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हाथरस: मेला श्री दाऊजी महाराज में कुश्ती दंगल का किया गया आयोजन

उत्तर प्रदेश के हाथरस के किला क्षेत्र में दाऊजी मेला लगता है, जिसमें छह दिनों तक दंगल होता है. बताते हैं कि दाऊजी दंगल प्रेमी थे. इसीलिए इस मेले में इसका आयोजन होता है. छह दिनों तक चलने वाला यह दंगल बिना टिकट के लोगों को देखने को मिलता है.

कुश्ती-दंगल का आयोजन.
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Published : Sep 8, 2019, 8:10 AM IST

हाथरस: जिले के ऐतिहासिक किला क्षेत्र में एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलने वाले ब्रज क्षेत्र के लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज में कुश्ती-दंगल का आयोजन होता है. इस मेले में बिना टिकट छह दिन तक दंगल होता है, जिसमें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान दांवपेच दिखाते हैं. यहां कुश्ती-दंगल में भाग लेने वाले पहलवान भी मानते हैं कि उन्हें यहां सीखने को बहुत कुछ मिलता है.

कुश्ती-दंगल का आयोजन.

इसे भी पढ़ें- मऊ: विराट कुश्ती और दंगल का हुआ आयोजन, महिला पहलवानों ने लिया हिस्सा

कुश्ती-दंगल का आयोजन

  • दाऊजी के मेले में देव छठ के दिन से कुश्ती दंगल की शुरुआत हो जाती है.
  • स्थानीय और दूरदराज के अलावा नामी गिरामी पहलवान भी अपने दांवपेच दिखाते हैं.
  • इस दंगल को देखने दूरदराज से भी लोग आते हैं.
  • यहां दंगल बिना टिकट के मुफ्त में लोगों को देखने को मिलता है.
  • शुरुआत में इस दंगल को देखने के लिए टिकट लगा करती थी.
  • लंबे अरसे से अब यह दंगल लोगों को मुफ्त में देखने को मिलता है.

दंगल के संयोजक कप्तान सिंह ठेनुआ ने बताया इस मेले के दंगल का विशेष महत्व है. यह दंगल 108 साल पुराना है. अपने देश की इस मल विद्या का जागरण करना और बच्चे और पहलवानों को का उत्साहवर्धन करना मुख्य उद्देश्य है. यह दंगल करीब सौ वर्ष पहले टिकट से हुआ करता था, लेकिन उसके बाद अब यह निःशुल्क कराया जाता है. इसे देखने के लिए किसी से कोई टिकट या पैसा नहीं लिया जाता है. इसका पुराना इतिहास है कि दाऊ बाबा मल विद्या में निपुण थे. इसलिए उनके जन्मदिन पर यह खेल चुना जाता है.

यहां कुश्ती लड़ने से फायदा होता है. जब कुश्ती लड़ते हैं, तो सीखने को मिलता है और आगे के लिए भी रास्ता खुल जाता है.
- दिनेश, प्रतिभागी पहलवान

हाथरस: जिले के ऐतिहासिक किला क्षेत्र में एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलने वाले ब्रज क्षेत्र के लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज में कुश्ती-दंगल का आयोजन होता है. इस मेले में बिना टिकट छह दिन तक दंगल होता है, जिसमें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान दांवपेच दिखाते हैं. यहां कुश्ती-दंगल में भाग लेने वाले पहलवान भी मानते हैं कि उन्हें यहां सीखने को बहुत कुछ मिलता है.

कुश्ती-दंगल का आयोजन.

इसे भी पढ़ें- मऊ: विराट कुश्ती और दंगल का हुआ आयोजन, महिला पहलवानों ने लिया हिस्सा

कुश्ती-दंगल का आयोजन

  • दाऊजी के मेले में देव छठ के दिन से कुश्ती दंगल की शुरुआत हो जाती है.
  • स्थानीय और दूरदराज के अलावा नामी गिरामी पहलवान भी अपने दांवपेच दिखाते हैं.
  • इस दंगल को देखने दूरदराज से भी लोग आते हैं.
  • यहां दंगल बिना टिकट के मुफ्त में लोगों को देखने को मिलता है.
  • शुरुआत में इस दंगल को देखने के लिए टिकट लगा करती थी.
  • लंबे अरसे से अब यह दंगल लोगों को मुफ्त में देखने को मिलता है.

