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भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं 'मां हाथरसी देवी' - माता हाथरसी

उत्तर प्रदेश का हाथरस जिला देवी माताओं का नगर है. यहां नगर के चारों कोने में देवी मां विराजमान हैं, जिनकी अपने भक्तों और नगर पर कृपा बनी रहती है.

माता हाथरसी देवी.
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Published : Oct 6, 2019, 7:56 PM IST

हाथरस: मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं. उन्हीं के नाम पर यह शहर बसा है. मां अपने दरबार में आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तब भोलेनाथ मां पार्वती के साथ यहां आए थे.

भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं मां हाथरसी देवी.

इसे भी पढ़ें:- बुलंदशहर: मां काली की निकाली गई शोभायात्रा, मुकुट था लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र

मंदिर के सेवक ने बताया मां हाथरसी माता का इतिहास
बताते हैं कि जिस स्थान पर भोलेनाथ और मां पार्वती ठहरे थे, वहां आज मां हाथरसी के नाम से प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर राजा दयाराम के किले के नजदीक स्थित है. बताते हैं कि राजा दयाराम को स्वप्न में मां के दर्शन हुए थे. उसके बाद राजा ने मां की खोज कर उन्हें यहां ढूंढ निकाला था. मंदिर के सेवक प्रेम गिरी ने बताया कि मां के नजदीक भोलेनाथ ने स्थान ग्रहण किया था और खोज के दौरान भोलेनाथ के सिर पर फावड़ा लगने पर दूध या खून की धारा बह निकली थी.

मंदिर के सेवक प्रेम गिरी ने बताया कि मां हाथरसी इस नगर की जन्मदाता हैं. उन्होंने बताया कि जो कोई भी मां हाथरसी से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. उन्होंने बताया कि द्वापर युग में जब श्री कृष्ण का जन्म अवतार हुआ था, तब भोलेनाथ और मां पार्वती यहां ठहरे थे. मां को प्यास लगने पर भोलेनाथ ने पत्ते हाथ से रगड़ कर उनकी प्यास शांत की थी. उसके बाद मां पार्वती गहरी निंद्रा में आ गईं थी. मंदिर के सेवक बताते हैं कि मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं, जिनके नाम पर शहर बसा है. भक्त भी मानते हैं कि मां उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं.

हाथरस: मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं. उन्हीं के नाम पर यह शहर बसा है. मां अपने दरबार में आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तब भोलेनाथ मां पार्वती के साथ यहां आए थे.

भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं मां हाथरसी देवी.

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मंदिर के सेवक ने बताया मां हाथरसी माता का इतिहास
बताते हैं कि जिस स्थान पर भोलेनाथ और मां पार्वती ठहरे थे, वहां आज मां हाथरसी के नाम से प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर राजा दयाराम के किले के नजदीक स्थित है. बताते हैं कि राजा दयाराम को स्वप्न में मां के दर्शन हुए थे. उसके बाद राजा ने मां की खोज कर उन्हें यहां ढूंढ निकाला था. मंदिर के सेवक प्रेम गिरी ने बताया कि मां के नजदीक भोलेनाथ ने स्थान ग्रहण किया था और खोज के दौरान भोलेनाथ के सिर पर फावड़ा लगने पर दूध या खून की धारा बह निकली थी.

मंदिर के सेवक प्रेम गिरी ने बताया कि मां हाथरसी इस नगर की जन्मदाता हैं. उन्होंने बताया कि जो कोई भी मां हाथरसी से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. उन्होंने बताया कि द्वापर युग में जब श्री कृष्ण का जन्म अवतार हुआ था, तब भोलेनाथ और मां पार्वती यहां ठहरे थे. मां को प्यास लगने पर भोलेनाथ ने पत्ते हाथ से रगड़ कर उनकी प्यास शांत की थी. उसके बाद मां पार्वती गहरी निंद्रा में आ गईं थी. मंदिर के सेवक बताते हैं कि मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं, जिनके नाम पर शहर बसा है. भक्त भी मानते हैं कि मां उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं.

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एंकर- मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं। उन्हीं के नाम पर हाथरस नगर का नाम पड़ा है ।मां अपने दरबार में आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तब भोलेनाथ मां पार्वती के साथ यहां आए थे।


Body:वीओ1- बताते हैं कि जिस स्थान पर भोलेनाथ और मां पार्वती ठहरे थे वहां आज मां हाथरसी के नाम से प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर राजा दयाराम के किले के नजदीक स्थित है। बताते हैं कि राजा दयाराम को स्वप्न में मां के दर्शन हुए थे। उसके बाद राजा ने मां की खोज कर उन्हें यहाँ ढूंढ निकाला था। मंदिर के सेवक ने बताया कि मां के नजदीक भोलेनाथ के स्थान ग्रहण किया था और खोज के दौरान भोलेनाथ के सिर पर फावड़ा लगने पर दूध या खून की धारा बह निकली थी। ईटीवी भारत को मंदिर के सेवक ने बताया कि मां हाथरसी इस नगर की जन्मदाता हैं। उन्होंने बताया कि जो कोई भी मां हाथरसी से मनौती मांगता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।उन्होंने बताया कि द्वापर युग में जब श्री कृष्ण का जन्म अवतार हुआ था तब भोलेनाथ और मां पार्वती यहां ठहरे थे।मां को प्यास लगने पर भोलेनाथ ने पत्ते हाथ से रगड़ कर उनकी प्यास शांत की थी। उसके बाद मां पार्वती गहरी निंद्रा में आ गई थी मंदिर के सेवक बताते हैं कि मां पार्वती ही साक्षात हाथरसी देवी हैं। जिनके नाम पर शहर बसा है। भक्त भी मानते हैं कि मां मनोकामना पूरी करती हैं।
बाईट2-प्रेम गिरी-मंदिर सेवक
बाईट1-उर्मिला-मां की भक्त


Conclusion:वीओ2- हाथरस देवी माताओं का नगर है। यहां नगर के चारों कोनों में देवी माँ विराजमान है।जिन सभी की अपने भक्तों और नगर पर असीम कृपा बनी रहती है।

अतुल नारायण
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