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75 घर और 51 IAS-PCS, तो भैया ये है भारत का अफसरों वाला गांव !

यूपी के जौनपुर जिले में स्थित माधव पट्टी ऐसा गांव है, जो देश भर में आईएएस अधिकारियों की जननी के रूप में विख्यात है. 75 घरों वाले इस गांव के हर परिवार में आईएएस, पीसीएस और आईपीएस अधिकारी हैं.

सबसे ज्यादा आईएएस-पीसीएस अधिकारी देने वाला गावं माधवपट्टी.
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Published : Jul 31, 2019, 1:54 PM IST

जौनपुर: जनपद के माधव पट्टी गांव ने पूरे देश को इतने आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं, जितने भारत के किसी अन्य गांव ने शायद ही दिए हों. इस गांव के बारे में कहावत मशहूर है कि 'यहां की मिट्टी इतनी उपजाऊ है, जिससे सिर्फ आईएएस और आईपीएस अफसर ही पैदा होते हैं.' देश में इस गांव की पहचान अफसरों वाले गांव के रूप में स्थापित हो चुकी है. महज 75 घरों वाले इस गांव में मौजूदा वक्त में 51 अधिकारी हैं, जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गांव से अधिकारी बनने का यह सिलसिला 1952 से शुरू हुआ जो अब तक जारी है.

सबसे ज्यादा आईएएस, पीसीएस अधिकारी देने वाला गांव माधवपट्टी.

साल 1952 में गांव से बना पहला आईएएस अधिकारी

  • जनपद के जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर माधव पट्टी गांव आज पूरे देश में अधिकारियों के गांव के नाम से मशहूर है.
  • गांव में अधिकारी बनने की शुरुआत आजादी के बाद साल 1952 में हुई जब इंदु प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की.
  • इसके बाद यह सिलसिला चल निकला जो अब तक चल रहा है.
  • इंदु प्रकाश सिंह के चार भाई आईएएस बन चुके हैं.
  • इस गांव के 75 घरों में अब तक 51 आईएएस और आईपीएस अधिकारी हो चुके हैं.
  • साथ ही इस गांव की धरती पर वैज्ञानिक भी पैदा हुए हैं जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.
  • गांव की मिट्टी में पलने वाला हर युवा आज अधिकारी बनना चाहता है, जिसकी शुरुआत पाठशाला में ही हो जाती है.

आजादी के बाद हमारे परिवार में इंदु प्रकाश सिंह सबसे पहले आईएस बने. इसके बाद परिवार में अब तक कुल 14 आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन चुके हैं.
- सजल सिंह, रिटायर्ड प्रोफेसर

हमारे परिवार की सुमित्रा सिंह ने गांव में अपने घर में पाठशाला की शुरुआत की थी. इस पाठशाला में पढ़कर ही सबसे पहले इंदु प्रकाश सिंह आईएएस बने. इतने अधिकारी देने के चलते आज यह गांव पूरे देश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की जननी कहा जाता है.
- शशि सिंह, शिक्षिका

जौनपुर: जनपद के माधव पट्टी गांव ने पूरे देश को इतने आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं, जितने भारत के किसी अन्य गांव ने शायद ही दिए हों. इस गांव के बारे में कहावत मशहूर है कि 'यहां की मिट्टी इतनी उपजाऊ है, जिससे सिर्फ आईएएस और आईपीएस अफसर ही पैदा होते हैं.' देश में इस गांव की पहचान अफसरों वाले गांव के रूप में स्थापित हो चुकी है. महज 75 घरों वाले इस गांव में मौजूदा वक्त में 51 अधिकारी हैं, जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गांव से अधिकारी बनने का यह सिलसिला 1952 से शुरू हुआ जो अब तक जारी है.

सबसे ज्यादा आईएएस, पीसीएस अधिकारी देने वाला गांव माधवपट्टी.

