जौनपुर: गोमती नदी जौनपुर शहर को दो भागों में विभाजित कर बीचों-बीच शहर से होकर बहती है. हालांकि शहर को आपस में जोड़ने के लिए नदी पर तीन पुल बने हुए हैं, जिनमें शाही पुल सबसे ज्यादा पुराना है. इस पुल का निर्माण मुगलिया साम्राज्य के शासक अकबर काल में हुआ था, लेकिन यह पुल आज भी सुचारू रुप से संचालित है. वहीं साल 1974 में गोमती नदी पर बने दूसरे पुल के खंभों में दरारे देखने को मिली हैं. इन दरारों के कारण पुल को खतरे में बताया जा रहा है.
जिला प्रशासन के अनुसार पुल के ऊपर भारी वाहनों का सबसे ज्यादा बोझ है क्योंकि यह पुल आजमगढ़ और गाजीपुर जाने वाले मार्गों को जोड़ता है. अब इस पुल में आई दरारों की लोक निर्माण विभाग जांच कर रहा है. जांच के लिए लखनऊ से एक विशेष मशीन पहुंची है, जिसके जरिए इंजीनियरों ने पुल की जांच शुरू की है. कयास लगाए जा रहे हैं कि जांच के बाद पुल की मरम्मत का काम तेज होगा. ताकि भविष्य में किसी हादसे से बचा जा सके.
उत्तर भारत में लगातार तेज मूसलाधार बारिश से गोमती के जलस्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं 1974 में गोमती पर बने इस नए पुल की हालत काफी खराब है और इस पुल पर भारी वाहनों का सबसे ज्यादा बोझ है, जिसके कारण पुल लगातार जर्जर हो रहा है. पुल के खंभों में दरारें पड़ चुकी हैं. हालांकि लंबे समय से पुल को लेकर मरम्मत की मांग की जा रही है. वहीं इसकी गिरती हालत को देखकर लोक निर्माण विभाग ने अब इसकी जांच का काम शुरू कर दिया है.
जांच के लिए लखनऊ से इंजीनियरों का एक विशेष दल पहुंचा और उसने एक विशेष मशीन के द्वारा पुल की जांच का काम शुरू कर दिया है. यह पुल जौनपुर को गाजीपुर और आजमगढ़ जैसे प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ता है, इसलिए इस पुल की मरम्मत जरूरी है. वरना कभी भी जर्जर पुल की वजह से बड़ा हादसा हो सकता है. लखनऊ से आए इंजीनियरों के विशेष जांच दल की रिपोर्ट के बाद ही पुल के मरम्मत का काम शुरू होगा.