हाथरस: जैसे-जैसे सूबे में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election-2022) नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो रही है. हाथरस में चुनाव को लेकर सरगर्मियां अभी से ही बढ़ गई हैं, क्योंकि चुनाव से पहले ही यहां सियासी दलों के नेता खासा सक्रिय नजर आ रहे हैं. वहीं, स्थानीय लोग भी अब सड़क और चौराहों पर सियासी चर्चा करते दिख रहे हैं.
इसी कड़ी में ई-टीवी भारत ने हाथरस जिले की सदर विधानसभा क्षेत्र (Hathras Sadar Assembly) अंतर्गत पड़ने वाले राजा दयाराम के किला इलाके में जनता से सियासी बात की और उनसे उनकी समस्याओं को जानना चाहा.
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हालांकि, इस दौरान मिली जुली प्रतिक्रिया मिली तो वहीं, कुछ लोगों ने सूबे की योगी सरकार के कामकाज की जमकर तारीफ की तो कुछ खासा नाराज नजर आए.
एक नजर राजा दयाराम के किले के इतिहास पर
क्षेत्र की सियासी समस्याओं पर लोगों से बात करने से पहले ई-टीवी भारत की टीम ने राजा दयाराम के किले (Raja Dayaram Fort) व मंदिर के इतिहास को जानने को स्थानीय जानकार विद्यासागर से बातचीत की.
इस दौरान उन्होंने बताया कि हाथरस जाट राजाओं की रियासत रही है. उन्होंने बताया कि 17 फरवरी, 1817 को अंग्रेजों ने इस किले पर हमला किया और इसे ध्वस्त कर दिया था.
हालांकि, किले में आज भी दाऊजी का मंदिर विधमान है और यहां 1912 से हर साल मेला लगता है. विद्यासागर ने बताया कि राजा दयाराम आखिरी शासक थे. उन्हीं के वंशज से राजा महेंद्र प्रताप सिंह (Raja Mahendra Pratap Singh) भी थे, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे.
उनकी यादों और अमिट इतिहास से लोगों को अवगत कराने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथरस से लगे अलीगढ़ में उनके नाम से विश्वविद्यालय बनाने को आधारशिला रखी है.
इतना ही नहीं पिछले लंबे समय से लगातार इस बात की मांग उठती रही है कि उनके वंशजों का किला संरक्षित किया जाए. ताकि यहां भी पर्यटन की संभावनाएं बनें और क्षेत्र का विकास संभव हो सके.
साथ ही कहा गया कि यहां संग्रहालय का निर्माण कर शोधार्थियों, शिक्षणार्थियों को राजा दयाराम और राजा महेंद्र प्रताप सिंह के बारे में जानने को प्रेरित करने की कोशिश होनी चाहिए.
खैर, लोगों की सियासी राय जानने को निकली ई-टीवी की टीम ने जब दाऊजी मंदिर में दर्शन को आई स्थानीय महिलाओं से बात की तो उनका कहना था कि बढ़ी मंहगाई ने उनकी स्थिति बिगाड़ रखी है.
स्थानीय नीतू सिंह नाम की महिला ने अपनी समस्याओं पर बोलते हुए कहा कि महंगाई ने उनकी व उनके परिवार की स्थिति खराब कर रखी है. खर्चे बढ़ गए हैं और आमदनी कुछ नहीं है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है.
वहीं, चंपा देवी नाम की एक अन्य महिला ने बताया कि वैसे तो इस सरकार में काम ठीक हो रहे हैं. लेकिन महंगाई नियंत्रण को कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. हर चीज महंगी हो गई है. उन्होंने बताया कि वे रोजाना दाऊजी के मंदिर में दर्शन को आती हैं. लेकिन मंदिर का जीर्णोद्धार जरूरी है.
इधर, शिक्षामित्र बृजेश वशिष्ट ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 2017 में अपना संकल्प पत्र जारी किया था, जिसे उन्होंने पूरा नहीं किया है. उन्होंने बताया कि तब घोषणा हुई थी कि तीन महीने में उनकी समस्याओं का न्यायोचित तरीके से समाधान कराया जाएगा.
लेकिन साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी सरकार उसे पूरा नहीं कर सकी है. वहीं, हाथरस में तालाब क्रॉसिंग पर बने पुल को लेकर उन्होंने कहा कि यह पुल किसने बनवाया कैसे बना यह पब्लिक सब जानती है.
शादी समारोह में सजावट का काम करने वाले बाल किशन ने बताया कि जिले में संतुष्टि जैसा कोई काम नहीं हो रहा है. न शिक्षा का न ही चिकित्सा का. उन्होंने कहा कि अस्पतालों की स्थिति खराब है. रात में डॉक्टर आराम फरमाते हैं. समस्या के बाद भी वे लोगों की अनदेखी करते हैं.
वहीं, रोजगार पर उन्होंने कहा कि यह समझ लो कि 2017 में जितने हम प्रसन्न थे, आज इतने ही दुखी हैं. जिस दिन से यह कोरोना की आड़ आई है, उस दिन से ही हमारा व्यवसाय चौपट हो गया है. खैर, अगर यह सरकार दोबारा आई तो शादी ब्याह के कामकाज करने वाले 75 फीसद लोगों को मरना पड़ेगा.
खैर, सभी को सुनने के बाद हम यही कह सकते हैं कि यहां लोगों की राय मिली-जुली है. कुछ लोग सूबे की योगी सरकार से नाराज हैं तो कुछ कामकाज के तरीके से खुश, बावजूद इसके रोजगार और महंगाई के मुद्दे पर लगभग-लगभग सभी की राय समान रही और सभी ने इस बात को माना कि यह सरकार महंगाई के मुद्दे पर विफल रही है.