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आर्थिक तंगी ने किया ऑनलाइन क्लास से दूर, मोहल्ला क्लास से लौटा चेहरे पर नूर

मोहल्ला क्लास को सफल बनाने में परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों का तो हाथ है ही. साथ ही गांव की एक युवती भी इसमें भरपूर सहयोग कर रही है. देखिए ये खास रिपोर्ट-

जौनपुर का मोहल्ला क्लास.
जौनपुर का मोहल्ला क्लास.
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Published : Jan 6, 2021, 3:18 PM IST

जौनपुर: कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में परिषदीय विद्यालयों को बंद कर दिया गया था. रवैश्विक महामारी के खौफ से महीनों तक विद्यालय बंद रहे. छात्रों के पठन-पाठन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ऑनलाइन क्लास का संचालन किया गया. मगर, परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के होते हैं. उनके घर में स्मार्टफोन होना बड़ा मुश्किल है. इस वजह से वे ऑनलाइन शिक्षा भी ग्रहण नहींं कर सके. इसे देखते हुए कुछ दिनों बाद मोहल्ला क्लास की व्यवस्था की गई. गांव में ही निर्धारित संख्या में बच्चों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए शिक्षा दी जा रही है. इससे सैकड़ों बच्चों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. यह मोहल्ला क्लास जौनपुर जिले के लाइन बाजार थाना क्षेत्र स्थित गहोरा गांव में संचालित की जा रही हैं.

लॉकडाउन में मोहल्ला क्लास बना छात्रों के शिक्षा का साधन.
लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लास की थी वैकल्पिक व्यवस्था लॉकडाउन में जब लंबे समय तक विद्यालय बंद रहे तो विभाग द्वारा ऑनलाइन क्लास का संचालन किया गया. जिन परिवारों के पास स्मार्टफोन था, उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जोड़ा गया. इसके बाद उन्हें पठन-पाठन से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराई गई. लेकिन, ज्यादातर अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं थे. इस वजह से सभी बच्चों तक पठन सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती थी. व्हाट्सएप ग्रुप में भी कम संख्या में अभिभावक जुड़े थे. इसी वजह से ऑनलाइन क्लास का लाभ बहुत कम छात्रों को मिल पाया.
मोहल्ला क्लास में बच्चों का हैंड सैनिटाइजेशन.
मोहल्ला क्लास में बच्चों का हैंड सैनिटाइजेशन.
स्मार्टफोन नहीं होने से प्रभावित हुई पढ़ाई जौनपुर में परिषदीय विद्यालयों के साथ-साथ इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र भी मोहल्ला स्कूल में पढ़ने आते हैं. अभिनव प्राथमिक विद्यालय गहोरा की तीसरी क्लास में पढ़ने वाले छात्र आदित्य मायूस होकर बताते हैं कि लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के कारण पढ़ाई नहीं हो पाती थी. घर में एंड्राइड फोन (स्मार्टफोन) नहीं होने से वह पढ़ाई से दूर हो गए थे. स्कूल की टीचर मोबाइल से पढ़ाती थीं. आदित्य के परिवार में कोई फोन नहीं था. इससे वह ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाए. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद वह नियमित रूप से पढ़ रहे हैं. अब वे पढ़ाई में समस्या होने पर टीचर से सीधे पूछ लेते हैं.
मोहल्ला कक्षा में बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका.
मोहल्ला कक्षा में बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका.
पिता करते हैं मजदूरी, घर में नहीं मोबाइल फोन पांचवी कक्षा की छात्रा शबनम ने भी लॉकडाउन के दौरान का अपना अनुभव बताया. शबनम ने बताया कि जिस परिषदीय विद्यालय में वह पढ़ने जाती थीं, लॉकडाउन के कारण उसे बंद कर दिया गया. इससे वह निराश हो गईं. इसके बाद टीचर ने मोबाइल फोन से ऑनलाइन क्लास संचालित करना शुरू कर दिया. इससे शबनम और हताश हो गईं. आर्थिक रूप से संपन्न नहीं होने के कारण शबनम के घर में मोबाइल फोन नहीं था. शबनम के पिता मजदूर हैं. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद शबनम के चेहरे पर भी रौनक लौट आई है.
स्कूल बंद होने के बाद मोहल्ला क्लास अटेंड कर रहे बच्चे.
स्कूल बंद होने के बाद मोहल्ला क्लास अटेंड कर रहे बच्चे.
इंटरनेट की समस्या ने किया ऑनलाइन क्लास से दूरपहली कक्षा में पढ़ने वाले छात्र डेविड ने बताया कि लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लास शुरू की गई, तो वह पढ़ाई से दूर हो गए. डेविड के घर में फोन तो था मगर उसमें इंटरनेट की उपलब्धता नहीं थी. इंटरनेट रिचार्ज की कमी के कारण ऑनलाइन क्लासेस अटेंड नहीं कर पाते थे. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद से डेविड रोजाना क्लास अटेंड करते हैं. डेविड इस बात से खुश हैं कि मोहल्ला क्लास चलने से उनकी पढ़ाई नियमित रूप से होने लगी है.
पढ़ने आ रहे स्कूली छात्र.
पढ़ने आ रहे स्कूली छात्र.

