हरदोईः जिले में खंडहर हो चुके विद्यालयों को ध्वस्त करने का निर्देश जारी हुआ था, लेकिन आज भी ये नौनहालों के लिए खतरा बनकर खड़े हैं. प्रशासन कब इन खंडहरों को ध्वस्त करेगा, इसका जवाब सिर्फ आश्वासन के रुप में मिलता है. वहीं खंडहर हो चुके विद्यालय नशेड़ियों का अड्डा बन गया है.
नए भवनों में पढ़ने के बाद भी बच्चे खंडहर हो चुके विद्यालयों के आस-पास खेलते और पढ़ते हैं, जिससे लगातार खतरा बना हुआ है, जबकि शासन स्तर से इस प्रकार के खंडहरों को ढहाए जाने के निर्देश जारी किए गए थे. इसके बावजूद आज भी 300 से अधिक विद्यालय जर्जर अवस्था में हैं और यहां मौजूद बच्चे खतरे के साये में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. वहीं कई विद्यालय ऐसे भी हैं, जो किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं और उनकी भी स्थिति बेहद खस्ताहाल है.
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जिले के शहरी इलाके सुभाषनगर, रेलवेगंज के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय और टोंडरपुर व उमरौली गांव में मौजूद परिषदीय विद्यालयों के भवन पूरी तरह से जर्जर हैं. वहीं शहर के सरायथोक पूर्वी में एक प्राथमिक विद्यालय जर्जर भवन में संचालित हो रहा है. इससे बेसिक शिक्षा विभाग हरदोई की उदासीनता जरूर जाहिर हो रही है और ये विद्यालय सरकार के प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं.
ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर जिम्मेदार अफसरानों की एक संयुक्त टीम बना कर इनका निरीक्षण कराया जाएगा. शासन को इन पुराने और जर्जर भवनों को नए भवनों में परिवर्तित करने का पत्राचार किया जा चुका है. जल्द ही इन जर्जर भवनों को नए भवनों परिवर्तित कर दिया जाएगा.
-गजेंद्र कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट