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हाथरस के गजराज सिंह करगिल युद्ध में हुए थे शहीद, भतीजा भी आर्मी में भर्ती होने को तैयार - kargil war

उत्तर प्रदेश के हाथरस के लाल गजराज सिंह करगिल युद्ध में शहीद हो गए थे. वहीं शहीद गजराज सिंह के परिजनों में देश को लेकर आज भी जज्बा बना हुआ है.

शहीद परिवार के जज्बे को सलाम.
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Published : Jul 23, 2019, 9:40 PM IST

हाथरस: अपने परिजनों की शहादत के बाद भी शहीदों के परिवार में जज्बे की कोई कमी नहीं है. एक शहीद का पिता सीमा पर जाकर देश की रक्षा करने को आतुर है. वहीं शहीद का भतीजा आर्मी में भर्ती होना चाहता है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने करगिल में हुए शहीद के परिवार से बातचीत की.

शहीद परिवार के जज्बे को सलाम.

करगिल युद्ध में हुए थे शहीद

  • हाथरस जिले की सादाबाद तहसील के गांव नगला चौधरी के गजराज सिंह 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही थे.
  • 30 मई 1999 को वह करगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे.
  • उनके बूढ़े पिता जो खुद सेना में सूबेदार थे, उनकी इच्छा आज भी है कि देश की सेवा के लिए सीमा पर बुलाया जाए.
  • वह अपने दूसरे पुत्र को भी सेना में भेजने को तैयार थे, लेकिन उसके हाई स्कूल पास न होने की वजह से अड़चन आ गई थी.
  • करगिल शहीद सत्यवीर सिंह का 14 साल का भतीजा अभी हाईस्कूल में पढ़ रहा है. उसकी भी इच्छा आर्मी में जाने की है.

हमारे ताऊ सेना में थे. शहीद होकर देश के लिए अपना नाम कर गए. मैं भी सेना में जाकर देश सेवा करना चाहता हूं.

गौरव कुमार, शहीद सत्यवीर सिंह का भतीजा

हाथरस: अपने परिजनों की शहादत के बाद भी शहीदों के परिवार में जज्बे की कोई कमी नहीं है. एक शहीद का पिता सीमा पर जाकर देश की रक्षा करने को आतुर है. वहीं शहीद का भतीजा आर्मी में भर्ती होना चाहता है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने करगिल में हुए शहीद के परिवार से बातचीत की.

शहीद परिवार के जज्बे को सलाम.

करगिल युद्ध में हुए थे शहीद

  • हाथरस जिले की सादाबाद तहसील के गांव नगला चौधरी के गजराज सिंह 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही थे.
  • 30 मई 1999 को वह करगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे.
  • उनके बूढ़े पिता जो खुद सेना में सूबेदार थे, उनकी इच्छा आज भी है कि देश की सेवा के लिए सीमा पर बुलाया जाए.
  • वह अपने दूसरे पुत्र को भी सेना में भेजने को तैयार थे, लेकिन उसके हाई स्कूल पास न होने की वजह से अड़चन आ गई थी.
  • करगिल शहीद सत्यवीर सिंह का 14 साल का भतीजा अभी हाईस्कूल में पढ़ रहा है. उसकी भी इच्छा आर्मी में जाने की है.

हमारे ताऊ सेना में थे. शहीद होकर देश के लिए अपना नाम कर गए. मैं भी सेना में जाकर देश सेवा करना चाहता हूं.

गौरव कुमार, शहीद सत्यवीर सिंह का भतीजा

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ओपनिंग पीटूसी- अपने परिजनों की शहादत के बाद शहीदों के परिवार में जज्बे की कोई कमी नहीं है। एक शहीद का पिता सीमा पर जाकर देश की रक्षा करने को आतुर है ,वहीं एक शहीद का भतीजा आर्मी में भर्ती होना चाहता है।


Body:हाथरस जिले की सादाबाद तहसील के गांव नगला चौधरी के गजराज सिंह 17 जाट रेजीमेंट में सिपाई थी 30 मई 1999 को वह कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे ।उनके बूढ़े पिता जो खुद सेना में सूबेदार थे उनकी इच्छा आज भी है कि उन्हें देश की सेवा के लिए सीमा पर बुलाया जाए।वहअपने दूसरे पुत्र को भी सेना में भेजने को तैयार थे। लेकिन उसके हाई स्कूल पास न होने की वजह से अड़चन आ गई थी।
वहीं गांव नगला भूतिया के कारगिल शहीद सत्यवीर सिंह का 14 साल का भतीजा अभी हाई स्कूल में पढ़ रहा है ।उसकी भी इच्छा आर्मी में जाने की है ।इस बच्चे का कहना है कि हमारे ताऊ सेना में लगे थे शहीद हो गए देश के लिए अपना नाम कर गए ।अपने बेटे सत्यवीर को खो चुकी मां बसंती देवी कहती हैं कि उसका नाती सेना में जाए वह मन नहीं कर रही ।वह तो यह भी कह रही है की यदि वह सेना में भर्ती होगा तो उनकी आत्मा खुश रहेगी।
बाईट1- रामकिशन- शहीद राजपाल सिंह के पिता
बाईट2- गौरव कुमार -शहीद सत्यवीर सिंह का भतीजा
बाईट3- बसंती देवी -शहीद सत्यवीर सिंह की मां



Conclusion:फाइनल पीटूसी-परिवार में हुई शहादत के बाद इन परिवारों के जज्बे में कोई कमी नहीं है ।ई-टीवी ऐसे परिवार के जज्बे को सलाम करता है ।
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