हाथरसः जिले के सीआईएसएफ जवान की असम में तैनाती के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. सीआरपीएफ जवान के शव को गांव में पॉलीथिन में लपेट कर लाए जाने पर परिजनों का का गुस्सा फूट पड़ा. परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार न करने की जिद की. उनका कहना था कि जब तक उनके बेटे को सम्मान नहीं मिलेगा तब तक वह शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, लेकिन मौके पर मौजूद लोगों के समझाने पर वह लोग अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए.
मुरसान विकासखण्ड के गुवरारी गांव के सीआईएसएफ जवान डिप्टी सिंह पुत्र मुकेश कुमार असम में तैनात था. तैनाती के दौरान शुक्रवार को संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई. रविवार की तड़के सीआईएसएफ जवान के शव को गांव लेकर पहुंचे. सैनिक के शव को पॉलीथिन में बंधा देख परिजनों का का गुस्सा फूट गया. परिजन शव का अंतिम संस्कार न करने की जिद करते हुए बैठ गए. उनका कहना था कि जब तक उनके बेटे को सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक वह उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.
इसके बाद मौके पर पहुंचे जिले के अधिकारियों, एमएलए प्रदीप कुमार उर्फ गुड्डू चैधरी के समझाने और मथुरा से पहुंचे सीआरपीएफ अधिकारियों के 30 लाख रुपये व बेटे को 18 साल का होने पर नौकरी देने के बाद अंतिम संस्कार किया गया. सैनिक सम्मान से अंतिम संस्कार के बाद जिले के आलाअधिकारियों व सीआरपीएफ जवानों ने परिजनों को सांत्वना दी.
शहीद सैनिक के पिता मुकेश कुमार ने बताया कि उनके बेटे के शव को लाने वाले कुछ भी नहीं बता रहे हैं, लेकिन उसके शरीर पर चोट के निशान हैं, जिससे लगता है कि उसे मारा गया है. सादाबाद विधानसभ क्षेत्र के आरएलडी विधायक प्रदीप चौधरी ने बताया कि पार्थिव शरीर को लाने वाले लोगों ने बताया कि वीपी सिंह ने आत्महत्या कर ली है. लेकिन उसके शरीर पर चोटों के निशान देखने से लगता है कि उसको मारा गया है, उसकी हत्या हुई है. इसी को लेकर परिवार में गुस्सा था. परिजनों को 30 लाख रुपये व सैनिक के बेटे के जवान होने पर नौकरी देने का आश्वासन दिया गया है. इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया है.
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