हरदोई: जनपद में दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. एक मां ने अपने नवजात बालक को गन्ने के खेत में मरने के लिए फेंक दिया. लेकिन, कहते हैं न जाको राखे साइयां मार सके ना कोय. यह कहावत उस समय चरितार्थ होती दिखी, जब गन्ने के खेत में बच्चे की रोने की आवाज सुनकर कुछ ग्रामीणों की नजर बच्चे पर पड़ी. ग्रामीणों ने तत्काल बच्चे को अस्पताल पहुंचाया. चिकित्सकों ने बच्चे को स्वस्थ बताया है.
मामला जिले के थाना टडियावा इलाके के जगरौली गांव का है. जहां ग्रामीणों की सजगता से एक नवजात बालक की जान बच गई. दरअसल, गांव के बाहर जा ग्रामीणों में से सुरेश चंद्र पांडेय को गन्ने के खेत में बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी. इसके बाद तमाम ग्रामीणों की भीड़ मौके पर जुट गई. एक ग्रामीण ने आनन-फानन में नवजात बालक को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया. जहां उसे प्राथमिक उपचार दिया गया.
मामले की सूचना पर पहुंची चाइल्ड हेल्पलाइन टीम (child helpline team) ने बच्चे को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया, जहां उसका उपचार किया जा रहा है. चिकित्सकों ने बच्चे को स्वस्थ बताया है. यह तो भगवान ही जाने कि निर्मोही हुई मां ने अपने जिगर के टुकड़े को लोकलाज के भय या फिर किसी और वजह से गन्ने के खेत में मरने के लिए छोड़ा होगा. फिलहाल ग्रामीणों की सजगता से नवजात बालक की जान बच गई. यह तो गनीमत रही कि बच्चे पर ग्रामीणों की नजर पड़ गयी और उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया, नहीं तो जंगली जानवर नवजात बालक को नुकसान भी पहुंचा सकते थे.
चाइल्ड हेल्पलाइन टीम के कोऑर्डिनेटर अनूप तिवारी (Child Helpline Team Coordinator Anoop Tiwari) ने बताया कि 1098 के माध्यम से सूचना मिली थी कि थाना टडियावा के एक गांव में गन्ने के खेत में एक नवजात शिशु पड़ा मिला है. जिसको एक व्यक्ति ने रेस्कयू कर अस्पताल में भर्ती कराया है. सूचना पर बच्चे को अस्पताल से मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया है. जहां उसका उपचार चल रहा है. आगे की कार्रवाई की जा रही है.
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