जौनपुरः डेढ़ शताब्दी पूरा कर चुके पोस्ट कार्ड को लोग एक समय अपनी किताबों और आलमारियों में बड़े आदर के साथ रखते थे. आज पोस्ट कार्ड को भारतीय डाक विभाग चला तो रहा है, लेकिन लोग इसको चलाना न के बराबर कर दिए हैं.
मोबाइल क्रांति के दौर में आज पोस्ट कार्ड को दरकिनार कर दिया गया है. आज लोग अपने संदेश के प्रति उत्तर का इंतजार कुछ सेकंड भी नहीं कर सकते. इस जमाने में व्हाट्सएप पर कोई देरी से प्रति उत्तर देता है तो इंतजार करना मुश्किल हो जाता है, जबकि पोस्ट कार्ड के समय महीनों बाद उसका उत्तर आता था और लोग अपना पोस्ट कार्ड पाकर फूले नहीं समाते थे.
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आज युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के समंदर में गोता लगा रही है, जिसके चलते अब पोस्ट कार्ड का इस्तेमाल न के बराबर हो गया है. चुनाव जैसे कुछ खास मौके पर ही पोस्ट कार्ड की याद लोगों को आती है. अब इसका उपयोग कुछ खास तरह के संदेश भेजने के लिए ही किया जाता है. जौनपुर के प्रधान डाकघर में पोस्ट कार्ड तो जरूर है, लेकिन देहात के पोस्ट ऑफिसों में इसका मिलना मुश्किल हो गया है.
अगर हम इसके मूल्य के बारे में बात करें तो आजादी के समय पोस्ट कार्ड की कीमत तीन पैसे होती थी, जो आज 50 पैसे हो गई है. पोस्ट कार्ड को किसी जमाने में किताबों के बीच बहुत ही आदर प्यार और सत्कार के साथ संभाल कर रखा जाता था. उस समय संदेश भिजवाने का एकमात्र सस्ता जरिया पोस्ट कार्ड ही था. लोग त्योहारों पर ग्रीटिंग कार्ड की तरह इसका इस्तेमाल करते थे.
मोबाइल क्रांति के दौर में पोस्ट कार्ड को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. संचार के सुलभ और तेज साधनों की बदौलत अब लोग पोस्ट कार्ड भेजना पागलपन समझते हैं. जौनपुर के प्रधान डाकघर आए विशाल यादव ने बताया कि आज पोस्ट कार्ड को 150 साल पूरे हुए हैं. इसलिए इस खास मौके पर उन्होंने पोस्ट कार्ड यादगार के लिए खरीदा है, जबकि डाकघर के अधीक्षक रामनिवास कुमार ने बताया की पोस्ट कार्ड की बिक्री अब न के बराबर हो गई है.