साल 1952 में गांव से बना पहला आईएएस अधिकारी

  • जनपद के जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर माधव पट्टी गांव आज पूरे देश में अधिकारियों के गांव के नाम से मशहूर है.
  • गांव में अधिकारी बनने की शुरुआत आजादी के बाद साल 1952 में हुई जब इंदु प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की.
  • इसके बाद यह सिलसिला चल निकला जो अब तक चल रहा है.
  • इंदु प्रकाश सिंह के चार भाई आईएएस बन चुके हैं.
  • इस गांव के 75 घरों में अब तक 51 आईएएस और आईपीएस अधिकारी हो चुके हैं.
  • साथ ही इस गांव की धरती पर वैज्ञानिक भी पैदा हुए हैं जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.
  • गांव की मिट्टी में पलने वाला हर युवा आज अधिकारी बनना चाहता है, जिसकी शुरुआत पाठशाला में ही हो जाती है.

आजादी के बाद हमारे परिवार में इंदु प्रकाश सिंह सबसे पहले आईएस बने. इसके बाद परिवार में अब तक कुल 14 आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन चुके हैं.
- सजल सिंह, रिटायर्ड प्रोफेसर

हमारे परिवार की सुमित्रा सिंह ने गांव में अपने घर में पाठशाला की शुरुआत की थी. इस पाठशाला में पढ़कर ही सबसे पहले इंदु प्रकाश सिंह आईएएस बने. इतने अधिकारी देने के चलते आज यह गांव पूरे देश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की जननी कहा जाता है.
- शशि सिंह, शिक्षिका

Intro:जौनपुर।। जनपद का माधव पट्टी गांव पूरे देश को इतने आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं जितने भारत के किसी अन्य गांवों में अब तक शायद दिए हो। कहा जाता है कि इस गांव की मिट्टी इतनी उपजाऊ है जहां सिर्फ आईएएस और आईपीएस अफसर ही पैदा होते हैं। पूरे जिले में इस गांव को अफसरों वाला गांव कहते हैं। इस गांव में महज 75 घर हैं लेकिन यहां पर आज अधिकारियों की संख्या 51 है जो देश ही नहीं विदेश में भी अपनी सेवा दे दे रहे हैं। गांव से अधिकारी बनने का सिलसिला 1917 से शुरू हुआ फिर यह सिलसिला आज तक नहीं रुका। आजादी के बाद 1952 में सबसे पहले इंदु प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा में देश में दूसरा रैंक हासिल किया । उनके बाद यह सिलसिला आज तक अनवरत चलता रहा है।


Body:वीओ।। जनपद के जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर माधव पट्टी गांव आज पूरे देश में अधिकारियों के गांव के नाम से मशहूर है । इस गांव ने जितने आईएएस और आईपीएस अधिकारी दीये है शायद ही पूरे देश में किसी गांव ने दिए हो। गांव में अधिकारी बनने की शुरुआत आजादी के बाद 1952 में हुई जब इंदु प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा में दूसरा रैंक हासिल किया। उनके बाद यह सिलसिला चल निकला जो आज तक नहीं रुका। खुद इंदु प्रकाश सिंह के चार भाई आईएएस बन चुके हैं। वही इस गांव के 75 घरों में अब तक 51 आईएएस और आईपीएस अधिकारी हो चुके हैं। वही इस गांव की धरती पर वैज्ञानिक भी पैदा हुए हैं जो देश ही नहीं विदेश में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। गांव की मिट्टी में पलने वाला हर युवा आज अधिकारी बनना चाहता है जिसकी शुरुआत पाठशाला में ही हो जाती है।


Conclusion:गांव की सजल कुमार सिंह टीडी कॉलेज में इतिहास के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। वह बताते हैं आजादी के बाद उनके परिवार में इंदु प्रकाश सिंह सबसे पहले आईएस बने, जिसके बाद एक के बाद एक अधिकारी उनके परिवार में बने । कुल 14 आईएएस और आईपीएस अधिकारी उनके परिवार में है।

बाइट-सजल कुमार सिंह- रिटायर प्रोफेसर

गांव के प्राथमिक पाठशाला में पढ़ाने वाली शशी सिंह बताती है उनके परिवार की सुमित्रा सिंह ने गांव में अपने घर में पाठशाला की शुरुआत की जिसमें पढ़कर ही सबसे पहले इंदु प्रकाश सिंह आईएएस बने । जिसके बाद एक के बाद एक अधिकारी बनते गए ।आज यह गांव पूरे देश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की जननी कहा जाता है।

बाइट-शशि सिंह- अध्यापिका

पीटीसी

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