हाथरस : खाने का स्वादिष्ट होने के साथ ही उसका खूबसूरत दिखना भी मायने रखता है. इन दिनों यह खूबसूरती रंग-बिरंगी शिमला मिर्च से दी जा रही है. इस काम को हाथरस में एक किसान जो शिक्षक भी है कर रहे हैं. हाथरस के गांव नगला मोतीराय के किसान व शिक्षक अमित शर्मा और उनके पिता श्याम सुंदर शर्मा ने. पिता-पुत्र ने करीब पांच बीघा में पॉली हाउस तैयार किया और उसमें रंग बिरंगी हरी, लाल, पीली शिमला मिर्च तैयार की है. इससे उन्हें अच्छी- खासी पैदावार हो जाती है और आमदनी भी अच्छी होती है. पिता-पुत्र मिर्च की खेती के अलावा कई प्रयोग करते रहते हैं.
अमित शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भी हैं, उनके पिता शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हैं. पिता ने रिटायरमेंट के बाद लीक से हटकर कुछ करने की सोचा था. शिक्षक थे तो स्कूल खोलने का भी मन बनाया, लेकिन उन्होंने कई जगह ऐसा स्ट्रक्चर देखा था, जिसे लेकर वह काफी उत्सुक थे. जब नजदीक से देखा तो नॉर्मल खेती से अलग था. उन्होंने बताया कि कहीं कुछ हटकर करने की उत्सुकता के चलते सरकारी ऑफिस गए. वहां से जानकारी जुटाई और कुछ अन्य लोगों से भी जानकारी जुटाई उसके बाद यह प्रोजेक्ट शुरू किया.
Hathras Agriculture News : आमदनी का खूबसूरत जरिया साबित हो रही रंग बिरंगी शिमला मिर्च
हाथरस जिला आमतौर पर आलू की फसल और परंपरागत खेती के लिए जाना जाता है. ऐसे में शिक्षक पिता पुत्र द्वारा की जा रही रंग बिरंगी शिमला मिर्च की खेती करना काफी चर्चा में है. शिक्षकों ने पांच बीघे में बने पॉली हाउस में रंग बिरंगी हरी, लाल, पीली शिमला मिर्च तैयार की है. जो मंडी में अपनी खूबसूरती बिखेरने के साथ अच्छी आमदनी का जरिया भी साबित हो रही है.
हाथरस : खाने का स्वादिष्ट होने के साथ ही उसका खूबसूरत दिखना भी मायने रखता है. इन दिनों यह खूबसूरती रंग-बिरंगी शिमला मिर्च से दी जा रही है. इस काम को हाथरस में एक किसान जो शिक्षक भी है कर रहे हैं. हाथरस के गांव नगला मोतीराय के किसान व शिक्षक अमित शर्मा और उनके पिता श्याम सुंदर शर्मा ने. पिता-पुत्र ने करीब पांच बीघा में पॉली हाउस तैयार किया और उसमें रंग बिरंगी हरी, लाल, पीली शिमला मिर्च तैयार की है. इससे उन्हें अच्छी- खासी पैदावार हो जाती है और आमदनी भी अच्छी होती है. पिता-पुत्र मिर्च की खेती के अलावा कई प्रयोग करते रहते हैं.
अमित शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भी हैं, उनके पिता शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हैं. पिता ने रिटायरमेंट के बाद लीक से हटकर कुछ करने की सोचा था. शिक्षक थे तो स्कूल खोलने का भी मन बनाया, लेकिन उन्होंने कई जगह ऐसा स्ट्रक्चर देखा था, जिसे लेकर वह काफी उत्सुक थे. जब नजदीक से देखा तो नॉर्मल खेती से अलग था. उन्होंने बताया कि कहीं कुछ हटकर करने की उत्सुकता के चलते सरकारी ऑफिस गए. वहां से जानकारी जुटाई और कुछ अन्य लोगों से भी जानकारी जुटाई उसके बाद यह प्रोजेक्ट शुरू किया.