जौनपुर: कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में परिषदीय विद्यालयों को बंद कर दिया गया था. रवैश्विक महामारी के खौफ से महीनों तक विद्यालय बंद रहे. छात्रों के पठन-पाठन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ऑनलाइन क्लास का संचालन किया गया. मगर, परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के होते हैं. उनके घर में स्मार्टफोन होना बड़ा मुश्किल है. इस वजह से वे ऑनलाइन शिक्षा भी ग्रहण नहींं कर सके. इसे देखते हुए कुछ दिनों बाद मोहल्ला क्लास की व्यवस्था की गई. गांव में ही निर्धारित संख्या में बच्चों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए शिक्षा दी जा रही है. इससे सैकड़ों बच्चों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. यह मोहल्ला क्लास जौनपुर जिले के लाइन बाजार थाना क्षेत्र स्थित गहोरा गांव में संचालित की जा रही हैं.
मोहल्ला क्लास में सहयोग करती हैं गांव की युवती
मोहल्ला क्लास को सफल बनाने में परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों के साथ ही गांव की युवती भी सहयोग कर रही है. पिछले सत्र में सावित्री ने अपनी बीटीसी की ट्रेनिंग अभिनव इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय गहोरा से की थी. अब वह यहां के बच्चों से लगाव के कारण मोहल्ला क्लास में शिक्षकों का सहयोग करने आ जाती हैं. मोहल्ला क्लास में वह बच्चों को बेसिक जानकारियां देती हैं. सावित्री कहती हैं कि ऑनलाइन क्लास के कारण बहुत से बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए थे. अब मोहल्ला क्लास संचालित हो रही है, तो बच्चे खुश होकर इसे नियमित अटेंड करने आते हैं. सावित्री भी खूब मन लगाकर बच्चों को पढ़ाती हैं.
मोहल्ला क्लास से बच्चों की उत्सुकता बढ़ी
स्कूल की सहायक अध्यापिका मीरा यादव बताती हैं कि मोहल्ला क्लास संचालित होने से बच्चों के अंदर उत्सुकता फिर से बढ़ गई है. नियमित रूप से बच्चे आते हैं. परिषदीय विद्यालय के स्टाफ द्वारा बच्चों के हैंड सेनिटाइज कराकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया जाता है. ऑनलाइन क्लास के कारण थोड़ी दूरी हो गई थी. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद बच्चे फिर से पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.
ऑनलाइन क्लास के परिणाम थे निराशाजनक
प्रधानाध्यापिका निशा सिंह बताती हैं कि पिछले सत्र में उनके पास 200 से अधिक छात्र थे. लॉकडाउन के बाद शुरू ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था विद्यालय में भी शुरू की गई, मगर इसके परिणाम निराशाजनक रहे. ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं था. बहुत से बच्चों के पास स्मार्टफोन था, मगर इंटरनेट कनेक्शन नहीं था. ऐसे में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ने आ रहै हैं. उन्होंने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए कभी-कभी कुछ बच्चों को वापस भी करना पड़ता है. शिफ्ट बनाकर बच्चों को बुलाया जाता है.
मोहल्ला क्लास ने अभिभावकों के चहरे भी खिले
तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा शबनम की माता बदामा देवी बताती हैं कि उनके परिवार में मोबाइल फोन नहीं है. इसके कारण बच्ची मोबाइल ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाती थी. इससे वह दुखी भी रहती थी. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि मोबाइल फोन खरीद सकें. मोहल्ला क्लास शुरू होने के बाद से बेटी की खुशी देखने लायक है.