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इस क्रांतिवीर ने भगतसिंह और बटुकेश्वर को पहुंचाया था असेम्बली के अंदर, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

प्रदेश में यूं तो हजारों नाम हैं, जिन्होंने देश की स्वाधीनता के लिए शहादत दी, लेकिन कुछ ऐसे नाम हैं जो आज भी हमारी जुबान पर आ ही जाते हैं. ऐसे ही हैं हरदोई के जयदेव कपूर, जिन्होंने भगतसिंह और बटुकेश्वर को पहुंचाया था. देखिए ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट.

शहीद जयदेव कपूर (फाइल फोटो).
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Published : Aug 15, 2019, 5:19 AM IST

हरदोई: यूं तो स्वतंत्रता संग्राम में जिले के कई सपूतों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, लेकिन उस दौर में कुछ क्रांतिकारियों के नाम आज भी हर देशवासी की जुबान पर रहता है. ऐसा ही एक नाम है हरदोई जिले के जयदेव कपूर का. जयदेव ने भारत की स्वाधीनता के लिए एक अहम योगदान दिया था.

देखिए ये खास रिपोर्ट.

अंग्रेजों के दमन का किया डटकर सामना
जयदेव कपूर का जन्म वर्ष 1908 में हरदोई जिले में हुआ था. इन्होंने भी देश की आजादी के लिए अंग्रेजों का डटकर सामना किया, जिसके लिए इन्हें करीब 16 साल काले पानी की सजा भी काटनी पड़ी. साथ ही हर रोज 30 बेतों की यातना भी सही बावजूद इसके अग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके.

असेम्बली में बम फेंकने में की सहायता
आपको बताते चलें कि भगतसिंह से जयदेव कपूर की मुलाकात मुलाकात सन 1929 में हुई थी. तब जयदेव कपूर ने ही भगतसिंह और बटुकेश्वर को असेम्बली में जानें में सहायता की. जिसके बाद दोनों क्रांतिवीरों ने असेम्बली में धमाका किया और तीनों ने गिरफ्तारी भी दी थी. जयदेव ने कई दिनों तक अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए बम बनवाने के काम में भी योगदान दिया.

आजीवन कारावास की सजा
जयदेव ने आजादी की लड़ाई का वह स्वर्णिम दौर देखा था, जो बहुत कम क्रांतिवीर को देखना नसीब हुआ. अंत में ब्रिटिश पुलिस ने जयदेव को पकड़कर सेलुलर जेल में बंद कर दिया, जहां उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 19 सितंबर सन 1994 में इनका देहांत हो गया था. आज भी देश की आजादी के दिनों को याद किया जाता है तो जयदेव कपूर का नाम लोगों की जुबान पर आ ही जाता है.

हरदोई: यूं तो स्वतंत्रता संग्राम में जिले के कई सपूतों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, लेकिन उस दौर में कुछ क्रांतिकारियों के नाम आज भी हर देशवासी की जुबान पर रहता है. ऐसा ही एक नाम है हरदोई जिले के जयदेव कपूर का. जयदेव ने भारत की स्वाधीनता के लिए एक अहम योगदान दिया था.

देखिए ये खास रिपोर्ट.

अंग्रेजों के दमन का किया डटकर सामना
जयदेव कपूर का जन्म वर्ष 1908 में हरदोई जिले में हुआ था. इन्होंने भी देश की आजादी के लिए अंग्रेजों का डटकर सामना किया, जिसके लिए इन्हें करीब 16 साल काले पानी की सजा भी काटनी पड़ी. साथ ही हर रोज 30 बेतों की यातना भी सही बावजूद इसके अग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके.

असेम्बली में बम फेंकने में की सहायता
आपको बताते चलें कि भगतसिंह से जयदेव कपूर की मुलाकात मुलाकात सन 1929 में हुई थी. तब जयदेव कपूर ने ही भगतसिंह और बटुकेश्वर को असेम्बली में जानें में सहायता की. जिसके बाद दोनों क्रांतिवीरों ने असेम्बली में धमाका किया और तीनों ने गिरफ्तारी भी दी थी. जयदेव ने कई दिनों तक अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए बम बनवाने के काम में भी योगदान दिया.

