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हरदोई: कुम्हारों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ, इस बार भी दिवाली अंधेरे में होने के आसार

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Published : Oct 19, 2019, 12:10 PM IST

उत्तर प्रदेश के हरदोई में कुम्हारों को विकसित करने की कला बोर्ड योजना फेल होती नजर आ रही है. दरअसल कुम्हारों को इस योजना के बाबजूद मिट्टी खरीद कर उत्पाद बनाने पड़ रहे हैं. जिसके चलते इस बार भी इनकी दीवाली अंधेरे में होती नजर आ रही हैं. .

इस बार भी कुम्हारों की दीवाली अंधेरे में होने के आसार

हरदोई: जिले में सरकार की कुम्हारों को विकसित करने की 'माटी कला बोर्ड' योजना फेल होती नजर आ रही है. दरअसल इस योजना के अंतर्गत निशुल्क मिट्टी और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा पेश किया गया था, लेकिन इसके बाबजूद कुम्हारों को मिट्टी खरीदकर उत्पाद बनाने पड़ रहे हैं, जिसके चलते दूसरों की दीवाली जगमग करने वाले इन कुम्हारों की दीवाली इस बार भी अंधेरे में होती नजर आ रही है.

इस बार भी कुम्हारों की दीवाली अंधेरे में होने के आसार.
मिट्टी खरीद कर बना रहे उत्पादआज भी सैकड़ों कुम्हार अपने पुश्तैनी काम को कर अपनी पहचान कायम रखे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन इनकी ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझ रहे हैं. कुम्हारों को मिट्टी की दियाली, मूर्तियां और बर्तन आदि बनाने के लिए निशुल्क मिट्टी देने का वादा तो किया गया था, लेकिन न इन्हें निशुल्क मिट्टी मिल रही है और न ही अन्य सुविधाएं.योजना के बारे में नहीं है जानकारी वहीं माटी बोर्ड कला योजना कुम्हारों के विकास के चलाई गई है, लेकिन इस योजना के बारे में उन्हें जानकारी तक नहीं है, जबकि पूर्व में माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने यहां आकर सभी जिम्मेदार अफसरों को जागरूकता का प्रसार करने के निर्देश भी जारी किए थे.चाइनीज उत्पादों की बिक्री हो खत्मकुम्हारों का कहना है कि हम मिट्टी दो हजार रुपये प्रति ट्रॉली के हिसाब से खरीद रहे हैं. इसके अलावा उनका कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बढ़ती चाइनीज उत्पादों की बिक्री को बंद किया जाए, जिससे की मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिल सके.

यह भी पढ़ें: लखनऊः बलरामपुर और सिविल अस्पताल में रात में भी किया जाएगा अति गंभीर मरीजों का इलाज

हमें मिट्टी निशुल्क नहीं मिल रही हैं. मिट्टी खरीद कर काम कर रहे हैं.
-राजेन्द्र, कुम्हार

बढ़ती चाइनीज उत्पादों की बिक्री को बंद किया जाए, जिससे मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिल सके.
-फूलचंद्र, कुम्हार

हरदोई: जिले में सरकार की कुम्हारों को विकसित करने की 'माटी कला बोर्ड' योजना फेल होती नजर आ रही है. दरअसल इस योजना के अंतर्गत निशुल्क मिट्टी और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा पेश किया गया था, लेकिन इसके बाबजूद कुम्हारों को मिट्टी खरीदकर उत्पाद बनाने पड़ रहे हैं, जिसके चलते दूसरों की दीवाली जगमग करने वाले इन कुम्हारों की दीवाली इस बार भी अंधेरे में होती नजर आ रही है.

इस बार भी कुम्हारों की दीवाली अंधेरे में होने के आसार.
मिट्टी खरीद कर बना रहे उत्पादआज भी सैकड़ों कुम्हार अपने पुश्तैनी काम को कर अपनी पहचान कायम रखे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन इनकी ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझ रहे हैं. कुम्हारों को मिट्टी की दियाली, मूर्तियां और बर्तन आदि बनाने के लिए निशुल्क मिट्टी देने का वादा तो किया गया था, लेकिन न इन्हें निशुल्क मिट्टी मिल रही है और न ही अन्य सुविधाएं.योजना के बारे में नहीं है जानकारी वहीं माटी बोर्ड कला योजना कुम्हारों के विकास के चलाई गई है, लेकिन इस योजना के बारे में उन्हें जानकारी तक नहीं है, जबकि पूर्व में माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने यहां आकर सभी जिम्मेदार अफसरों को जागरूकता का प्रसार करने के निर्देश भी जारी किए थे.चाइनीज उत्पादों की बिक्री हो खत्मकुम्हारों का कहना है कि हम मिट्टी दो हजार रुपये प्रति ट्रॉली के हिसाब से खरीद रहे हैं. इसके अलावा उनका कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बढ़ती चाइनीज उत्पादों की बिक्री को बंद किया जाए, जिससे की मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिल सके.

