जौनपुरः जिले के बहुचर्चित सिपाही हत्याकांड के मामले में सोमवार को जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने बाहुबली पूर्व सांसद उमाकांत सहित सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट की ओर से पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है. पीड़िता को आधी धनराशि और उस घटना के घायलों को 50-50 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. हत्या के प्रयास के मामले में सभी को 10 वर्ष की सश्रम सज़ा सुनाई गई है. यह फैसला एमपीएमएलए कोर्ट के एडीजी थर्ड/विशेष न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने सुनाया.
27 साल पहले 4 फरवरी 1995 को उमाकांत यादव ने शाहगंज जंक्शन पर जीआरपी चौकी की लॉकअप में बंद वाहन चालक को छुड़ाने के लिए 7 लोगों के साथ पुलिसकर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थीं. गोली लगने से GRP जवान अजय सिंह शहीद हो गए थे. GRP जवान लल्लन सिंह, रेलवे कर्मचारी निर्मल वाटसन और यात्री भरतलाल गोली लगने से गंभीररूप से घायल हो गए थे. आरोपियों ने जीआरपी के मालखाने को लूटने की कोशिश भी की थी.
इस मामले की जांच CBCID कर रही थी. साक्ष्यों और गवाहों के मद्देनजर अपर सत्र न्यायाधीश (MP-MLA कोर्ट) शरद कुमार त्रिपाठी ने शनिवार को उमाकांत यादव समेत 7 आरोपियों को दोषी करार दिया था. इस मामले में कोर्ट ने पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सातों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
बाहुबली उमाकांत यादव खुटहन विधानसभा (अब शाहगंज विधानसभा) से 3 बार विधायक और मछलीशहर लोकसभा से BSP सांसद रह चुके हैं. जेल में रहकर बीजेपी उम्मीदवार केशरी नाथ त्रिपाठी को 2004 का लोकसभा चुनाव हराकर वह पहली बार सांसद बने थे.
सीबीआईडी के अभियोजन अधिकारी मृत्युंजय सिंह ने बताया कि इस मुकदमे में कुल 19 लोगो ने गवाही दी. आरोपियों के कब्जे से हत्या में प्रयोग की गई कारबाइन समेत अन्य हथियार बरामद किए गए थे. कोर्ट ने सभी को इस हत्याकांड में दोषी पाया है. मुकदमे की पैरवी शासकीय अधिवक्ता बहादुर पाल ने की. इस मामले में शासकीय अधिवक्ता डीजीसी क्रिमिनल अनिल सिंह कप्तान व सीबीसीआईडी अभियोजन अधिकारी ने बताया कि इस जघन्य अपराध के लिए कोर्ट को 27 साल का सफर तय करना पड़ा क्योंकि कहीं न कहीं राजनीतिक रसूख का भी खूब प्रयोग किया गया. करीब 600 तारीखों के बाद आज 27 साल बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिल सका.
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