आजीवन कारावास की सजा
जयदेव ने आजादी की लड़ाई का वह स्वर्णिम दौर देखा था, जो बहुत कम क्रांतिवीर को देखना नसीब हुआ. अंत में ब्रिटिश पुलिस ने जयदेव को पकड़कर सेलुलर जेल में बंद कर दिया, जहां उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 19 सितंबर सन 1994 में इनका देहांत हो गया था. आज भी देश की आजादी के दिनों को याद किया जाता है तो जयदेव कपूर का नाम लोगों की जुबान पर आ ही जाता है.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर-----जिले में वैसे तो तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्रांतिकारी मौजूद रहे। लेकिन देश के ऐसे क्रांतिवीर जिनका नाम आज भी देशवासियों की जुबान पर रहता है, उनमें से एक हरदोई के रहने वाले जयदेव कपूर की कहानी भी दिल को छू जाने वाली है। उन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए एक अहम योगदान दिया था। करीब 16 साल काले पानी की सजा इन्होंने काटी थी। जहां इन्हें कई दिनों तक प्रतिदिन 30 बेतों की सज़ा भी दी जाती रही, लेकिन इन्होंने हार न मानी। जयदेव ने ही भगतसिंह और बटुकेश्वर को एसेंबली के अंदर पहुंचने में मदद की थी। जिसके बाद दोनों क्रांतिवीरों ने असेम्बली में बमबारी की थी। इसी के साथ कई दिनों तक जयदेव ने अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए बम बनवाने के काम में भी योगदान दिया। जयदेव ने आजादी की लड़ाई का वह स्वर्णिम दौर देखा था, जो बहुत कम क्रांतिवीर को देखना नसीब हुआ था। अंत में ब्रिटिश पुलिस ने जयदेव को पकड़कर सेलुलर जेल में बंद कर दिया था। जहां उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।


Body:वीओ--1-- हरदोई जिले में वैसे तो तमाम बड़े क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौजूद रहे। लेकिन बात जब जयदेव कपूर के योगदान की आए, तो भारत की स्वाधीनता में जयदेव कपूर का एक अहम किरदार रहा है। जयदेव कपूर का जन्म दिवाली की तिथि को 1908 में हुआ था। जिसके बाद इन्होंने भी देश की आजादी के लिए अंग्रेजों का डटकर सामना किया।वहीं करीब 16 वर्षों तक काले पानी की सज़ा काटी तो प्रतिदिन मिलने वाली 30 बेतों की यचनाएँ भी झेलीं। भगतसिंह से जयदेव कपूर की मुलाकात मुलाकात सन 1929 में हुई थी।तब जयदेव कपूर ने ही भगतसिंह और बटुकेश्वर को असेम्बली में जानें में सहायता की थी।जब दोनों क्रांतिवीरों ने वहां बमबारी की थी।इसके बाद तीनों ने गिरफ्तारी भी दी थी।जयदेव ने भारत की स्वाधीनता के वो स्वर्णिम दिन देखे जो सभी क्रांतिवीरों को देखना नहीं नसीब हुए।अंत मे सन 1946 में इनका हरदोई आना हुआ।जिसके बाद ब्रिटिश पुलिस ने इन्हें पकड़ कर सेलुलर जेल में बंद कर दिया था।जहां इन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।19 सितंबर सन 1994 में इनका देहांत हो गया था।आज भी देश की आज़ादी के दिनों को जब याद किया जाता है तो जयदेव कपूर का नाम लोगों की जुबान पर आ ही जाता है।

वीओ--2--जयदेव कपूर के बेटे कमल कपूर ने उनके उन दिनों के बारे में ईटीवी के साथ खास चीत की जब देश की आज़ादी की लड़ाई में उन्होंने संघर्ष किया था।आइए जानते हैं क्या कहते हैं कमल कपूर और जयदेव का बेटा होने पर उन्हें कैसा महसूस होता है।हालांकि आज कमल कपूर एक आम आदमी की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और एक छोटे से मकान में शहर के मंगली पुरवा इलाके में अपनी पत्नी के साथ निवास करते हैं।

विसुअल विद वॉइस ओवर
वन टू वन विद कमल कपूर


Conclusion:
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