हरदोईः जिले में मानसिक विभाग की ओपीडी के साथ अब मन कक्ष भी संचालित किया जा रहा है. यहां मरीजों को दवा से नहीं बल्कि थेरेपी के माध्यम से ठीक किया जा रहा है. मन कक्ष को एक वर्ष से संचालित किया जा रहा है. मनोरोग विशेषज्ञ जिले में घूमकर लोगों में जागरूक करने का प्रसार भी कर रहे हैं और उन्हें तांत्रिकों के जाल में न फसने की सलाह देकर चिकित्सकों से परामर्श लेने की राय देते हैं. जिले में इस मन कक्ष के खुलने से ओपीडी में मरीजों की संख्या में दो से तीन गुना तक इजाफा देखने को मिला है.
क्या है ये मन कक्षः
- विशेषज्ञों की माने अब जो केस सामने देखने को मिलते हैं वो डिप्रेशन और एंजाइटी के हैं.
- इस तरह के मानसिक रोग 90 फीसदी लोगों में देखने को मिल रहे हैं.
- इस कक्ष को मानसिक ओपीडी के साथ जोड़ा गया है.
- जहां साइकोलॉजिकल तकनीक के जरिये बिहेवियर थिरेपी, फैमिली थिरेपी, कपल थिरेपी, माइंड फुलनेस थिरेपी, कंजेटिव बिहेवियर थिरेपी, हिपनो थिरेपी, योगा थिरेपी के जरिये लोगों को ठीक किया जा रहा है.
क्या है मुख्य लक्षणः
- नींद न आना या देर से नींद आना.
- उलझन, घबराहट या चिंता होना.
- उदास या मायूस होना, काम में मन न लगना.
- गाली-गलौज करना या उल्टा सीधा बोलना.
- आत्महत्या का विचार आना.
- बेवजह शक से ग्रसित रहना.
- बेहोशी के दौरे आना.
- अधिक गुस्सा आना, सिर दर्द या भारीपन रहना
- नशे का आदि हो जाना.
- आवश्यकता से अधिक साफ-सफाई या एक ही काम बार-बार करना.
दवा हर मर्ज का इलाज नहीं होता. इस कक्ष में अभी तक सैकड़ों मरीज़ थिरेपी के माध्यम से ठीक हो चुके हैं.
-डॉ राम नारायण, साइकोलॉजिस्ट