हरदोई: जिले में सरकार की कुम्हारों को विकसित करने की 'माटी कला बोर्ड' योजना फेल होती नजर आ रही है. दरअसल इस योजना के अंतर्गत निशुल्क मिट्टी और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा पेश किया गया था, लेकिन इसके बाबजूद कुम्हारों को मिट्टी खरीदकर उत्पाद बनाने पड़ रहे हैं, जिसके चलते दूसरों की दीवाली जगमग करने वाले इन कुम्हारों की दीवाली इस बार भी अंधेरे में होती नजर आ रही है.
इस बार भी कुम्हारों की दीवाली अंधेरे में होने के आसार. मिट्टी खरीद कर बना रहे उत्पादआज भी सैकड़ों कुम्हार अपने पुश्तैनी काम को कर अपनी पहचान कायम रखे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन इनकी ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझ रहे हैं. कुम्हारों को मिट्टी की दियाली, मूर्तियां और बर्तन आदि बनाने के लिए निशुल्क मिट्टी देने का वादा तो किया गया था, लेकिन न इन्हें निशुल्क मिट्टी मिल रही है और न ही अन्य सुविधाएं.योजना के बारे में नहीं है जानकारी वहीं माटी बोर्ड कला योजना कुम्हारों के विकास के चलाई गई है, लेकिन इस योजना के बारे में उन्हें जानकारी तक नहीं है, जबकि पूर्व में माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने यहां आकर सभी जिम्मेदार अफसरों को जागरूकता का प्रसार करने के निर्देश भी जारी किए थे.चाइनीज उत्पादों की बिक्री हो खत्मकुम्हारों का कहना है कि हम मिट्टी दो हजार रुपये प्रति ट्रॉली के हिसाब से खरीद रहे हैं. इसके अलावा उनका कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बढ़ती चाइनीज उत्पादों की बिक्री को बंद किया जाए, जिससे की मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिल सके. यह भी पढ़ें: लखनऊः बलरामपुर और सिविल अस्पताल में रात में भी किया जाएगा अति गंभीर मरीजों का इलाज
हमें मिट्टी निशुल्क नहीं मिल रही हैं. मिट्टी खरीद कर काम कर रहे हैं.
-राजेन्द्र, कुम्हार
बढ़ती चाइनीज उत्पादों की बिक्री को बंद किया जाए, जिससे मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा मिल सके.
-फूलचंद्र, कुम्हार