ETV Bharat / state

हाथरस कांड: दर्द आज भी जिंदा है- 'मैं झोली फैलाकर भीख मांगती रही लेकिन किसी ने आखिरी बार मेरी बेटी का मुंह नहीं दिखाया'

बहुचर्चित हाथरस बिटिया प्रकरण आज भी लोगों के जेहन में है. सरकार ने पीड़ित परिवार को मुआवजा, घर के एक सदस्य को नौकरी तथा एक सरकारी आवास देने का वायदा किया था, लेकिन मुआवजा ही मिला है. घटना को याद कर बिटिया की मां और परिवार आज भी सिहर जाता है.

हाथरस रेप कांड.
हाथरस रेप कांड.
author img

By

Published : Jan 18, 2022, 7:24 PM IST

हाथरस: 'उस दिन वह बिटिया के साथ खेत पर घास काट रही थी. उसने अपनी बेटी को जगह -जगह इकट्ठा की हुई घास की ढेरियों को एकत्र करने को कहा था. इसी बीच चार-पांच युवक उसे बाजरे के खेत में खींच कर ले गए और जब उसने देखा तब तक वह दरिंदगी का शिकार हो चुकी थी. उसके कपड़े उतरे हुए थे, जीभ कटी हुई थी. मैं झोली फैलाती रही कि थोड़ा-सा मुंह दिखा दो, पर इन लोगों ने मुंह नहीं दिखाया. अंतिम संस्कार के समय पूरे परिवार को बिटिया से दूर रखा गया और उसको मुखाग्नि तक नहीं देने दी.' ये शब्द उस मां के हैं, जिसने हाथरस गैंगरेप कांड में अपनी बेटी खो दी.

हाथरस रेप कांड.

बहुचर्चित हाथरस बिटिया प्रकरण से जुड़ा बिटिया का परिवार आज भी दर्द भरी जिंदगी जी रहा है. हालांकि यह परिवार सीआरपीएफ की कड़ी सुरक्षा में है और सीसीटीवी की निगरानी में भी है. लेकिन उसे सुरक्षा समाप्त होने पर पहली जैसी आजादी मिलेगी इस बात से भी डर ही लग रहा है. सरकार ने बिटिया के परिवार को मुआवजा के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा आवास देने के वादा किया था. जिसमें से मात्र मुआवजा ही पीड़ित परिवार को मिला है. बाकी दोनों वादे पूरे करने की मांग परिवार की प्रमुखता में है, साथ ही पीड़ित परिवार न्यायालय में चल रहे केस का शीघ्र निपटारा चाहता है.

इस दर्दनाक घटना के बाद यह केस एससी, एसटी कोर्ट में चल रहा है. केस में लगातार तारीख लग रही हैं. गवाहों तथा सबूतों का परीक्षण हो रहा है. अब इस केस में एक- एक महीने लंबी तारीख में मिल रही हैं, जिससे पीड़ित परिवार इत्तेफाक नहीं रखता है. इस मामले में ईटीवी भारत ने पीड़िता के भाई से सवाल किया तो केस की लेटलतीफी का दर्द उसकी जुबान पर छलक पड़ा. बिटिया के भाई का कहना है कि उनके घर के एक फोन पर आरोपी पक्ष के एक व्यक्ति का फोन आया था लेकिन रिसीव नहीं किया, इसकी शिकायत पुलिस से कर दी है.

पीड़िता के भाई का कहना है कि अभी भी वह बाहर जाते हैं तो सीआरपीएफ की सुरक्षा साथ रहती है. लेकिन गांव के आसपास आरोपी पक्ष के सजातीय लोगों की आबादी अधिक होने से केस में रंजिशें भी गहरी हैं. ऊपर से परिवार को शहर में या दूसरे शहर में आवास भी नहीं मिला है. ऐसे में डर इस बात का है जब भी सीआरपीएफ की सुरक्षा हटेगी तो उनके साथ अनहोनी हो सकती है. हालांकि फिलहाल परिवार के सदस्य इस डर के सिवाय सीएआरपीएफ की सुरक्षा में अपने को सुरक्षित मान रही है.

