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जौनपुर: 150 साल का सफर तय कर चुका भारतीय डाक का पोस्ट कार्ड - special story of postcard of the indian post

आज भारतीय डाक का पोस्ट कार्ड 150 साल का सफर पूरा कर चुका है. आपकों बता दें कि एक अक्टूबर को 1869 को ही पहला पोस्ट कार्ड जारी हुआ था. आजादी के बाद संचार के महत्वपूर्ण साधनों में सुमार पोस्ट कार्ड को कितने लोग आज जानते भी नहीं हैं.

भारतीय डाकघर जौनपुर.
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Published : Oct 1, 2019, 11:44 PM IST

जौनपुरः डेढ़ शताब्दी पूरा कर चुके पोस्ट कार्ड को लोग एक समय अपनी किताबों और आलमारियों में बड़े आदर के साथ रखते थे. आज पोस्ट कार्ड को भारतीय डाक विभाग चला तो रहा है, लेकिन लोग इसको चलाना न के बराबर कर दिए हैं.

150 साल का सफर तय कर चुका भारतीय डाक का पोस्ट कार्ड.

मोबाइल क्रांति के दौर में आज पोस्ट कार्ड को दरकिनार कर दिया गया है. आज लोग अपने संदेश के प्रति उत्तर का इंतजार कुछ सेकंड भी नहीं कर सकते. इस जमाने में व्हाट्सएप पर कोई देरी से प्रति उत्तर देता है तो इंतजार करना मुश्किल हो जाता है, जबकि पोस्ट कार्ड के समय महीनों बाद उसका उत्तर आता था और लोग अपना पोस्ट कार्ड पाकर फूले नहीं समाते थे.

पढे़ंः- 2014-19 तक मोदी कार्यकाल रहा इकोनॉमी का स्वर्ण काल: मनोज सिन्हा

आज युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के समंदर में गोता लगा रही है, जिसके चलते अब पोस्ट कार्ड का इस्तेमाल न के बराबर हो गया है. चुनाव जैसे कुछ खास मौके पर ही पोस्ट कार्ड की याद लोगों को आती है. अब इसका उपयोग कुछ खास तरह के संदेश भेजने के लिए ही किया जाता है. जौनपुर के प्रधान डाकघर में पोस्ट कार्ड तो जरूर है, लेकिन देहात के पोस्ट ऑफिसों में इसका मिलना मुश्किल हो गया है.

अगर हम इसके मूल्य के बारे में बात करें तो आजादी के समय पोस्ट कार्ड की कीमत तीन पैसे होती थी, जो आज 50 पैसे हो गई है. पोस्ट कार्ड को किसी जमाने में किताबों के बीच बहुत ही आदर प्यार और सत्कार के साथ संभाल कर रखा जाता था. उस समय संदेश भिजवाने का एकमात्र सस्ता जरिया पोस्ट कार्ड ही था. लोग त्योहारों पर ग्रीटिंग कार्ड की तरह इसका इस्तेमाल करते थे.

मोबाइल क्रांति के दौर में पोस्ट कार्ड को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. संचार के सुलभ और तेज साधनों की बदौलत अब लोग पोस्ट कार्ड भेजना पागलपन समझते हैं. जौनपुर के प्रधान डाकघर आए विशाल यादव ने बताया कि आज पोस्ट कार्ड को 150 साल पूरे हुए हैं. इसलिए इस खास मौके पर उन्होंने पोस्ट कार्ड यादगार के लिए खरीदा है, जबकि डाकघर के अधीक्षक रामनिवास कुमार ने बताया की पोस्ट कार्ड की बिक्री अब न के बराबर हो गई है.

जौनपुरः डेढ़ शताब्दी पूरा कर चुके पोस्ट कार्ड को लोग एक समय अपनी किताबों और आलमारियों में बड़े आदर के साथ रखते थे. आज पोस्ट कार्ड को भारतीय डाक विभाग चला तो रहा है, लेकिन लोग इसको चलाना न के बराबर कर दिए हैं.

150 साल का सफर तय कर चुका भारतीय डाक का पोस्ट कार्ड.

मोबाइल क्रांति के दौर में आज पोस्ट कार्ड को दरकिनार कर दिया गया है. आज लोग अपने संदेश के प्रति उत्तर का इंतजार कुछ सेकंड भी नहीं कर सकते. इस जमाने में व्हाट्सएप पर कोई देरी से प्रति उत्तर देता है तो इंतजार करना मुश्किल हो जाता है, जबकि पोस्ट कार्ड के समय महीनों बाद उसका उत्तर आता था और लोग अपना पोस्ट कार्ड पाकर फूले नहीं समाते थे.

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आज युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के समंदर में गोता लगा रही है, जिसके चलते अब पोस्ट कार्ड का इस्तेमाल न के बराबर हो गया है. चुनाव जैसे कुछ खास मौके पर ही पोस्ट कार्ड की याद लोगों को आती है. अब इसका उपयोग कुछ खास तरह के संदेश भेजने के लिए ही किया जाता है. जौनपुर के प्रधान डाकघर में पोस्ट कार्ड तो जरूर है, लेकिन देहात के पोस्ट ऑफिसों में इसका मिलना मुश्किल हो गया है.

