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मन कक्ष से दूर होगा डिप्रेशन और फ्रस्टेशन

हरदोई में स्वास्थ्य विभाग ने मन कक्ष नाम से एक विभाग का संचालन शुरू किया है. इसका मकसद उन तमाम मानसिक रोगियों को तांत्रिकों के जाल में न फसने की सलाह देकर चिकित्सकों से परामर्श लेने की राय देना है.

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Published : May 31, 2019, 11:30 PM IST

मन कक्ष विभाग का संचालन शुरू

हरदोईः जिले में मानसिक विभाग की ओपीडी के साथ अब मन कक्ष भी संचालित किया जा रहा है. यहां मरीजों को दवा से नहीं बल्कि थेरेपी के माध्यम से ठीक किया जा रहा है. मन कक्ष को एक वर्ष से संचालित किया जा रहा है. मनोरोग विशेषज्ञ जिले में घूमकर लोगों में जागरूक करने का प्रसार भी कर रहे हैं और उन्हें तांत्रिकों के जाल में न फसने की सलाह देकर चिकित्सकों से परामर्श लेने की राय देते हैं. जिले में इस मन कक्ष के खुलने से ओपीडी में मरीजों की संख्या में दो से तीन गुना तक इजाफा देखने को मिला है.

मन कक्ष विभाग का संचालन शुरू

क्या है ये मन कक्षः

  • विशेषज्ञों की माने अब जो केस सामने देखने को मिलते हैं वो डिप्रेशन और एंजाइटी के हैं.
  • इस तरह के मानसिक रोग 90 फीसदी लोगों में देखने को मिल रहे हैं.
  • इस कक्ष को मानसिक ओपीडी के साथ जोड़ा गया है.
  • जहां साइकोलॉजिकल तकनीक के जरिये बिहेवियर थिरेपी, फैमिली थिरेपी, कपल थिरेपी, माइंड फुलनेस थिरेपी, कंजेटिव बिहेवियर थिरेपी, हिपनो थिरेपी, योगा थिरेपी के जरिये लोगों को ठीक किया जा रहा है.

क्या है मुख्य लक्षणः

  • नींद न आना या देर से नींद आना.
  • उलझन, घबराहट या चिंता होना.
  • उदास या मायूस होना, काम में मन न लगना.
  • गाली-गलौज करना या उल्टा सीधा बोलना.
  • आत्महत्या का विचार आना.
  • बेवजह शक से ग्रसित रहना.
  • बेहोशी के दौरे आना.
  • अधिक गुस्सा आना, सिर दर्द या भारीपन रहना
  • नशे का आदि हो जाना.
  • आवश्यकता से अधिक साफ-सफाई या एक ही काम बार-बार करना.

दवा हर मर्ज का इलाज नहीं होता. इस कक्ष में अभी तक सैकड़ों मरीज़ थिरेपी के माध्यम से ठीक हो चुके हैं.
-डॉ राम नारायण, साइकोलॉजिस्ट

हरदोईः जिले में मानसिक विभाग की ओपीडी के साथ अब मन कक्ष भी संचालित किया जा रहा है. यहां मरीजों को दवा से नहीं बल्कि थेरेपी के माध्यम से ठीक किया जा रहा है. मन कक्ष को एक वर्ष से संचालित किया जा रहा है. मनोरोग विशेषज्ञ जिले में घूमकर लोगों में जागरूक करने का प्रसार भी कर रहे हैं और उन्हें तांत्रिकों के जाल में न फसने की सलाह देकर चिकित्सकों से परामर्श लेने की राय देते हैं. जिले में इस मन कक्ष के खुलने से ओपीडी में मरीजों की संख्या में दो से तीन गुना तक इजाफा देखने को मिला है.

मन कक्ष विभाग का संचालन शुरू

क्या है ये मन कक्षः

  • विशेषज्ञों की माने अब जो केस सामने देखने को मिलते हैं वो डिप्रेशन और एंजाइटी के हैं.
  • इस तरह के मानसिक रोग 90 फीसदी लोगों में देखने को मिल रहे हैं.
  • इस कक्ष को मानसिक ओपीडी के साथ जोड़ा गया है.
  • जहां साइकोलॉजिकल तकनीक के जरिये बिहेवियर थिरेपी, फैमिली थिरेपी, कपल थिरेपी, माइंड फुलनेस थिरेपी, कंजेटिव बिहेवियर थिरेपी, हिपनो थिरेपी, योगा थिरेपी के जरिये लोगों को ठीक किया जा रहा है.

