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पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का लंबी बीमारी से निधन, सीएम योगी ने जताया शोक - रामवीर उपाध्याय के निधन पर सीएम ने जताया शोक

पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता रामवीर उपाध्याय का देर रात आगरा में निधन हो गया. वह लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामवीर उपाध्याय के निधन पर गहरा शोक जताते श्रद्धांजलि अर्पित की. उनका शव पैतृक गांव बामौली ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया.

पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय.
पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय.
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Published : Sep 3, 2022, 6:13 AM IST

Updated : Sep 3, 2022, 8:12 PM IST

हाथरस: पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता रामवीर उपाध्याय का देर रात आगरा में निधन हो गया. वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे.सीएम योगी ने रामवीर उपाध्याय के निधन पर गहरा शोक जताते श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, यूपी बीजेपी चीफ चौधरी भूपेंद्र सिंह ने ट्वीट करते लिखा कि भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री श्री रामवीर उपाध्याय जी के आकस्मिक निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं परिजनों व समर्थकों को इस अपार दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!

रामवीर उपाध्याय का शव शनिवार को हाथरस में उनके आवास के सामने लेबर कॉलोनी पार्क में लोगों के दर्शनार्थ के लिए रखा गया था, जहां खासा जनसैलाब उमड़ पड़ा. उसके बाद उनका शव पैतृक गांव बामौली ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी चिता को उनके बेटे चिरागवीर उपाध्याय ने मुखाग्नि दी. उनके अंतिम संस्कार के वक्त हर पार्टी के लोग मौजूद रहे. अंतिम संस्कार में मौजूद लोग रामवीर अमर रहे. जब तक सूरज चांद रहेगा राम जी उपाध्याय तेरा नाम रहेगा. नारे भी लगा रहे थे.

जानकारी देते मुरसान व्यापार मंडल के महामंत्री साबिर हुसैन सिद्दीकी.

रामवीर उपाध्याय का शव आज दोपहर 12 बजे आगरा से हाथरस पहुंचेगा. शव को हाथरस के लेबर कॉलोनी पार्क में करीब 4 घंटे अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. उसके बाद शाम 4 बजे चन्दपा थाना क्षेत्र के बामौली गांव में शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा. गौरतलब है कि बामौली गांव रामवीर उपाध्याय का पैतृक गांव हैं.

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श्रद्धांजलि देते लोग

लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे उपाध्याय को आगरा स्थित आवास से देर रात हालत बिगड़ने पर आगरा के रेनबो अस्पताल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. 64 वर्षीय रामवीर उपाध्याय मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. लगभग 25 साल तक हाथरस की विभिन्न विधानसभा सीटों से विधायक रहने वाले रामवीर उपाध्याय की गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी. उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय जिला पंचायत हाथरस की अध्यक्ष हैं. वह अपने पीछे एक बेटा और दो बेटियां छोड़ गए हैं. रामवीर उपाध्याय के भाई रामेश्वर ब्लॉक प्रमुख हैं. उनके एक और भाई मुकुल उपाध्याय पूर्व विधायक हैं.

परिवार के लोग गमजदा तो क्षेत्र की जनता दुखी, बाजार बंद
पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के निधन के बाद आज कस्बा मुरसान की व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखें. व्यापारियों का कहना है कि हमें अफसोस है कि हमारा प्रिय नेता अब इस दुनिया में नहीं रहे. रामवीर उपाध्याय के निधन के बाद पूरे जिले भर के लोग शोकाकुल हैं. मुरसान कस्बा के व्यापारियों ने उनके निधन के बाद बाजार बंद रखें और एक शोक सभा का भी आयोजन किया.

मुरसान व्यापार मंडल के महामंत्री साबिर हुसैन सिद्दीकी ने कहा कि हमें अफसोस है कि हमारा प्रिय नेता दुनिया से चला गए. इस क्षति को हम कभी पूरा नहीं कर सकते हैं. आज हम मुरसान के सभी व्यापारी एक साथ हैं. उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए सभी बाजार बंद रख रहे हैं.