अगर हम इसके मूल्य के बारे में बात करें तो आजादी के समय पोस्ट कार्ड की कीमत तीन पैसे होती थी, जो आज 50 पैसे हो गई है. पोस्ट कार्ड को किसी जमाने में किताबों के बीच बहुत ही आदर प्यार और सत्कार के साथ संभाल कर रखा जाता था. उस समय संदेश भिजवाने का एकमात्र सस्ता जरिया पोस्ट कार्ड ही था. लोग त्योहारों पर ग्रीटिंग कार्ड की तरह इसका इस्तेमाल करते थे.

मोबाइल क्रांति के दौर में पोस्ट कार्ड को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. संचार के सुलभ और तेज साधनों की बदौलत अब लोग पोस्ट कार्ड भेजना पागलपन समझते हैं. जौनपुर के प्रधान डाकघर आए विशाल यादव ने बताया कि आज पोस्ट कार्ड को 150 साल पूरे हुए हैं. इसलिए इस खास मौके पर उन्होंने पोस्ट कार्ड यादगार के लिए खरीदा है, जबकि डाकघर के अधीक्षक रामनिवास कुमार ने बताया की पोस्ट कार्ड की बिक्री अब न के बराबर हो गई है.

Intro:जौनपुर।। आज पोस्टकार्ड की उम्र 150 साल पूरी हो चुकी है। आज ही के दिन 1869 में पहला पोस्ट कार्ड जारी हुआ था । आजादी के बाद संचार के साधन ज्यादा विकसित नहीं थे इसलिए खत भेजने का प्रमुख जरिया पोस्टकार्ड होता था। आजादी के समय इसकी कीमत तीन पैसे होती थी जो आज 50 पैसे का हो गया है । भारतीय पोस्ट कार्ड सेवा आज के दौर में भी बहुत सस्ती है फिर भी लोगों ने इसे आधुनिक संचार साधनों के चलते भुला दिया है। आज युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के समंदर में डूब गई है जिसके चलते अब पोस्ट कार्ड का इस्तेमाल ना के बराबर हो गया है। चुनाव जैसे कुछ खास मौके पर ही पोस्टकार्ड की याद लोगों को आती है । जब वह इसका उपयोग कुछ खास तरह के संदेश भेजने के लिए किया जाता हैं। जौनपुर के प्रधान डाकघर में पोस्टकार्ड तो जरूर है लेकिन देहात के पोस्ट ऑफिसों में इसका मिलना मुश्किल हो गया है।


Body:वीओ।। पोस्टकार्ड को किसी जमाने में किताबों के बीच बहुत ही आदर प्यार और सत्कार के साथ संभाल कर रखा जाता था। संदेश भिजवाने का एकमात्र सस्ता जरिया पोस्ट कार्ड था । आजादी के बाद धीरे धीरे पोस्टकार्ड की लोकप्रियता बढ़ी, क्योंकि लोग त्योहारों पर ग्रीटिंग कार्ड की तरह इसका इस्तेमाल करते थे । वही सरकारी दफ्तरों में भी इसका खूब उपयोग होता था । पोस्टकार्ड को नवविवाहिताये अपने पति की नौकरी से लौटने की इंतजार में अपने सीने से लगाकर रखती थी। लेकिन धीरे-धीरे हाईटेक भारत के दौर में पोस्टकार्ड अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है।

जौनपुर की पोस्ट ऑफिस में बीते महीनों से पोस्टकार्ड नहीं बिका है । जबकि पोस्टकार्ड आज भी प्रधान डाकघर में मौजूद है लेकिन देहात के पोस्ट ऑफिस में मांग न होने के चलते अब इसको रखना भी लोग उचित नहीं समझते हैं । मोबाइल क्रांति के दौर में पोस्टकार्ड को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। संचार के सुलभ और तेज साधनों की बदौलत अब लोग पोस्टकार्ड भेजना पागलपन समझते हैं।


Conclusion:प्रधान डाकघर आए विशाल यादव ने बताया कि आज पोस्टकार्ड को डेढ़ सौ साल पूरे हुए हैं । इसलिए इस खास मौके पर उन्होंने पोस्टकार्ड खरीदा है कि जिससे कि वह अपने आने वाली पीढ़ी को इसके महत्ता को बता सकेंगे ।पोस्टकार्ड उनके जीवन का खास हिस्सा रहा है।

बाइट- विशाल यादव- पोस्टकार्ड उपभोक्ता

प्रधान डाकघर के अधीक्षक रामनिवास कुमार ने बताया की पोस्टकार्ड का उपयोग अब पब्लिक के लोग ना के बराबर कर रहे हैं। कुछ खास मौके पर ही पोस्टकार्ड की बिक्री होती है।

बाइट- रामनिवास कुमार -डाक अधीक्षक जौनपुर


पीटीसी


Dharmendra singh
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