मोहल्ला क्लास में सहयोग करती हैं गांव की युवती
मोहल्ला क्लास को सफल बनाने में परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों के साथ ही गांव की युवती भी सहयोग कर रही है. पिछले सत्र में सावित्री ने अपनी बीटीसी की ट्रेनिंग अभिनव इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय गहोरा से की थी. अब वह यहां के बच्चों से लगाव के कारण मोहल्ला क्लास में शिक्षकों का सहयोग करने आ जाती हैं. मोहल्ला क्लास में वह बच्चों को बेसिक जानकारियां देती हैं. सावित्री कहती हैं कि ऑनलाइन क्लास के कारण बहुत से बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए थे. अब मोहल्ला क्लास संचालित हो रही है, तो बच्चे खुश होकर इसे नियमित अटेंड करने आते हैं. सावित्री भी खूब मन लगाकर बच्चों को पढ़ाती हैं.

मोहल्ला क्लास से बच्चों की उत्सुकता बढ़ी
स्कूल की सहायक अध्यापिका मीरा यादव बताती हैं कि मोहल्ला क्लास संचालित होने से बच्चों के अंदर उत्सुकता फिर से बढ़ गई है. नियमित रूप से बच्चे आते हैं. परिषदीय विद्यालय के स्टाफ द्वारा बच्चों के हैंड सेनिटाइज कराकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया जाता है. ऑनलाइन क्लास के कारण थोड़ी दूरी हो गई थी. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद बच्चे फिर से पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.

ऑनलाइन क्लास के परिणाम थे निराशाजनक
प्रधानाध्यापिका निशा सिंह बताती हैं कि पिछले सत्र में उनके पास 200 से अधिक छात्र थे. लॉकडाउन के बाद शुरू ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था विद्यालय में भी शुरू की गई, मगर इसके परिणाम निराशाजनक रहे. ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं था. बहुत से बच्चों के पास स्मार्टफोन था, मगर इंटरनेट कनेक्शन नहीं था. ऐसे में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ने आ रहै हैं. उन्होंने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए कभी-कभी कुछ बच्चों को वापस भी करना पड़ता है. शिफ्ट बनाकर बच्चों को बुलाया जाता है.

मोहल्ला क्लास ने अभिभावकों के चहरे भी खिले
तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा शबनम की माता बदामा देवी बताती हैं कि उनके परिवार में मोबाइल फोन नहीं है. इसके कारण बच्ची मोबाइल ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाती थी. इससे वह दुखी भी रहती थी. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि मोबाइल फोन खरीद सकें. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद से बेटी की खुशी देखने लायक है.

जौनपुर: कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में परिषदीय विद्यालयों को बंद कर दिया गया था. रवैश्विक महामारी के खौफ से महीनों तक विद्यालय बंद रहे. छात्रों के पठन-पाठन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ऑनलाइन क्लास का संचालन किया गया. मगर, परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के होते हैं. उनके घर में स्मार्टफोन होना बड़ा मुश्किल है. इस वजह से वे ऑनलाइन शिक्षा भी ग्रहण नहींं कर सके. इसे देखते हुए कुछ दिनों बाद मोहल्ला क्लास की व्यवस्था की गई. गांव में ही निर्धारित संख्या में बच्चों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए शिक्षा दी जा रही है. इससे सैकड़ों बच्चों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. यह मोहल्ला क्लास जौनपुर जिले के लाइन बाजार थाना क्षेत्र स्थित गहोरा गांव में संचालित की जा रही हैं.