गौरतलब है कि रामवीर उपाध्याय हाथरस जिले की तीनों हाथरस, सादाबाद और सिकंदराराऊ सीट से विधायक रह चुके हैं. वे लगातार 5 बार विधायक रहे हैं. साल 2019 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था, जिसके बाद 14 जनवरी 2022 को उन्होंने बसपा पार्टी से इस्तीफा दे दिया और 15 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. रामवीर उपाध्याय कद्दावर नेता माने जाते थे.

रामवीर उपाध्याय ने सक्रिय राजनीति में पदार्पण करते हुए साल 1993 में भारतीय जनता पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुए. लिहाजा उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर राजनीति में अपनी ताकत का एहसास कराया था. तब से वह अनवरत करीब 25 साल बहुजन समाज पार्टी के साथ रहे. साल 2019 में बसपा ने उन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने 14 जनवरी 2022 को बसपा पार्टी से इस्तीफा दे दिया और 15 जनवरी को बीजेपी ज्वाइन कर लिया.

रामवीर उपाध्याय साल 1996 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे. जीत के बाद वह मायावती सरकार में मंत्री बने. 3 मई 1997 को उन्होंने हाथरस को जिला बनवाया था. रामवीर उपाध्याय ने साल 1996, 2002, 2007 के लगातार तीन चुनाव हाथरस विधानसभा सीट से लड़कर जीते थे. साल 2012 में परिसीमन में हाथरस सीट के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर उन्हें यह सीट उन्हें छोड़नी पड़ी थी. तब उन्होंने 2012 का चुनाव सिकंदराराऊ विधानसभा सीट से लड़ा था और जीत दर्ज की थी. उसके बाद 2017 का चुनाव उन्होंने जिले की तीसरी विधानसभा सीट सादाबाद से लड़ा और विधायक चुने गए थे. साल 2022 के चुनाव में वह अस्वस्थ होने के बाद भी सादाबाद विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार वे हार गए. उन्हें रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह उर्फ गुड्डू चौधरी ने मात दी.

इसे भी पढ़ें- पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय भाजपा में शामिल, समर्थकों से बोले- लग जाओ चुनाव की तैयारियों में

हाथरस: पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता रामवीर उपाध्याय का देर रात आगरा में निधन हो गया. वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे.सीएम योगी ने रामवीर उपाध्याय के निधन पर गहरा शोक जताते श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, यूपी बीजेपी चीफ चौधरी भूपेंद्र सिंह ने ट्वीट करते लिखा कि भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री श्री रामवीर उपाध्याय जी के आकस्मिक निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं परिजनों व समर्थकों को इस अपार दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!

रामवीर उपाध्याय का शव शनिवार को हाथरस में उनके आवास के सामने लेबर कॉलोनी पार्क में लोगों के दर्शनार्थ के लिए रखा गया था, जहां खासा जनसैलाब उमड़ पड़ा. उसके बाद उनका शव पैतृक गांव बामौली ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी चिता को उनके बेटे चिरागवीर उपाध्याय ने मुखाग्नि दी. उनके अंतिम संस्कार के वक्त हर पार्टी के लोग मौजूद रहे. अंतिम संस्कार में मौजूद लोग रामवीर अमर रहे. जब तक सूरज चांद रहेगा राम जी उपाध्याय तेरा नाम रहेगा. नारे भी लगा रहे थे.

जानकारी देते मुरसान व्यापार मंडल के महामंत्री साबिर हुसैन सिद्दीकी.

रामवीर उपाध्याय का शव आज दोपहर 12 बजे आगरा से हाथरस पहुंचेगा. शव को हाथरस के लेबर कॉलोनी पार्क में करीब 4 घंटे अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. उसके बाद शाम 4 बजे चन्दपा थाना क्षेत्र के बामौली गांव में शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा. गौरतलब है कि बामौली गांव रामवीर उपाध्याय का पैतृक गांव हैं.

