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हरदोई: शुभम ने वर्ल्ड रोबोटिक्स चैंपियनशिप में पाया प्रथम स्थान, लहराया परचम

उत्तर प्रदेश के हरदोई के युवा शुभम सिंह ने रोबोटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल कर देश का परचम लहराया है. बता दें कि इस प्रतियोगिता में विश्व भर से कुल 56 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था.

रोबोटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप में इस युवा का पहला स्थान
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Published : Oct 6, 2019, 1:38 PM IST

हरदोई: जिले के युवा शुभम सिंह ने हाल ही में हुई एक अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर देश का और अपने जिले का परचम लहराया है. वहीं इस प्रतियोगिता में पूरे विश्व से करीब 56 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. जिनमें शुभम के बनाये हुए ड्रोन को चुना गया और इस प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया.

रोबोटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप में इस युवा का पहला स्थान.

इसे भी पढ़ें:- हरदोई: जीवनदायिनी साबित हो रही डायल 100, एसपी ने 5 पुलिसकर्मियों को किया सम्मानित

शुभम सिंह ने देश का लहराया परचम
शुभम सिंह शहर की कोयलबाग कॉलोनी में रहते हैं. जिनके पिता रामचंद्र अधिवक्तता हैं तो माता जिला महिला अस्पताल में कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात हैं. शुभम ने हरिद्वार के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से अपना बीटेक मेकेनिकल ट्रेड से इसी वर्ष पूरा किया है. शुभम लंबे समय से ड्रोन और एयरक्राफ्ट पर शोध कर रहे थे और उनकी मेहनत का फल भी उन्हें आखिर मिल ही गया.

56 प्रतिभागियों में लाया प्रथम स्थान
दिल्ली में इंडियन कॉउंसिल ऑफ रोबोटिक्स एंड एयरक्राफ्ट के बैनर तले हुई तीन दिवसीय पांचवी अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स एंड एयरक्राफ्ट चैंपियनशिप में शुभम के बनाये गए ड्रोन ने सभी को आकर्षित कर लिया. जिसके लिए शुभम को अलग अलग देशों से आये करीब 56 रोबोटिक्स के प्रतिभागियों में से पहला स्थान प्राप्त हुआ.

युवाओं के प्रेरणा के स्रोत बने शुभम
इस अन्तर्राष्ट्ररीय प्रतियोगिता के विजेता होने के बाद शुभम ने अपने देश और जिले का नाम रोशन करने के साथ ही युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं. शुभम ने जानकारी दी कि उनका ये ड्रोन कोई खिलौना नहीं बल्कि एक हाईटेक ड्रोन है.

इसकी रेंज करीब 2.5 किलोमीटर की है और ये करीब 1 किलोमीटर की ऊंचाई तय कर सकता है. वहीं इसमें लगा कैमरा और जीपीएस सिस्टम भी बेहद कारगर है. बैटरी खत्म होने और रेंज से बाहर जाने के बाद भी ये ड्रोन किसी के हाथ नहीं आएगा, बल्कि सीधे अपने मालिक के पास ही आकर रूकेगा. इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए इस ड्रोन को सेलेक्ट किया गया.

आज भारत में इस तरह के ड्रोन्स इस्तेमाल में तो लाये जा रहे हैं लेकिन इन्हें यहां बनाया नहीं जा रहा बल्कि इम्पोर्ट कराया जा रहा है. इस तरह के ड्रोन्स का बाजार में मूल्य करीब डेढ़ लाख रूपये है. जबकि इसकी लागत राशि महज 25 से 30 हज़ार ही है.
-शुभम सिंह, विजेता छात्र

हरदोई: जिले के युवा शुभम सिंह ने हाल ही में हुई एक अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर देश का और अपने जिले का परचम लहराया है. वहीं इस प्रतियोगिता में पूरे विश्व से करीब 56 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. जिनमें शुभम के बनाये हुए ड्रोन को चुना गया और इस प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया.

रोबोटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप में इस युवा का पहला स्थान.

इसे भी पढ़ें:- हरदोई: जीवनदायिनी साबित हो रही डायल 100, एसपी ने 5 पुलिसकर्मियों को किया सम्मानित

शुभम सिंह ने देश का लहराया परचम
शुभम सिंह शहर की कोयलबाग कॉलोनी में रहते हैं. जिनके पिता रामचंद्र अधिवक्तता हैं तो माता जिला महिला अस्पताल में कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात हैं. शुभम ने हरिद्वार के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से अपना बीटेक मेकेनिकल ट्रेड से इसी वर्ष पूरा किया है. शुभम लंबे समय से ड्रोन और एयरक्राफ्ट पर शोध कर रहे थे और उनकी मेहनत का फल भी उन्हें आखिर मिल ही गया.

56 प्रतिभागियों में लाया प्रथम स्थान
दिल्ली में इंडियन कॉउंसिल ऑफ रोबोटिक्स एंड एयरक्राफ्ट के बैनर तले हुई तीन दिवसीय पांचवी अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स एंड एयरक्राफ्ट चैंपियनशिप में शुभम के बनाये गए ड्रोन ने सभी को आकर्षित कर लिया. जिसके लिए शुभम को अलग अलग देशों से आये करीब 56 रोबोटिक्स के प्रतिभागियों में से पहला स्थान प्राप्त हुआ.

