर्ज निभा रहे हैं. अटाला मस्जिद से लेकर शाही किले तक मुस्लिमों की कई टोलियां दिन-रात प्रवासी मजदूरों को खाना-पानी से मदद करके ईद की खुशियां मना रहे हैं.

मजदूरों की मदद करने को लेकर क्या कहते हैं मजदूर

अटाला मस्जिद पर प्रवासी मजदूरों को खाना बांट रहे तौफीक अहमद कहते हैं कि ईद का त्योहार खुशियों के लिए मनाया जाता है. इस बार ईद को वह घरों में न मनाकर बल्कि प्रवासी मजदूरों की मदद करके मना रहे हैं. प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे डॉ. सईद कहते हैं कि इस बार ईद को दूसरों की मदद करके मनाया जा रहा है. इसमें बहुत मजा आ रहा है, जिसका कोई अंदाजा नहीं है. सही मायने में असली त्योहार यही है. अटाला मस्जिद की अवैस अहमद काजमी बताते हैं कि वह कई दिनों से प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे हैं. इंसानियत की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है और इस बार वह ईद को इसी रूप में मना रहे हैं.

जौनपुर: कोरोना काल में लोगों के रहन-सहन के तरीकों में बड़ा बदलाव हो चुका है. वहीं त्योहारों को मनाने के तरीके भी अब बदलने लगे हैं क्योंकि पिछले 2 महीनों से देश में कोरोना वायरस के चलते देश मे लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में इस बार नवरात्र का त्योहार लोगों ने घरों में ही पूजा पाठ करके मनाया तो वहीं जिले में लॉकडाउन के चलते मुस्लिम समुदाय भी इस बार ईद को दूसरों की मदद करके मना रहा है.

मजदूरों को खाना दे रहा मुस्लिम समुदाय

मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे मजदूरों की मदद
हर साल ईद के त्योहार में लोग कपड़े और मीठी सेवइयों से खुशियां मनाते थे, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह त्योहार फीका पड़ गया है. इस बार जौनपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के बचे हुए पैसों से प्रवासी मजदूरों को खाना-पानी और बिस्कुट बांट कर मदद कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से शहर की अटाला मस्जिद पर यह कार्य किया जा रहा है. मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि कोई भी त्योहार खुशियों के लिए मनाया जाता है. इस बार ईद को दूसरों की मदद करके मना रहे हैं, क्योंकि इंसानियत से बड़ा कोई त्योहार नहीं होता है.

इंसानियत से बड़ा कोई त्योहार नहीं
कोई भी त्योहार इंसानी खुशियों के लिए मनाया जाता है. वहीं इस बार ईद त्योहार के मायने बदल गए हैं. कोरोना के चलते देश में 2 महीनों से चल रहे लॉकडाउन के कारण इस बार मुस्लिम समुदाय के लोग ईद नहीं मना रहे हैं. इस बार जौनपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के पैसों से इंसानियत का फर्ज निभा रहे हैं. अटाला मस्जिद से लेकर शाही किले तक मुस्लिमों की कई टोलियां दिन-रात प्रवासी मजदूरों को खाना-पानी से मदद करके ईद की खुशियां मना रहे हैं.

मजदूरों की मदद करने को लेकर क्या कहते हैं मजदूर

अटाला मस्जिद पर प्रवासी मजदूरों को खाना बांट रहे तौफीक अहमद कहते हैं कि ईद का त्योहार खुशियों के लिए मनाया जाता है. इस बार ईद को वह घरों में न मनाकर बल्कि प्रवासी मजदूरों की मदद करके मना रहे हैं. प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे डॉ. सईद कहते हैं कि इस बार ईद को दूसरों की मदद करके मनाया जा रहा है. इसमें बहुत मजा आ रहा है, जिसका कोई अंदाजा नहीं है. सही मायने में असली त्योहार यही है. अटाला मस्जिद की अवैस अहमद काजमी बताते हैं कि वह कई दिनों से प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे हैं. इंसानियत की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है और इस बार वह ईद को इसी रूप में मना रहे हैं.

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