हाथरस: मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं. उन्हीं के नाम पर यह शहर बसा है. मां अपने दरबार में आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तब भोलेनाथ मां पार्वती के साथ यहां आए थे.
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मंदिर के सेवक ने बताया मां हाथरसी माता का इतिहास
बताते हैं कि जिस स्थान पर भोलेनाथ और मां पार्वती ठहरे थे, वहां आज मां हाथरसी के नाम से प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर राजा दयाराम के किले के नजदीक स्थित है. बताते हैं कि राजा दयाराम को स्वप्न में मां के दर्शन हुए थे. उसके बाद राजा ने मां की खोज कर उन्हें यहां ढूंढ निकाला था. मंदिर के सेवक प्रेम गिरी ने बताया कि मां के नजदीक भोलेनाथ ने स्थान ग्रहण किया था और खोज के दौरान भोलेनाथ के सिर पर फावड़ा लगने पर दूध या खून की धारा बह निकली थी.
मंदिर के सेवक प्रेम गिरी ने बताया कि मां हाथरसी इस नगर की जन्मदाता हैं. उन्होंने बताया कि जो कोई भी मां हाथरसी से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. उन्होंने बताया कि द्वापर युग में जब श्री कृष्ण का जन्म अवतार हुआ था, तब भोलेनाथ और मां पार्वती यहां ठहरे थे. मां को प्यास लगने पर भोलेनाथ ने पत्ते हाथ से रगड़ कर उनकी प्यास शांत की थी. उसके बाद मां पार्वती गहरी निंद्रा में आ गईं थी. मंदिर के सेवक बताते हैं कि मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं, जिनके नाम पर शहर बसा है. भक्त भी मानते हैं कि मां उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं.