जौनपुर: लॉकडाउन के चलते जहां बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं, तो वहीं सरकार ने मनरेगा के तहत गांव में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काम शुरू करने की अनुमति दे दी है. सरकार की अनुमति मिलने के 10 दिन बाद भी जौनपुर में कई जगहों पर मनरेगा का काम शुरू नहीं हो सका.
रोजगार सेवकों पर लगा लापरवाही का आरोप
प्रधानों के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई से वे नाराज थे. इसलिए प्रधानों ने जिले में मनरेगा के काम से अपना हाथ पीछे खींच लिया. लेकिन अब जिला प्रशासन मनरेगा के तहत रोजगार सृजन के लिए रखे गए रोजगार सेवकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. साथ ही 426 रोजगार सेवकों के खिलाफ नोटिस जारी कर उनसे इसका जवाब भी मांगा गया है. मनरेगा के तहत रोजगार सृजन से ही गांव में बेरोजगार मजदूरों को रोजगार मिलता है.
जनपद में 1010 हैं रोजगार सेवक
प्रशासन के अधिकारी मनरेगा के तहत काम शुरू न हो पाने के लिए प्रधानों को नहीं बल्कि रोजगार सेवकों को जिम्मेदार मान रहे हैं. जनपद में 1010 रोजगार सेवक हैं, ऐसे में अब जिला प्रशासन ने 426 रोजगार सेवक के खिलाफ नोटिस जारी किया है और उनसे काम शुरू न करा पाने के लिए जवाब भी मांगा है.
मनरेगा के उपायुक्त भूपेंद्र सिंह ने बताया कि रोजगार सेवकों को गांव में रोजगार सृजन कराने के लिए रखा गया है. वहीं जनपद में 10 दिनों तक कोई भी काम शुरू न करा पाने वाले 426 रोजगार सेवकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.