दंगल के संयोजक कप्तान सिंह ठेनुआ ने बताया इस मेले के दंगल का विशेष महत्व है. यह दंगल 108 साल पुराना है. अपने देश की इस मल विद्या का जागरण करना और बच्चे और पहलवानों को का उत्साहवर्धन करना मुख्य उद्देश्य है. यह दंगल करीब सौ वर्ष पहले टिकट से हुआ करता था, लेकिन उसके बाद अब यह निःशुल्क कराया जाता है. इसे देखने के लिए किसी से कोई टिकट या पैसा नहीं लिया जाता है. इसका पुराना इतिहास है कि दाऊ बाबा मल विद्या में निपुण थे. इसलिए उनके जन्मदिन पर यह खेल चुना जाता है.

यहां कुश्ती लड़ने से फायदा होता है. जब कुश्ती लड़ते हैं, तो सीखने को मिलता है और आगे के लिए भी रास्ता खुल जाता है.
- दिनेश, प्रतिभागी पहलवान

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एंकर- देव छठ पर हाथरस के ऐतिहासिक किला क्षेत्र में जुड़ने वाले और एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलने वाले ब्रज क्षेत्र के लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज में कुश्ती- दंगल का भी आयोजन होता है।इस मेले में बिना टिकट छह दिन तक दंगल होता है ।जिसने राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान दांवपेच दिखाते हैं। यहां कुश्ती-दंगल में भाग लेने वाले पहलवान भी मानते हैं कि उन्हें या सीखने को बहुत कुछ मिलता है।


Body:वीओ1- दाऊजी के मेले में देव छठ के दिन से कुश्ती दंगल की शुरुआत हो जाती है ।यह दंगल छह दिनों तक चलता है ।जिसमें स्थानीय और दूरदराज के अलावा नामी गिरामी पहलवान भी अपने दांवपेच दिखाते हैं ।इस दंगल को देखने दूरदराज से भी लोग आते हैं ।यहां दंगल बिना टिकट के मुफ्त में लोगों को देखने को मिलता है ।शुरुआत में इस दंगल को देखने के लिए टिकट लगा करती थी लेकिन लंबे अरसे से अब यह दंगल लोगों को मुफ्त में देखने को मिलता है। दंगल की संयोजक कप्तान सिंह ठेनुआ ने बताया इस मेले के दंगल का विशेष महत्व है। यह दंगल 108 साल पुराना है। इस दंगल के महत्व पर उन्होंने बताया कि अपने देश की इस मल विद्या का जागरण करना और बच्चे और पहलवानों को का उत्साहवर्धन करना मुख्य उद्देश्य है। यह दंगल करीब सौ वर्ष पहले टिकट से हुआ करता था। लेकिन उसके बाद अब यह निशुल्क कराया जाता है।इसे देखने के लिए किसी से कोई टिकट या पैसा नहीं लिया जाता है।उन्होंने बताया कि पुराना इतिहास है कि दाऊ बाबा मल विद्या में निपुण थे इसलिए उनके जन्मदिन पर यही खेल चुना जाता है। दाऊ बाबा की प्रेरणा से यह होता है उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि यह सदियों तक चलता रहेगा ।वहीं मेले में प्रतिभाग करने वाले एक पहलवान दिनेश ने बताया कि यहां कुश्ती लड़ने से फायदा होता है। जब कुश्ती लड़ते हैं तो सीखने को मिलता है और आगे के लिए भी रास्ता खुल जाता है ।
बाईट2- कप्तान सिंह ठेनुआ -दंगल संयोजक
बाईट1- दिनेश- प्रतिभागी पहलवान


Conclusion:एन्ड पीटूसी- हाथरस में किला क्षेत्र में दाऊजी मेला लगता है। जिसमें कि छह दिनों तक दंगल होता है ।बताते हैं कि दाऊजी दंगल प्रेमी थे। इसीलिए इस मेले में इसका आयोजन होता है। खास बात है यह कि इस मेले में छह दिनों तक चलने वाला यह दंगल बिना टिकट के लोगों को देखने को मिलता है।
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