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जौनपुर: अपनी मांगों को लेकर गोंड समाज ने किया विरोध प्रदर्शन, एडीएम को सौंपा ज्ञापन - प्रमाणपत्र न मिलने से गोंड समाज नाराज

उत्तर प्रदेश में गोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति में साल 2002 में शामिल किया गया था. गोंड जातियां एवं उनके पांच उपजातियां धुरी, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को जौनपुर समेत 13 जिलों में अभी तक प्रमाणपत्र नहीं मिला है, जिसके विरोध में गोंड समाज के लोगों ने एडीएम से मुलाकात की.

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गोंड समाज ने किया विरोध प्रदर्शन.
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Published : Dec 27, 2019, 10:27 AM IST

जौनपुर: जिला कलेक्ट्रेट परिसर में गोंड समाज के दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 2002 में सरकार द्वारा राजपत्र जारी कर गोंड जाति को अनूसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, लेकिन जौनपुर समेत 13 जिले में अभी तक गोंड समाज के लोगों को प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया है.

गोंड समाज ने किया विरोध प्रदर्शन.

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते कहा कि अगर प्रशासन जल्द ही कोई फैसला नहीं लेता तो हम जौनपुर की धरती से एक बड़ा आंदोलन करेंगे. प्रमाणपत्र जारी न होने के कारण हमारे बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. प्रमाणपत्र के न होने से हम अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. वहीं सरकार द्वारा जारी स्कॉलरशिप का फायदा भी हमें नहीं मिल पा रहा है.

गोंड समाज के लोगों ने एडीएम से की मुलाकात

  • अपनी मांगों को लेकर गोंड समाज के लोगों ने एडीएम से मिलकर ज्ञापन सौंपा.
  • गोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति में साल 2002 में शामिल किया गया था.
  • जौनपुर के 13 जिलों में अभी तक इन जातियों को प्रमाणपत्र नहीं मिला है.
  • प्रमाणपत्र न मिलने के विरोध में गोंड समाज के लोगों ने अपना विरोध जताया.
  • सरकार की तरफ से उचित कार्रवाई न होने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: ठंड से हो रही गोवशों की मौत, खुले में पड़े पशुओं के शव

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजपत्र जारी कर गोंड समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, जिसमें गोंड समाज की पांच उपजातियां धूरी, नायक, ओझा पठारी एवं राजगोंड को जनपद जौनपुर की तहसीलों से प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे हैं. प्रमाणपत्र के न होने से हमारे बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है, जिसे लेकर हम जौनपुर के एडीएम से मिलकर अपनी मांगों के बारे में बताया है.
-मूलचंद गोंड, प्रदेश महामंत्री, अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा

जौनपुर: जिला कलेक्ट्रेट परिसर में गोंड समाज के दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 2002 में सरकार द्वारा राजपत्र जारी कर गोंड जाति को अनूसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, लेकिन जौनपुर समेत 13 जिले में अभी तक गोंड समाज के लोगों को प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया है.

गोंड समाज ने किया विरोध प्रदर्शन.

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते कहा कि अगर प्रशासन जल्द ही कोई फैसला नहीं लेता तो हम जौनपुर की धरती से एक बड़ा आंदोलन करेंगे. प्रमाणपत्र जारी न होने के कारण हमारे बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. प्रमाणपत्र के न होने से हम अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. वहीं सरकार द्वारा जारी स्कॉलरशिप का फायदा भी हमें नहीं मिल पा रहा है.

गोंड समाज के लोगों ने एडीएम से की मुलाकात

  • अपनी मांगों को लेकर गोंड समाज के लोगों ने एडीएम से मिलकर ज्ञापन सौंपा.
  • गोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति में साल 2002 में शामिल किया गया था.
  • जौनपुर के 13 जिलों में अभी तक इन जातियों को प्रमाणपत्र नहीं मिला है.
  • प्रमाणपत्र न मिलने के विरोध में गोंड समाज के लोगों ने अपना विरोध जताया.
  • सरकार की तरफ से उचित कार्रवाई न होने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: ठंड से हो रही गोवशों की मौत, खुले में पड़े पशुओं के शव

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजपत्र जारी कर गोंड समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, जिसमें गोंड समाज की पांच उपजातियां धूरी, नायक, ओझा पठारी एवं राजगोंड को जनपद जौनपुर की तहसीलों से प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे हैं. प्रमाणपत्र के न होने से हमारे बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है, जिसे लेकर हम जौनपुर के एडीएम से मिलकर अपनी मांगों के बारे में बताया है.
-मूलचंद गोंड, प्रदेश महामंत्री, अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा

Intro:जौनपुर | उत्तर प्रदेश में गोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति में 2002 में शामिल करने के बाद गोंड जातियां एवं उनके पांच उपजातियां धुरी, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को जौनपुर सहित 13 जिलों में जाति प्रमाण पत्र ना बनने को लेकर गोंड समाज के लोग एडीएम से मिलकर अपनी बात रखी साथ ही कहा कि अगर प्रशासन जल्द ही कोई फैसला नहीं लेता तो हम जौनपुर की धरती से एक बड़ा आंदोलन करेंगे. पिछले साल अनुसूचित जनजाति की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रशासन से वार्ता कर कहा था जल्द जारी करने का प्रमाण - पत्र. लोगों का कहना है कि प्रमाण पत्र तहसील से जारी ना होने कारण हमारे बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है, जिसे हम उन्हें उच्च शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं. सरकार द्वारा जारी स्कॉलरशिप का फायदा हमें नहीं मिल पा रहा है.

Body:वीओ - जौनपुर के जिला कलेक्टर परिसर मैं अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा के प्रदेश महामंत्री मूल चंद्र गौड़ के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ता एडीएम से वार्ता के लिए पहुंचे . जिनका कहना था कि 2002 में सरकार द्वारा राजपत्र जारी कर गोंड जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया. उत्तर प्रदेश के 13 जिले जौनपुर सहित जिसके छह तहसील में केराकत, सदर, मड़ियाहूँ, बदलापुर, शाहगंज एवं मछलीशहर तहसील में प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा रहा हैं. जिससे कारण हम लोग एडीएम से वार्ता कर जारी करने का निवेदन करेंगे. अगर वार्ता मैं संतोषजनक जवाब नहीं मिलता तो हम लोग जौनपुर की धरती से एक आंदोलन की शुरुआत करेंगे


Conclusion:अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा के प्रदेश महामंत्री मूलचंद गोंड ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजपत्र जारी कर गोंड समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया. जिसमें गोंड समाज के पांच उपजातियां धूरी, नायक, ओझा पठारी, एवं राजगोंड को जनपद जौनपुर की तहसीलों से प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किए जा रहे हैं. जिसके कारण समाज के बच्चों का एडमिशन एवं शिक्षा प्रभावित हो रहा है. उन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिल पा रही जिससे उनको उच्च शिक्षा से वंचित रह रहे. 2002 से जारी होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में समस्याएं आ रही हैं. जिसको लेकर हम जौनपुर के एडीएम वित्त एवं राजस्व से वार्ता कर प्रभाव में लागू करने का बात करेंगे अगर नहीं मानी जाती है तो हम लोग एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे.

बाईट - मूलचंद गोंड (अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा के प्रदेश महामंत्री)

Notes - खबर रैप से भेजी गई है

Thanks & Regards
Surendra Kumar Gupta
8052323232, 7499077473
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