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बमौली पंचायत में 25 साल बाद हुई प्रधान पद के लिए वोटिंग - bamauli panchayat

यूपी के हाथरस जिले में मुरसान ब्लॉक की ग्राम पंचायत बामौली में प्रधान पद के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 25 साल बाद हो रहा है. इस बीच यहां ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्विरोध चुने जाते रहे हैं. इस बार यहां लोग एक मत नहीं हुए.

बमौली पंचायत.
बमौली पंचायत.
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Published : Apr 15, 2021, 4:10 PM IST

हाथरस: यूपी के हाथरस जिले में मुरसान ब्लॉक की ग्राम पंचायत बामौली में प्रधान पद के 25 साल बाद वोट डाले जाएंगे. बमौली पंचायत में 1995 के बाद से ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्विरोध चुने जाते रहे हैं. इस कारण यहां पिछले 25 साल में इन पदों के लिए वोटिंग की जरूरत ही नहीं हुई. 2021 में यहां ग्राम प्रधान को लेकर आपसी सहमति नहीं बन सकी, लिहाजा इस बार इस पद के लिए मतदान हुआ.

बमौली पंचायत चुनाव.

पढ़ें: आगरा: फर्जी मतदान को लेकर 2 पक्षों में मारपीट और फायरिंग, मतपेटियां लूटी

गांव बामौली पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का पैतृक गांव

गांव बामौली पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का पैतृक गांव है. सन 1993 में उन्होंने हाथरस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. सन 1995 वह बसपा की टिकिट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद से लगातार वह विधानसभा चुनाव जीतते रहे. गृह जनपद में रामवीर उपाध्याय की राजनीति प्रभावी रही. नतीजतन गांव में सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के लिए अब तक चुनाव होता था. बाकी पदों के लिए लोग निर्विरोध चुन लिए जाते थे. लेकिन 2021 के पंचायत चुनाव में ऐसा नहीं हुआ. इस बार बमौली पंचायत में ग्राम पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य तो निर्विरोध चुने गए. निवर्तमान प्रधान जवाहर लाल ने बताया कि ग्राम प्रधान पद के लिए लोगों की एक राय नहीं हो सकी, लिहाजा इस बार जिला पंचायत सदस्य के साथ-साथ ग्राम प्रधान पद के लिए भी 15 अप्रैल को वोटिंग हुई.

हाथरस: यूपी के हाथरस जिले में मुरसान ब्लॉक की ग्राम पंचायत बामौली में प्रधान पद के 25 साल बाद वोट डाले जाएंगे. बमौली पंचायत में 1995 के बाद से ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्विरोध चुने जाते रहे हैं. इस कारण यहां पिछले 25 साल में इन पदों के लिए वोटिंग की जरूरत ही नहीं हुई. 2021 में यहां ग्राम प्रधान को लेकर आपसी सहमति नहीं बन सकी, लिहाजा इस बार इस पद के लिए मतदान हुआ.

बमौली पंचायत चुनाव.

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गांव बामौली पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का पैतृक गांव

गांव बामौली पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का पैतृक गांव है. सन 1993 में उन्होंने हाथरस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. सन 1995 वह बसपा की टिकिट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद से लगातार वह विधानसभा चुनाव जीतते रहे. गृह जनपद में रामवीर उपाध्याय की राजनीति प्रभावी रही. नतीजतन गांव में सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के लिए अब तक चुनाव होता था. बाकी पदों के लिए लोग निर्विरोध चुन लिए जाते थे. लेकिन 2021 के पंचायत चुनाव में ऐसा नहीं हुआ. इस बार बमौली पंचायत में ग्राम पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य तो निर्विरोध चुने गए. निवर्तमान प्रधान जवाहर लाल ने बताया कि ग्राम प्रधान पद के लिए लोगों की एक राय नहीं हो सकी, लिहाजा इस बार जिला पंचायत सदस्य के साथ-साथ ग्राम प्रधान पद के लिए भी 15 अप्रैल को वोटिंग हुई.

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