हरदोईः प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना खुले में शौच मुक्त अभियान हरदोई जिले में में दम तोड़ रहा है. जिले में शासन-प्रशासन की उदासीनता से अधिकतर गांवों के लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. वहीं, जिले में एक ग्रामसभा ऐसा भी है, जहां की सैकड़ों महिलाओं ने घरों में शौचालय न होने के कारण ऐसा प्रण लिया है कि प्रधानमंत्री भी सुनकर हैरान हो जाएंगे. यहां की सैकड़ों महिलाओं ने खुले में शौच जाने से बचने के लिए एक ही टाइम खाना खाने का प्रण लिया है. पिछले चार सालों से महिलाएं एक ही टाइम भोजन करके अपना जीवन बिता रही हैं.
शासन-प्रशासन को शर्मशार करने के लिए महिलाओं ने लिया प्रण
बहर ग्राम सभा के नया गांव व आसपास के दो गांव की महिलाओं ने सरकार व शासन को शर्मसार करने व जिम्मेदारों की उदासीनता को दर्शाने के लिए एक पहर का भोजन त्यागने का प्रण लिया हुआ है. महिलाओं का मानना है कि वे एक पहर का खाना नहीं खाएंगी तो उन्हें दिन में शौच के लिए नहीं जाना पड़ेगा. लगभग 4 वर्षों से गांव की 5 सौ महिलाओं ने अपने संकल्प का पालन करते हुए एक ही पहर खाना खाती हैं. इसके बावजूद अभी तक सरकार व जिला प्रशासन का इस तरफ नहीं गया है. गांव की विकलांग से लेकर वृद्ध, जवान व बच्चियां इस प्रण को कायम रखे हुए हैं. महिलाओं ने कहा कि जब तक गांव के सभी घरों में शौचालय नहीं बन जाता तब तक एक ही समय खाना न खाएंगी.
करीब पांच सौ महिलाओं ने छोड़ा एक पहर का भोजन
जिले की बहर ग्राम सभा के नया गांव की आबादी करीब 15 सौ से 2 हज़ार के आस पास है. यहां के अधिकांश लोग आज भी खुले में शौच जाते हैं. जबकि इस गांव की महिलाएं सिर्फ रात्रि में ही शौच जाना मुनासिफ समझती हैं. ग्रामसभा की करीब 5 सौ महिलाओं और युवतियों ने एक पहर का भोजन करना ही बंद कर दिया है. यहां की महिलाएं और बेटियां सिर्फ रात में खाना खाती हैं, जिससे कि उन्हें दिन-दोपहर खुले में शौच न जाना पड़े.
चार साल पहले महिलाओं ने लिया था प्रण
गांव की महिलाओं द्वारा चार सालों से एक पहर खाना छोड़ने के बाद भी इनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका है. ग्राम प्रधान से ग्रामीणों ने कई बार शौचालय दिलवाए जाने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ईटीवी की टीम ने जब इस अनोखे गांव की स्थितियों का जायजा लिया तो हालात चौंकाने वाले सामने आए. नया गांव में एक या दो घरों को छोड़ अन्य किसी भी घर में शौचालय नहीं है. जबकि ओडीएफ यानी कि खुले से शौच मुक्त करने के अभियान में इस गांव को भी शामिल कर वाह-वाही बटोरी गयी है. इस गांव में महिलाएं दिन में अपने पति, बेटे और पुरुष परिवार के लिए भोजन तो पकाती हैं, लेकिन खुद भूखी रहती हैं. ईटीवी की टीम की जब गांव पहुंची तो एक व्यक्ति को उसकी पत्नी खाना तो परोस रही थी लेकिन लेकिन खुद भूखी बैठी थी.
आवासीय योजनाओं से भी वंचित हैं ग्रामीण
गांव में शौचालय न होने से तो गांव की महिलाओं ने एक पहर का खाना त्याग दिया. लेकिन घर न होने पर ये महिलाएं मजबूर दिख रही हैं. महिलाओं ने अपने अनोखे प्रण के साथ ही कच्चे मकान में रहने पर होने वाली दिक्कतों का भी बखान किया. महिलाओं ने सरकार से शौचालय के साथ ही कच्चे व टूटे मकानों में रह रहे लोगों को आवास दिए जाने की भी मांग की.
जब पता ही नहीं तो क्या बोलूं
पंचायत निदेशक किंजल सिंह का कहना है कि इस बारे में अभी मुझे कोई जानकारी नहीं तो इस बारे में अभी मैं कुछ भी नहीं बोल सकती हूं. इस बारे में पता कराया जा रहा है. हालांकि हरदोई की पूरी घटना बताने के बावजूद भी पंचायत निदेशक किंजल सिंह ने कुछ भी बोलने से पूरी तरह से मना कर दिया, जो निश्चित रूप से दुखद और शर्मनाक है.
जिले में तय किये गए लक्ष्य के अनुसार चिन्हित पात्रों को शौचालय मुहैया करवा दिए गए थे. जो लोग शेष बचे हैं उनके लिए दूसरी किश्त देने के लिए शासन से पैसों की मांग की गई है. जल्द ही उन्हें भी पात्रता के आधार पर इस योजना से लाभान्वित कर दिया जाएगा.
-अविनाश कुमार, जिलाधिकारी