युवाओं के प्रेरणा के स्रोत बने शुभम
इस अन्तर्राष्ट्ररीय प्रतियोगिता के विजेता होने के बाद शुभम ने अपने देश और जिले का नाम रोशन करने के साथ ही युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं. शुभम ने जानकारी दी कि उनका ये ड्रोन कोई खिलौना नहीं बल्कि एक हाईटेक ड्रोन है.

इसकी रेंज करीब 2.5 किलोमीटर की है और ये करीब 1 किलोमीटर की ऊंचाई तय कर सकता है. वहीं इसमें लगा कैमरा और जीपीएस सिस्टम भी बेहद कारगर है. बैटरी खत्म होने और रेंज से बाहर जाने के बाद भी ये ड्रोन किसी के हाथ नहीं आएगा, बल्कि सीधे अपने मालिक के पास ही आकर रूकेगा. इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए इस ड्रोन को सेलेक्ट किया गया.

आज भारत में इस तरह के ड्रोन्स इस्तेमाल में तो लाये जा रहे हैं लेकिन इन्हें यहां बनाया नहीं जा रहा बल्कि इम्पोर्ट कराया जा रहा है. इस तरह के ड्रोन्स का बाजार में मूल्य करीब डेढ़ लाख रूपये है. जबकि इसकी लागत राशि महज 25 से 30 हज़ार ही है.
-शुभम सिंह, विजेता छात्र

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर--हरदोई जिला वैसे भले ही विकसित न हो पाया हो लेकिन यहां के युवाओं ने आसमान की ऊंचाइयों को जरूर छू रखा है।जिसका उदाहरण जिले के एक माध्यम वर्गीय युवा शुभम सिंह हैं।शुभम ने हालही में हुई एक अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर देश का व अपने जिले का परचम लहराया है।वहीं इस प्रतियोगिता में पूरे विश्व से करीब 56 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।जिनमें शुभम के बनाये हुए ड्रोन को चुना गया और इस प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले के शुभम सिंह शहर की कोयलबाग कॉलोनी में रहते हैं।जिनके पिता रामचंद्र अधिवक्तता हैं तो माता जिला महिला अस्पताल में कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात हैं।शुभम ने हरिद्वार के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से अपना बीटेक मेकेनिकल ट्रेड से इसी वर्ष पूरा किया है।शुभम लंबे समय से ड्रोन व एयरक्राफ्ट पर शोध कर रहे थे और उनकी मेहनत का फल भी उन्हें आखिर मिल ही गया।दिल्ली में इंडियन कॉउंसिल ऑफ रोबोटिक्स एंड एयरक्राफ्ट के बैनर तले हुई तीन दिवसीय पांचवी अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स एंड एयरक्राफ्ट चैंपियनशिप में शुभम के द्वारा बनाये गए ड्रोन ने सभी को आकर्षित कर उनका मन जीत लिया।जिसके लिए शुभम को अलग अलग देशों से आये करीब 56 रोबोटिक्स के प्रतिभागियों में से पहला स्थान प्राप्त हुआ। इस अन्तर्राष्ट्ररी प्रतियोगिता के विजेता होने के बाद शुभम ने अपने देश व जिले का नाम तो रौशन किया ही साथ ही युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी वे बन गए हैं।भविष्य में भी ड्रोन व एयरक्राफ्ट पर शोध जारी रखने की बात शुभम ने कही है।शुभम ने जानकारी दी कि उनका ये ड्रोन कोई खिलौना नहीं बल्कि एक हाईटेक ड्रोन है।इसकी रेंज करीब 2.5 किलोमीटर की है और ये करीब 1 किलोमीटर की ऊंचाई तय कर सकता है।वहीं इसमें लगा कैमरा व जीपीएस सिस्टम बजी बेहद कारगर व हाईटेक है।बैटरी खत्म होने व रेंज से बाहर जानें के बाद भी ये ड्रोन किसी के हाथ नहीं आएगा, बल्कि सीधे अपने मालिक के पास ही आकर रुकेगा।यानी की इस कंट्रोल खत्म होने के बाद भी ये ड्रोन स्वतः अपने घर या फीड की गयी लोकेशन पर वापस आ जायेगा।इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए इस ड्रोन को सेलेक्ट किया गया व हरदोई के शुभम इस पांचवी अन्तर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता के विजेता घोषित हुए।

विसुअल

वीओ--2--ईटीवी के साथ हुई खास बात चीत में शुभम ने कहा आज भारत मे इस तरह के ड्रोन्स इस्तेमाल में तो लाये जा रहे हैं लेकिन इन्हें यहां बनाया नहीं जा रहा बल्कि इम्पोर्ट कराया जा रहा है।शुभम ने कहा कि उनका सपना ये है की वे इस तरह के ड्रोन्स को भारत मे ही बनाये जिससे कि इन्हें बाहर से इम्पोर्ट कराने की जरूरत न पड़े और सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिल सके।वहीं शुभम ने बताया कि इस तरह के ड्रोन्स का बाजार मूल्य करीब डेढ़ लाख रुपये है।जबकि इसकी लागत राशि महज 25 से 30 हज़ार ही है।सुनिए शुभम की जुबानी।

वन टू वन विद शुभम सिंह


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