इसे भी पढ़ें-हाथरस कांड : हाईकोर्ट ने मनीष गुप्ता व विवेक तिवारी की पत्नियों को दी गई नियुक्तियों की मांगी जानकारी

गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को जिले की चंदपा कोतवाली इलाके के एक गांव में दलित युवती के साथ दरिंदगी और उसे जान से मारने की कोशिश का मामला सामने आया था. इलाज के दौरान युवती की 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी. सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट सौंपी थी. इस मामले के चारों आरोपी संदीप, रवि, रामू और लव कुश अलीगढ़ जेल में बंद हैं.

हाथरस: 'उस दिन वह बिटिया के साथ खेत पर घास काट रही थी. उसने अपनी बेटी को जगह -जगह इकट्ठा की हुई घास की ढेरियों को एकत्र करने को कहा था. इसी बीच चार-पांच युवक उसे बाजरे के खेत में खींच कर ले गए और जब उसने देखा तब तक वह दरिंदगी का शिकार हो चुकी थी. उसके कपड़े उतरे हुए थे, जीभ कटी हुई थी. मैं झोली फैलाती रही कि थोड़ा-सा मुंह दिखा दो, पर इन लोगों ने मुंह नहीं दिखाया. अंतिम संस्कार के समय पूरे परिवार को बिटिया से दूर रखा गया और उसको मुखाग्नि तक नहीं देने दी.' ये शब्द उस मां के हैं, जिसने हाथरस गैंगरेप कांड में अपनी बेटी खो दी.

हाथरस रेप कांड.

बहुचर्चित हाथरस बिटिया प्रकरण से जुड़ा बिटिया का परिवार आज भी दर्द भरी जिंदगी जी रहा है. हालांकि यह परिवार सीआरपीएफ की कड़ी सुरक्षा में है और सीसीटीवी की निगरानी में भी है. लेकिन उसे सुरक्षा समाप्त होने पर पहली जैसी आजादी मिलेगी इस बात से भी डर ही लग रहा है. सरकार ने बिटिया के परिवार को मुआवजा के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा आवास देने के वादा किया था. जिसमें से मात्र मुआवजा ही पीड़ित परिवार को मिला है. बाकी दोनों वादे पूरे करने की मांग परिवार की प्रमुखता में है, साथ ही पीड़ित परिवार न्यायालय में चल रहे केस का शीघ्र निपटारा चाहता है.

इस दर्दनाक घटना के बाद यह केस एससी, एसटी कोर्ट में चल रहा है. केस में लगातार तारीख लग रही हैं. गवाहों तथा सबूतों का परीक्षण हो रहा है. अब इस केस में एक- एक महीने लंबी तारीख में मिल रही हैं, जिससे पीड़ित परिवार इत्तेफाक नहीं रखता है. इस मामले में ईटीवी भारत ने पीड़िता के भाई से सवाल किया तो केस की लेटलतीफी का दर्द उसकी जुबान पर छलक पड़ा. बिटिया के भाई का कहना है कि उनके घर के एक फोन पर आरोपी पक्ष के एक व्यक्ति का फोन आया था लेकिन रिसीव नहीं किया, इसकी शिकायत पुलिस से कर दी है.

पीड़िता के भाई का कहना है कि अभी भी वह बाहर जाते हैं तो सीआरपीएफ की सुरक्षा साथ रहती है. लेकिन गांव के आसपास आरोपी पक्ष के सजातीय लोगों की आबादी अधिक होने से केस में रंजिशें भी गहरी हैं. ऊपर से परिवार को शहर में या दूसरे शहर में आवास भी नहीं मिला है. ऐसे में डर इस बात का है जब भी सीआरपीएफ की सुरक्षा हटेगी तो उनके साथ अनहोनी हो सकती है. हालांकि फिलहाल परिवार के सदस्य इस डर के सिवाय सीएआरपीएफ की सुरक्षा में अपने को सुरक्षित मान रही है.

इसे भी पढ़ें-हाथरस कांड : हाईकोर्ट ने मनीष गुप्ता व विवेक तिवारी की पत्नियों को दी गई नियुक्तियों की मांगी जानकारी

गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को जिले की चंदपा कोतवाली इलाके के एक गांव में दलित युवती के साथ दरिंदगी और उसे जान से मारने की कोशिश का मामला सामने आया था. इलाज के दौरान युवती की 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी. सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट सौंपी थी. इस मामले के चारों आरोपी संदीप, रवि, रामू और लव कुश अलीगढ़ जेल में बंद हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.