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30 साल बाद घर लौटा बेटा, मां-बाप के छलके खुशी के आंसू

जौनपुर में एक मां-बाप ने 30 सालों के बाद अपने बेटे को देखा. 16 साल की उम्र में घर से गुस्सा होकर जाने वाला बेटा अपने मां-बाप के पास वापस आ गया. बेटे को देखकर मां-बाप के खुशी के आंसू छलक गए.

30 साल बाद बेटे से मिले मां-बाप
30 साल बाद बेटे से मिले मां-बाप
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Published : Apr 10, 2021, 7:15 AM IST

जौनपुर: जिले में 30 सालों बाद एक बेटा अपने मां-बाप से मिला. 30 सालों बाद अपने बेटे को देखकर मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं था. उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उनका बेटा उनके सामने खड़ा है.

यह पूरा मामला 11 नवम्बर 1991 का है. जब एक गांव के निवासी कृष्ण चन्द्र तिवारी (गुड्डू) किसी बात से नाराज होकर घर से कहीं चला गया था. इकलौते पुत्र के घर से नाराज होकर कहीं चले जाने से माता पिता परेशान हो गए. कई वर्षों तक वह बेटे की तलाश करते रहे. बेटे की तलाश में उन्होंने मन्दिरों पर मत्था टेका. साधू, सन्तों के अलावा पण्डितों और तान्त्रिकों के यहां भी फरियाद लगाई, लेकिन फिर भी उन्हें उनका बेटा नहीं मिला.

यह भी पढ़ें: महिला सीट आरक्षित होने पर हुआ चट मंगनी पट ब्याह, अब मुंह दिखाई में मांग रहे वोट

सपने में देखा पिता की मौत

गुस्सा होकर गए कृष्ण चन्द घर से निकलकर किसी तरह दिल्ली शहर पहुंच गए और मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालने लगे. दिल्ली में ही आशियाना बनाने का ख्वाब लिए वह जीवन से संघर्ष करते रहे और कामयाब भी हो गए. उनका छोटा सा व्यापार चल पड़ा. इस बीच उन्होंने शादी भी कर ली. वह तीन बच्चों के पिता भी बन गए. समय चक्र के साथ ही उन्होंने अपनी जन्मभूमि और मां-बाप को यादों से भुला दिया. लेकिन फिर एक रात उन्होंने सपने में पिता की मृत्यु देखी और वो बेचैन हो उठे.

मां-बाप को मिला उनका बेटा

उन्होंने अपने पड़ोसी मित्र वीर से सारी बात बताने के बाद पिता की सुध लेने के लिए कहा. जिसके बाद उनके मित्र वीर सिंह ने अपने रिश्तेदार सन्टू सिंह को कृष्ण के घर भेजते हैं. सन्टू कृष्ण के परिजनों को सारी जानकारी देता है. बेटे की खबर मिलते ही बूढ़े माता-पिता खुशी से झूम उठते हैं. जिसके बाद पड़ोस के लोग कार से दिल्ली जाकर कृष्ण चन्द तिवारी को घर ले आते हैं. तीस वर्षों से बिछड़े बेटे को देखते ही मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू छलक आते हैं.

जौनपुर: जिले में 30 सालों बाद एक बेटा अपने मां-बाप से मिला. 30 सालों बाद अपने बेटे को देखकर मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं था. उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उनका बेटा उनके सामने खड़ा है.

यह पूरा मामला 11 नवम्बर 1991 का है. जब एक गांव के निवासी कृष्ण चन्द्र तिवारी (गुड्डू) किसी बात से नाराज होकर घर से कहीं चला गया था. इकलौते पुत्र के घर से नाराज होकर कहीं चले जाने से माता पिता परेशान हो गए. कई वर्षों तक वह बेटे की तलाश करते रहे. बेटे की तलाश में उन्होंने मन्दिरों पर मत्था टेका. साधू, सन्तों के अलावा पण्डितों और तान्त्रिकों के यहां भी फरियाद लगाई, लेकिन फिर भी उन्हें उनका बेटा नहीं मिला.

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सपने में देखा पिता की मौत

गुस्सा होकर गए कृष्ण चन्द घर से निकलकर किसी तरह दिल्ली शहर पहुंच गए और मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालने लगे. दिल्ली में ही आशियाना बनाने का ख्वाब लिए वह जीवन से संघर्ष करते रहे और कामयाब भी हो गए. उनका छोटा सा व्यापार चल पड़ा. इस बीच उन्होंने शादी भी कर ली. वह तीन बच्चों के पिता भी बन गए. समय चक्र के साथ ही उन्होंने अपनी जन्मभूमि और मां-बाप को यादों से भुला दिया. लेकिन फिर एक रात उन्होंने सपने में पिता की मृत्यु देखी और वो बेचैन हो उठे.

मां-बाप को मिला उनका बेटा

उन्होंने अपने पड़ोसी मित्र वीर से सारी बात बताने के बाद पिता की सुध लेने के लिए कहा. जिसके बाद उनके मित्र वीर सिंह ने अपने रिश्तेदार सन्टू सिंह को कृष्ण के घर भेजते हैं. सन्टू कृष्ण के परिजनों को सारी जानकारी देता है. बेटे की खबर मिलते ही बूढ़े माता-पिता खुशी से झूम उठते हैं. जिसके बाद पड़ोस के लोग कार से दिल्ली जाकर कृष्ण चन्द तिवारी को घर ले आते हैं. तीस वर्षों से बिछड़े बेटे को देखते ही मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू छलक आते हैं.

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