जालौन: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने आने वाली नवरात्रि पर दुर्गा पंडालों के स्थापना पर रोक लगा दी है. इसके चलते देवी प्रतिमाएं बनाने वाले मूर्तिकारों पर भी खासा आर्थिक संकट मंडराने लगा है. दरअसल नवरात्रि को देखते हुए मूर्तिकारों ने पहले से ही मूर्तियां बनानी शुरू कर दी थी. त्योहार के सीजन में लाखों की कमाई करने वाले मूर्तिकार सरकार के इस आदेश के बाद से सड़क पर आ गए हैं.
अक्टूबर महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को देखते हुए शहर में सजने वाले दुर्गा पंडालों के लिए मूर्तियां बनाने का काम शुरू हो गया है. उरई शहर के रहने वाले कारीगर सोनू पाल सालों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. सोनू पाल के यहां दुर्गा पंडालों के लिए मूर्तियां बनाने के लिए जबलपुर-कोलकाता के अलावा बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट के कारीगर काम करने के लिए आते हैं. हालांकि इस बार भी उनकी तैयारी पूरी थी, लेकिन आखिरी समय में सरकार ने दुर्गा पंडालों पर रोक का फरमान जारी कर दिया, जिससे सोनू की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है.
मूर्तिकार सोनू पाल ने बताया कि उनके यहां मूर्ति दो हजार से शुरू होकर 21 हजार तक बेची जाती हैं. हर साल 10 से 15 लाख रुपये का व्यापार त्योहारों में हो जाता है, लेकिन इस बार दुर्गा पूजा पर लगी पाबंदी से मेहनत मजदूरी निकालना मुश्किल पड़ रहा है.
बता दें कि सरकार ने अनलॉक-5 की गाइडलाइंस में 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल, स्विमिंग पूल और सीमित संख्या में आयोजन करने की अनुमति दे दी है. बावजूद इसके प्रदेश की योगी सरकार ने नवरात्रि पर सजने वाले दुर्गा पंडालों पर रोक लगाते हुए मूर्तिकारों के लिए आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है.
उरई निवासी मूर्तिकार सोनू पाल के मुताबिक, सरकार के फैसले से मूर्तिकारों को तगड़ा झटका लगा है. सरकार से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी. उन्होंने सोचा था कि गणेश महोत्सव में मूर्तियां नहीं बेच पाए तो दुर्गा पूजा में ही व्यापार ठीक हो जाएगा, लेकिन दुर्गा पूजा के लिए बनाई गई सीटों की संख्या में मूर्तियां की बिक्री न होने से चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ है.
वहीं छतरपुर से आए मूर्ति बनाने वाले कारीगर सौरभ कुमार की मानें तो कि कच्चे काम करने वाले कारीगर को न ही प्रोत्साहन मिलता है और न ही किसी योजना का लाभ मिलता है. कारीगरों ने सितंबर महीने में मूर्तियां बनानी शुरू कर दी थीं और अब सैकड़ों की संख्या में बनकर ये मूर्तियां तैयार हैं. दुर्गा पंडाल पर रोक लग जाने से मूर्तियां बिक नहीं पा रही हैं और उनका मेहनताना भी नहीं मिल रहा है. इसके चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.