जालौनः बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में नाबार्ड के प्रयासों से महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जा रहा है. सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम की मदद से स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को 15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी कड़ी में 15 दिवसीय गोबर उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ डीएम डॉ मन्नान अख्तर ने विकासखंड डकोर के पडुली गांव में किया. जिसमें महिलाओं और ग्रामीण वासियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा हिस्सा लिया.
'महिलाओं को आजीविका के मिलेंगे नए साधन'
उरई मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर विकासखंड डकोर के पडुली ग्राम सभा में सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता डीएम डॉ मन्नान अख्तर और नाबार्ड के जिला मैनेजर प्रकाश कुमार की देखरेख में हुई. डीएम मन्नान अख्तर ने नाबार्ड के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए न केवल महिलाओं को आजीविका के नए साधन मिलेंगे, बल्कि गाय के गोबर का सही ढंग से उपयोग होने से ग्रामों में गोवंश की स्थिति भी बेहतर होगी.
'महिलाओं का विकास, देश का विकास'
डीएम मन्नान अख्तर ने कहा कि जब तक महिलाओं का विकास नहीं होगा, तब तक देश और परिवार विकसित नहीं हो सकता. समाज में महिलाओं के विचारों को मूर्त रूप देना ही समूह की सफलता है.
30 महिलाओं को 15 दिन का प्रशिक्षण
नाबार्ड के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर प्रकाश कुमार ने बताया सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम परौली में लगभग 30 महिलाओं को 15 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को गोबर से दिए, लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा, सजावट की सामग्री आदि बनाना सीखाया जाएगा. नाबार्ड ने 5 स्वयं सहायता समूह का गठन लगभग 1 साल पहले कर लिया था. प्रशिक्षण के उपरांत सभी महिलाओं को बैंक से ऋण उपलब्ध कराने का प्रयास भी किया जाएगा. जिससे वे सभी प्रकार के सूक्ष्म में उद्यम स्थापित कर सकें.
महिलाओं को बैंक से मिलेगा ऋण
इंडियन बैंक के एलडीएम अनुपम गुप्ता ने समूह की महिलाओं को बैंक से हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. उन्होंने समूह की महिलाओं को भारत सरकार के सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सभी योजनाओं से जोड़ने का आह्वान किया.