यह भी पढ़ें: लखनऊः बलरामपुर और सिविल अस्पताल में रात में भी किया जाएगा अति गंभीर मरीजों का इलाज

हमें मिट्टी निशुल्क नहीं मिल रही हैं. मिट्टी खरीद कर काम कर रहे हैं.
-राजेन्द्र, कुम्हार

बढ़ती चाइनीज उत्पादों की बिक्री को बंद किया जाए, जिससे मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिल सके.
-फूलचंद्र, कुम्हार

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई।9919941250

एंकर--हरदोई जिले में इस दीवाली भी कुम्हारों के जीवन मे अंधेरा पसरा रहेगा।इस बार भी शायद इन गरीब कुम्हारों को इनके मेहनताने व उत्पादों का सही दाम नहीं मिल पायेगा।इस दीवाली भी कुम्हारों ने चाइनीज़ उत्पादों की बिक्री ज्यादा होने के चलते उनकी मार्किट फीकी रहने पर दुख व्यक्त किया है।हालांकि सरकार की इन कुम्हारों को विकसित करने की माटी कला बोर्ड की योजना खोखली होती नज़र आ रही है।जिले के कुम्हारों को आज भी मिट्टी खरीद कर उत्पाद बनाने पड़ रहे है।जबकि इस बोर्ड के तहत कुम्हारों को निशुल्क मिट्टी व अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा पेश किया गया था।आलम आज भी जस का तस है दूसरों की दीवाली जगमग करने वाले कुम्हारों की दीवाली इस बार भी अंधेरे में रहेगी।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले में आज भी सैकड़ों कुम्हार अपने पुश्तैनी काम को कर अपनी पहचान कायम रखे हैं।लेकिन सरकार व शासन इस तरफ ध्यान देना जरूरी नहीं समझ रही है।ये तस्वीरें हैं जिले के शहरी इलाकों के कुम्हारों की जिनकी स्थिति और हालात आज भी दयनीय है।इन्हें मिट्टी की दियाली, मूर्तियां व बर्तन आदि बनाने के लिए न ही तो निशुल्क मिट्टी मिली और न ही अन्य सुविधाएं जो इन्हें माटी बोर्ड कला के माध्यम से दिए जाने का दावा किया गया था।जबकि कुम्हारों को इस बोर्ड के बारे में जानकारी तक नहीं है।जबकि पूर्व में माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने यहां आकर सभही जिम्मेदार अफसरों को जागरूकता का प्रसार करने के निर्देश भी जारी किए थे।आज भी ये कुम्हार मार्किट में सही जगह व अपनी पहचान बनाने की आस लगाए बैठे हैं।कुम्हारों से जब इस विषय मे बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बार भी उन्होंने 2 हज़ार रुपये प्रक़ति ट्रॉली के हिसाब से मिट्टी की खरीब ठेकेदारों के जरिये की है।

विसुअल विद वॉइस ओवर
बाईट--राजेन्द्र--कुम्हार

वीओ--2--वहीं एक अन्य कुम्हार से जब इस दीवाली का हाल जाना गया तो उसने अपनी गरीबी का हवाला दिया और जैसे तैसे गुजर बसर किये जाने की बात कही।उसने बढ़ती चाइनीज़ उत्पादों की बिक्री को अपना खत्म होता वजूद बताया।कुम्हारों ने सरकार से चाइनीज़ उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाकर मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा देने की गुहार लगाई है।वहीं इस दीवाली भी मार्किट में पसरी मंदी का बखान कुम्हारों ने किया।ऐसे में साफ है कि दूसरों के घर उजाला करने वालों के घर इस दीवाली भी पसरा रहेगा अंधेरा।विधिवकत जानकारी से कुम्हारों ने अवगत कराया।सुनिए कुम्हारों का दर्द उन्ही की जुबानी।

बाईट--फूलचंद्र--कुम्हार
पीटूसी


Conclusion:
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