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हरदोई: हर साल अपना आकार बदलता है यह शिवलिंग, आज भी है रहस्य

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Published : Jul 21, 2019, 8:44 PM IST

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर सकाहा गांव में संकट हरण शिव मंदिर स्थित है. कहते हैं कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग हर साल अपना आकार बदलता है. मंदिर में हिंदू, मुस्लिम सभी धर्मों के लोग दर्शन के लिए आते हैं. सावन के महीने में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ यहां आती है.

सावन में उमड़ता है यहां भक्तों का सैलाब.

हरदोई: जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां मंदिर में स्थित शिवलिंग प्रत्येक साल आकार बदलता है. मध्यकालीन युग के इस शिव मंदिर के रहस्य को आज तक कोई जान नहीं पाया है. हर साल यहां पर सावन के महीने में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं.

सावन में उमड़ता है यहां भक्तों का सैलाब.


जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर संकट हरण शिव मंदिर सकाहा है. मंदिर के महंत महेंद्र गोस्वामी बताते हैं कि यह शिवलिंग प्रत्येक साल आकार बदलता है. इस शिवलिंग का इतिहास बहुत ही पुराना और रोचक है. कहा जाता है कि करीब एक हजार साल पहले कस्बा बावन के सेठ लाला लाहौरी मल ने इस स्थान की सफाई करवाई, तो सफाई के दौरान उन्हें एक छोटा शिवलिंग मिला.


उन्होंने मन्नत मांगी. मन्नत पूरी होने के बाद लाला लाहोरी मल ने यहां पर एक मंदिर का निर्माण कराया. उस समय शिवलिंग छोटा था, लेकिन समय के साथ-साथ इस शिवलिंग का आकार बदलता गया. प्रत्येक साल शिवलिंग बढ़ता जा रहा है. आज यहां पर एक भव्य मंदिर है. भोलेनाथ के इस मंदिर के शिवलिंग का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है. प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई भक्त सावन महीने में यहां आते हैं.

हरदोई: जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां मंदिर में स्थित शिवलिंग प्रत्येक साल आकार बदलता है. मध्यकालीन युग के इस शिव मंदिर के रहस्य को आज तक कोई जान नहीं पाया है. हर साल यहां पर सावन के महीने में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं.

सावन में उमड़ता है यहां भक्तों का सैलाब.


जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर संकट हरण शिव मंदिर सकाहा है. मंदिर के महंत महेंद्र गोस्वामी बताते हैं कि यह शिवलिंग प्रत्येक साल आकार बदलता है. इस शिवलिंग का इतिहास बहुत ही पुराना और रोचक है. कहा जाता है कि करीब एक हजार साल पहले कस्बा बावन के सेठ लाला लाहौरी मल ने इस स्थान की सफाई करवाई, तो सफाई के दौरान उन्हें एक छोटा शिवलिंग मिला.


उन्होंने मन्नत मांगी. मन्नत पूरी होने के बाद लाला लाहोरी मल ने यहां पर एक मंदिर का निर्माण कराया. उस समय शिवलिंग छोटा था, लेकिन समय के साथ-साथ इस शिवलिंग का आकार बदलता गया. प्रत्येक साल शिवलिंग बढ़ता जा रहा है. आज यहां पर एक भव्य मंदिर है. भोलेनाथ के इस मंदिर के शिवलिंग का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है. प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई भक्त सावन महीने में यहां आते हैं.

Intro:स्लग--आकार बदलने वाले इस चमत्कारी शिवलिंग का क्या है रहस्य आप भी जाने

एंकर--यूपी के हरदोई में आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं एक ऐसे शिव मंदिर से जहां शिव मंदिर का आकार प्रत्येक वर्ष बढ़ता जाता है मध्यकालीन युग के इस शिव मंदिर के इस रहस्य को आज तक कोई जान नहीं सका है हर साल यहां पर सावन के महीने में भव्य मेले का आयोजन होता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं और पूजा अर्चना कर कृपा पाते हैं भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर कृपा बरसा कर उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं यहां आने वाले भक्तों में हर धर्म के लोग आते हैं जो भगवान भोलेनाथ से दुआएं मांगते हैं और भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।


Body:vo--उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में यह चमत्कारी शिव मंदिर जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर संकट हरण सकाहा मंदिर है।मंदिर के महंत महेंद्र गोस्वामी बताते हैं कि यह शिवलिंग प्रत्येक वर्ष आकार बदलता है इस शिवलिंग का इतिहास बहुत ही पुराना और रोचक है करीब 1000 साल पूर्व कस्बा बावन के सेठ लाला लाहौरी मल ने इस स्थान की सफाई करवाई तो सफाई के दौरान उन्हें एक छोटा शिवलिंग मिला जिसके बाद उन्होंने अपनी मन्नत मांगी लाला लाहोरी मल की मन्नत पूर्ण हुई जिसके बाद लाला लाहोरी मल ने यहां पर एक मंदिर का निर्माण कराया उस समय शिव लिंग छोटा था लेकिन समय के साथ साथ इस शिवलिंग का आकार बदलता गया और शिवलिंग लगातार बड़ा होता गया और आज यह यहां पर एक भव्य मंदिर है इस शिवलिंग की खासियत यह है कि शिवलिंग के अंदर शिवलिंग है कहते हैं कि भोलेनाथ के इस मंदिर के शिवलिंग का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है हालांकि इस पर कई बार चर्चा हुई लोगों ने जानने की कोशिश भी की लेकिन भगवान भोलेनाथ के इस चमत्कार को इस रहस्य को कोई भी नहीं जान सका प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में चाहे हिंदू हो मुस्लिम हो सिख हो या इसाई हो सावन माह के महीने में यहां लगने वाले मेले में लोग संकट हरण भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं और भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

बाइट-- विजय कुमार त्रिवेदी श्रद्धालु
बाइट-- महेंद्र गोस्वामी मंदिर के महंत


Conclusion:voc--भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है कांवरिया गंगा नदी से जल भरकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित करते हैं सभी दर्शनार्थियों की भगवान भोलेनाथ मनोकामना पूर्ण करते हैं यहां कई पीढ़ियों से लोग लगातार आ रहे हैं और भगवान भोलेनाथ से कृपा पा रहे हैं।

आशीष द्विवेदी
हरदोई up
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