क्या है मुख्य लक्षणः

  • नींद न आना या देर से नींद आना.
  • उलझन, घबराहट या चिंता होना.
  • उदास या मायूस होना, काम में मन न लगना.
  • गाली-गलौज करना या उल्टा सीधा बोलना.
  • आत्महत्या का विचार आना.
  • बेवजह शक से ग्रसित रहना.
  • बेहोशी के दौरे आना.
  • अधिक गुस्सा आना, सिर दर्द या भारीपन रहना
  • नशे का आदि हो जाना.
  • आवश्यकता से अधिक साफ-सफाई या एक ही काम बार-बार करना.

दवा हर मर्ज का इलाज नहीं होता. इस कक्ष में अभी तक सैकड़ों मरीज़ थिरेपी के माध्यम से ठीक हो चुके हैं.
-डॉ राम नारायण, साइकोलॉजिस्ट

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर-----हरदोई जिले में मानसिक विभग की ओपीडी के साथ ही मन कक्ष भी संचालित किया जा रहा है।यहां मरीज़ों को दवा से नहीं बल्कि थिरेपीज के जरिये ठीक किया जाता है।इस मन कक्ष को एक वर्ष से संचालित किया जा रहा है।यहां के विशेषज्ञ जिले में घूम कर लोगों में जागरूकता का प्रसार भी करते हैं और उन्हें तांत्रिकों के जाल में न फसने की सलाह देकर चिकित्सकों से परामर्श लेने की राय देते हैं।आज जिले में इस मन कक्ष के खुलने से ओपीडी में मरीजों की संख्या में दो से तीन गुना तक इजाफा देखने को मिला है।आइए जानते हैं कि क्या है ये मन कक्ष और कैसे दवाओं के बिना होता है यहां मानसिक रोगियों का इलाज।


Body:वीओ--1--विशेषज्ञों की माने तो पूर्व में मानसिक विक्षिप्त मानसिक रोगी अधिक संख्या में देखने को मिलते थे।लेकिन आज के समय में यहां जो केस सामने आ रहे हैं वो डिप्रेशन और एंजाइटी आदि के हैं।इस तरह के मानसिक रोग 90 फीसदी तक लोगों में देखने को मिल रहे हैं।ऐसे रोगों के लक्षण:नींद न आना या देर से नींद आना, उलझन, घबराहट या चिंता होना, उदास या मायूस रहना, काम मे मन न लगना, गली गलौज करना या उल्टा सीधा बोलना, आत्म हत्या का विचार आना,बेवजह शक से ग्रसित रहना, बेहोशी के दौरे आना, अधिक गुस्सा आना, नशे का आदि हो जाना, सर दर्द या भारीपन रहना, आवश्यकता से अधिक साफ सफाई या एक ही काम बार बार करना और बुद्धि का कम विकास होना आदि होते हैं।इन लक्षणों को आज के समय मे अधिकांश लोगों में पाया गया है।इसे देखते हुए ही स्वास्थ्य विभाग ने मन कक्ष नाम से एक विभाग का संचालन शुरू किया है।इस कक्ष को मानसिक ओपीडी के साथ जोड़ा गया है।यहां तरह तरह की थिरेपीज के जरिये लोगों को ठीक किया जाता है।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--जिले के मन कक्ष में तैनात क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ राम नारायण बताते हैं कि दवा हर मर्ज का इलाज नहीं होती।वे इस कक्ष में अभी तक सैकड़ो मरीज़ों को थिरेपीज के माध्यम से ठीक कर चुके हैं।डॉ राम कहते हैं कि यहां वे साइकोलॉजिकल तकनीक के जरिये बिहेवियर थिरेपी, फैमिली थिरेपी, कपल थिरेपी, माइंड फुलनेस थिरेपी, कंजेटिव बिहेवियर थिरेपी, हिपनो थिरेपी, योगा थिरेपी, रिगनो थिरेपी आदि दी जाती हैं।साथ ही मरीज़ों की काउंसलिंग भी की जाती है।उन्होंने कहा कि आज के समय मे ज्यादातर छात्र छात्राओं को इन थेरेपीज की आवश्यकता है।कहा कि जिले में कुल 30 काउंसलर्स मौजूद हैं जो लोगों में जागरूकता का प्रसार करने में भी सहयोग प्रदर करते हैं।विधिवत जानकारी से विशेषज्ञ डॉक्टर ने अवगत कराया।

बाईट--डॉ राम नारायण--क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट जिला अस्पताल में कक्ष

पीटूसी


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