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हरदोई: नुमाइश मेले में सम्पन्न हुआ रावण दहन, जानिए इससे जुड़ी ऐतिहासिक बातें

यूपी के हरदोई में मंगलवार को 111 वर्षों से नए वर्ष पर आयोजित होने वाले नुमाइश मेले में रावण दहन किया गया. कहा जाता है कि यह रावण कौमी एकता की मिसाल है. जानिए इससे जुड़ी ऐतिहासिक बातें...

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नुमाइश मेले में सम्पन्न हुआ रावण दहन
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Published : Feb 25, 2020, 11:33 PM IST

हरदोई: जिले में मंगलवार को 111 वर्षों से नए वर्ष पर आयोजित होने वाले ऐतिहासिक और पौराणिक नुमाइश मेले में रावण दहन किया गया. कहा जाता है कि यह रावण कौमी एकता की मिसाल है. वहीं, यह रावण दहन दशहरा पर नहीं, बल्कि हर साल होली से पहले किया जाता है.

नुमाइश मेले में सम्पन्न हुआ रावण दहन

दरअसल ऐतिहासिक और पौराणिक नुमाइश मेले में रामलीला के बाद दहन होने वाले रावण को बनाने वाले कारीगर एक मुस्लिम समुदाय के हैं. जो चार पुश्तों से यहां आकर रावण बनाने का काम कर रहे हैं.

इनका नाम इंसाफ अली हैं और वह लखीमपुर के रहने वाले हैं. इंसाफ एक या दो वर्षों से इस मेले का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि उनके बाप-दादा भी इसी मेले में आकर रावण के पुतले को बनाते थे. वहीं, मेले में मंगलवार को इंसाफ अली को इस बात के लिए पुरस्कृत भी किया गया. साथ ही लोगों से इस हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक मेले में आकर सीख लेने की अपील भी की गई. इस बात को देखते हुए यह रावण दहन कहीं न कहीं कौमी एकता और राष्ट्रीय एकता की मिसाल पेश करता है.

यह भी पढ़ें: मेलानिया का स्कूल दौरा समाप्त, छात्रों ने उपहार में दिया मधुबनी पेटिंग

इस वर्ष दहन किया गया रावण करीब 50 फ़ीट लंबा और करीब एक लाख की लागत का बना था. बता दें कि नए साल से इस मेले की शुरुआत होती हैं और इसके बाद दुकानदार अन्य जिलों में जाकर पूरे साल मेले का कार्य करते हैं.

हरदोई: जिले में मंगलवार को 111 वर्षों से नए वर्ष पर आयोजित होने वाले ऐतिहासिक और पौराणिक नुमाइश मेले में रावण दहन किया गया. कहा जाता है कि यह रावण कौमी एकता की मिसाल है. वहीं, यह रावण दहन दशहरा पर नहीं, बल्कि हर साल होली से पहले किया जाता है.

नुमाइश मेले में सम्पन्न हुआ रावण दहन

दरअसल ऐतिहासिक और पौराणिक नुमाइश मेले में रामलीला के बाद दहन होने वाले रावण को बनाने वाले कारीगर एक मुस्लिम समुदाय के हैं. जो चार पुश्तों से यहां आकर रावण बनाने का काम कर रहे हैं.

इनका नाम इंसाफ अली हैं और वह लखीमपुर के रहने वाले हैं. इंसाफ एक या दो वर्षों से इस मेले का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि उनके बाप-दादा भी इसी मेले में आकर रावण के पुतले को बनाते थे. वहीं, मेले में मंगलवार को इंसाफ अली को इस बात के लिए पुरस्कृत भी किया गया. साथ ही लोगों से इस हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक मेले में आकर सीख लेने की अपील भी की गई. इस बात को देखते हुए यह रावण दहन कहीं न कहीं कौमी एकता और राष्ट्रीय एकता की मिसाल पेश करता है.

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इस वर्ष दहन किया गया रावण करीब 50 फ़ीट लंबा और करीब एक लाख की लागत का बना था. बता दें कि नए साल से इस मेले की शुरुआत होती हैं और इसके बाद दुकानदार अन्य जिलों में जाकर पूरे साल मेले का कार्य करते हैं.

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