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श्रद्धांजलि देते लोग

लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे उपाध्याय को आगरा स्थित आवास से देर रात हालत बिगड़ने पर आगरा के रेनबो अस्पताल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. 64 वर्षीय रामवीर उपाध्याय मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. लगभग 25 साल तक हाथरस की विभिन्न विधानसभा सीटों से विधायक रहने वाले रामवीर उपाध्याय की गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी. उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय जिला पंचायत हाथरस की अध्यक्ष हैं. वह अपने पीछे एक बेटा और दो बेटियां छोड़ गए हैं. रामवीर उपाध्याय के भाई रामेश्वर ब्लॉक प्रमुख हैं. उनके एक और भाई मुकुल उपाध्याय पूर्व विधायक हैं.

परिवार के लोग गमजदा तो क्षेत्र की जनता दुखी, बाजार बंद
पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के निधन के बाद आज कस्बा मुरसान की व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखें. व्यापारियों का कहना है कि हमें अफसोस है कि हमारा प्रिय नेता अब इस दुनिया में नहीं रहे. रामवीर उपाध्याय के निधन के बाद पूरे जिले भर के लोग शोकाकुल हैं. मुरसान कस्बा के व्यापारियों ने उनके निधन के बाद बाजार बंद रखें और एक शोक सभा का भी आयोजन किया.

मुरसान व्यापार मंडल के महामंत्री साबिर हुसैन सिद्दीकी ने कहा कि हमें अफसोस है कि हमारा प्रिय नेता दुनिया से चला गए. इस क्षति को हम कभी पूरा नहीं कर सकते हैं. आज हम मुरसान के सभी व्यापारी एक साथ हैं. उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए सभी बाजार बंद रख रहे हैं.

गौरतलब है कि रामवीर उपाध्याय हाथरस जिले की तीनों हाथरस, सादाबाद और सिकंदराराऊ सीट से विधायक रह चुके हैं. वे लगातार 5 बार विधायक रहे हैं. साल 2019 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था, जिसके बाद 14 जनवरी 2022 को उन्होंने बसपा पार्टी से इस्तीफा दे दिया और 15 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. रामवीर उपाध्याय कद्दावर नेता माने जाते थे.

रामवीर उपाध्याय ने सक्रिय राजनीति में पदार्पण करते हुए साल 1993 में भारतीय जनता पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुए. लिहाजा उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर राजनीति में अपनी ताकत का एहसास कराया था. तब से वह अनवरत करीब 25 साल बहुजन समाज पार्टी के साथ रहे. साल 2019 में बसपा ने उन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने 14 जनवरी 2022 को बसपा पार्टी से इस्तीफा दे दिया और 15 जनवरी को बीजेपी ज्वाइन कर लिया.

रामवीर उपाध्याय साल 1996 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे. जीत के बाद वह मायावती सरकार में मंत्री बने. 3 मई 1997 को उन्होंने हाथरस को जिला बनवाया था. रामवीर उपाध्याय ने साल 1996, 2002, 2007 के लगातार तीन चुनाव हाथरस विधानसभा सीट से लड़कर जीते थे. साल 2012 में परिसीमन में हाथरस सीट के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर उन्हें यह सीट उन्हें छोड़नी पड़ी थी. तब उन्होंने 2012 का चुनाव सिकंदराराऊ विधानसभा सीट से लड़ा था और जीत दर्ज की थी. उसके बाद 2017 का चुनाव उन्होंने जिले की तीसरी विधानसभा सीट सादाबाद से लड़ा और विधायक चुने गए थे. साल 2022 के चुनाव में वह अस्वस्थ होने के बाद भी सादाबाद विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार वे हार गए. उन्हें रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह उर्फ गुड्डू चौधरी ने मात दी.

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Last Updated : Sep 3, 2022, 8:12 PM IST
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