जौनपुर: जनपद के माधव पट्टी गांव ने पूरे देश को इतने आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं, जितने भारत के किसी अन्य गांव ने शायद ही दिए हों. इस गांव के बारे में कहावत मशहूर है कि 'यहां की मिट्टी इतनी उपजाऊ है, जिससे सिर्फ आईएएस और आईपीएस अफसर ही पैदा होते हैं.' देश में इस गांव की पहचान अफसरों वाले गांव के रूप में स्थापित हो चुकी है. महज 75 घरों वाले इस गांव में मौजूदा वक्त में 51 अधिकारी हैं, जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गांव से अधिकारी बनने का यह सिलसिला 1952 से शुरू हुआ जो अब तक जारी है.
साल 1952 में गांव से बना पहला आईएएस अधिकारी
- जनपद के जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर माधव पट्टी गांव आज पूरे देश में अधिकारियों के गांव के नाम से मशहूर है.
- गांव में अधिकारी बनने की शुरुआत आजादी के बाद साल 1952 में हुई जब इंदु प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की.
- इसके बाद यह सिलसिला चल निकला जो अब तक चल रहा है.
- इंदु प्रकाश सिंह के चार भाई आईएएस बन चुके हैं.
- इस गांव के 75 घरों में अब तक 51 आईएएस और आईपीएस अधिकारी हो चुके हैं.
- साथ ही इस गांव की धरती पर वैज्ञानिक भी पैदा हुए हैं जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.
- गांव की मिट्टी में पलने वाला हर युवा आज अधिकारी बनना चाहता है, जिसकी शुरुआत पाठशाला में ही हो जाती है.
आजादी के बाद हमारे परिवार में इंदु प्रकाश सिंह सबसे पहले आईएस बने. इसके बाद परिवार में अब तक कुल 14 आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन चुके हैं.
- सजल सिंह, रिटायर्ड प्रोफेसर
हमारे परिवार की सुमित्रा सिंह ने गांव में अपने घर में पाठशाला की शुरुआत की थी. इस पाठशाला में पढ़कर ही सबसे पहले इंदु प्रकाश सिंह आईएएस बने. इतने अधिकारी देने के चलते आज यह गांव पूरे देश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की जननी कहा जाता है.
- शशि सिंह, शिक्षिका