जौनपुर: 2022 तक सरकार की योजना है कि वह हर गरीब को आवास दे सके, लेकिन आवास देने के नाम पर खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल जारी है. जौनपुर में शहरी गरीबों को बड़ी संख्या में डूडा के तहत प्रधानमंत्री आवास बांटे जा रहे हैं, लेकिन इन आवासों को पाने से पहले लाभार्थियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. शहरी प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए सरकार ने लाभार्थी को तीन किस्तों में ढाई लाख रुपये दिए हैं. इस योजना में प्रधानमंत्री आवास का पैसा खुद लाभार्थी के खाते में भेजा जाता है, लेकिन जौनपुर के केराकत में ऐसे कई लाभार्थी हैं, जिनको प्रधानमंत्री आवास तो मिल गया है, लेकिन हर किस्त को पाने की कीमत चुकानी पड़ रही है.
लाभार्थियों ने बताया कि पहली किस्त पर उन्हें पांच हजार रुपये से लेकर 10 हजार तक देने पड़े तो वहीं अब दूसरी किस्त के लिए भी 10 हजार की मांग हो रही है, जबकि यह योजना पूरी तरह से निशुल्क है. गरीबों को आवास के लिए सुविधा शुल्क जुटाना भारी पड़ रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना को पाना गरीबों का सपना होता है, क्योंकि ऐसे गरीब जिनके सिर पर पक्की छत नहीं है, उनको सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से लाभान्वित करने की योजना चलाई है.
शहरी गरीबों के लिए डूडा के तहत शहरी प्रधानमंत्री आवास योजना भी चलाई जा रही है. इस योजना के तहत चयनित लाभार्थी को ढाई लाख रुपये तीन किस्तों में दिए जा रहे हैं. पहली किस्त में 50 हजार रुपये हैं, वहीं दूसरी किस्त डेढ़ लाख रुपये की है, जिसमें लाभार्थी को छत और प्लास्टर कराना होता है. अंतिम किस्त के रूप में 50 हजार रुपये जारी होते हैं. जौनपुर के केराकत में ऐसे कई लाभार्थी हैं, जिनको डूडा के तहत प्रधानमंत्री आवास मिला जरूर है, लेकिन इसकी कीमत चुकाने के बाद. इस योजना में भ्रष्टाचार की दीमक इस कदर लगी हुई है कि प्रधानमंत्री आवास के लिए अधिकारियों की जेब भरने के बाद ही उनको किस्त जारी होती है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी रामजीत ने बताया कि उसके पास रहने को घर नहीं है. वहीं प्रधानमंत्री योजना के लिए उससे 20 हजार रुपये की मांग हो रही है. यह आवास योजना कहने के लिए गरीबों की है, लेकिन पहले जेब में इसके लिए पैसा होना चाहिए. शहरी प्रधानमंत्री योजना के लाभार्थी संजय प्रजापति ने बताया कि उसे प्रधानमंत्री आवास मिला है, लेकिन पैसा देने के बाद. पहली किस्त के समय उसने पांच हजार दिया तब जाकर उसको आवास मिल सका. अब दूसरी किस्त के लिए उससे 10 हजार की मांग हो रही है.
केराकत में प्रधानमंत्री आवास पाने वाले चंद्रसेन सोनकर ने बताया कि उसने जब इस आवास का फार्म भरा तो उससे एक हजार लिए गए. वहीं पहली किस्त के समय उसने पांच हजार दिए तब जाकर उसे किस्त जारी हुई. अब 10 हजार की मांग हो रही है. पैसा न दे पाने के कारण उसे दूसरी किस्त जारी नहीं हुई है, जबकि उसका कच्चा मकान गिर चुका है.
इस योजना में भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि दलाल हावी हैं. लाभार्थियों को दलालों से बचने की सलाह भी दी जा रही है. इसमें दलाल डूडा के कर्मचारी बनकर लाभार्थियों से पैसा वसूल रहे हैं.
-अनिल कुमार वर्मा, परियोजना अधिकारी डूडा