लॉकडाउन में मोहल्ला क्लास बना छात्रों के शिक्षा का साधन.
लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लास की थी वैकल्पिक व्यवस्था लॉकडाउन में जब लंबे समय तक विद्यालय बंद रहे तो विभाग द्वारा ऑनलाइन क्लास का संचालन किया गया. जिन परिवारों के पास स्मार्टफोन था, उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जोड़ा गया. इसके बाद उन्हें पठन-पाठन से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराई गई. लेकिन, ज्यादातर अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं थे. इस वजह से सभी बच्चों तक पठन सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती थी. व्हाट्सएप ग्रुप में भी कम संख्या में अभिभावक जुड़े थे. इसी वजह से ऑनलाइन क्लास का लाभ बहुत कम छात्रों को मिल पाया.
मोहल्ला क्लास में बच्चों का हैंड सैनिटाइजेशन.
मोहल्ला क्लास में बच्चों का हैंड सैनिटाइजेशन.
स्मार्टफोन नहीं होने से प्रभावित हुई पढ़ाई जौनपुर में परिषदीय विद्यालयों के साथ-साथ इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र भी मोहल्ला स्कूल में पढ़ने आते हैं. अभिनव प्राथमिक विद्यालय गहोरा की तीसरी क्लास में पढ़ने वाले छात्र आदित्य मायूस होकर बताते हैं कि लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के कारण पढ़ाई नहीं हो पाती थी. घर में एंड्राइड फोन (स्मार्टफोन) नहीं होने से वह पढ़ाई से दूर हो गए थे. स्कूल की टीचर मोबाइल से पढ़ाती थीं. आदित्य के परिवार में कोई फोन नहीं था. इससे वह ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाए. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद वह नियमित रूप से पढ़ रहे हैं. अब वे पढ़ाई में समस्या होने पर टीचर से सीधे पूछ लेते हैं.
मोहल्ला कक्षा में बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका.
मोहल्ला कक्षा में बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका.
पिता करते हैं मजदूरी, घर में नहीं मोबाइल फोन पांचवी कक्षा की छात्रा शबनम ने भी लॉकडाउन के दौरान का अपना अनुभव बताया. शबनम ने बताया कि जिस परिषदीय विद्यालय में वह पढ़ने जाती थीं, लॉकडाउन के कारण उसे बंद कर दिया गया. इससे वह निराश हो गईं. इसके बाद टीचर ने मोबाइल फोन से ऑनलाइन क्लास संचालित करना शुरू कर दिया. इससे शबनम और हताश हो गईं. आर्थिक रूप से संपन्न नहीं होने के कारण शबनम के घर में मोबाइल फोन नहीं था. शबनम के पिता मजदूर हैं. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद शबनम के चेहरे पर भी रौनक लौट आई है.
स्कूल बंद होने के बाद मोहल्ला क्लास अटेंड कर रहे बच्चे.
स्कूल बंद होने के बाद मोहल्ला क्लास अटेंड कर रहे बच्चे.
इंटरनेट की समस्या ने किया ऑनलाइन क्लास से दूरपहली कक्षा में पढ़ने वाले छात्र डेविड ने बताया कि लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लास शुरू की गई, तो वह पढ़ाई से दूर हो गए. डेविड के घर में फोन तो था मगर उसमें इंटरनेट की उपलब्धता नहीं थी. इंटरनेट रिचार्ज की कमी के कारण ऑनलाइन क्लासेस अटेंड नहीं कर पाते थे. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद से डेविड रोजाना क्लास अटेंड करते हैं. डेविड इस बात से खुश हैं कि मोहल्ला क्लास चलने से उनकी पढ़ाई नियमित रूप से होने लगी है.
पढ़ने आ रहे स्कूली छात्र.
पढ़ने आ रहे स्कूली छात्र.

मोहल्ला क्लास में सहयोग करती हैं गांव की युवती
मोहल्ला क्लास को सफल बनाने में परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों के साथ ही गांव की युवती भी सहयोग कर रही है. पिछले सत्र में सावित्री ने अपनी बीटीसी की ट्रेनिंग अभिनव इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय गहोरा से की थी. अब वह यहां के बच्चों से लगाव के कारण मोहल्ला क्लास में शिक्षकों का सहयोग करने आ जाती हैं. मोहल्ला क्लास में वह बच्चों को बेसिक जानकारियां देती हैं. सावित्री कहती हैं कि ऑनलाइन क्लास के कारण बहुत से बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए थे. अब मोहल्ला क्लास संचालित हो रही है, तो बच्चे खुश होकर इसे नियमित अटेंड करने आते हैं. सावित्री भी खूब मन लगाकर बच्चों को पढ़ाती हैं.

मोहल्ला क्लास से बच्चों की उत्सुकता बढ़ी
स्कूल की सहायक अध्यापिका मीरा यादव बताती हैं कि मोहल्ला क्लास संचालित होने से बच्चों के अंदर उत्सुकता फिर से बढ़ गई है. नियमित रूप से बच्चे आते हैं. परिषदीय विद्यालय के स्टाफ द्वारा बच्चों के हैंड सेनिटाइज कराकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया जाता है. ऑनलाइन क्लास के कारण थोड़ी दूरी हो गई थी. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद बच्चे फिर से पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.

ऑनलाइन क्लास के परिणाम थे निराशाजनक
प्रधानाध्यापिका निशा सिंह बताती हैं कि पिछले सत्र में उनके पास 200 से अधिक छात्र थे. लॉकडाउन के बाद शुरू ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था विद्यालय में भी शुरू की गई, मगर इसके परिणाम निराशाजनक रहे. ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं था. बहुत से बच्चों के पास स्मार्टफोन था, मगर इंटरनेट कनेक्शन नहीं था. ऐसे में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ने आ रहै हैं. उन्होंने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए कभी-कभी कुछ बच्चों को वापस भी करना पड़ता है. शिफ्ट बनाकर बच्चों को बुलाया जाता है.

मोहल्ला क्लास ने अभिभावकों के चहरे भी खिले
तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा शबनम की माता बदामा देवी बताती हैं कि उनके परिवार में मोबाइल फोन नहीं है. इसके कारण बच्ची मोबाइल ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाती थी. इससे वह दुखी भी रहती थी. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि मोबाइल फोन खरीद सकें. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद से बेटी की खुशी देखने लायक है.

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