हरदोई: यूं तो स्वतंत्रता संग्राम में जिले के कई सपूतों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, लेकिन उस दौर में कुछ क्रांतिकारियों के नाम आज भी हर देशवासी की जुबान पर रहता है. ऐसा ही एक नाम है हरदोई जिले के जयदेव कपूर का. जयदेव ने भारत की स्वाधीनता के लिए एक अहम योगदान दिया था.
अंग्रेजों के दमन का किया डटकर सामना
जयदेव कपूर का जन्म वर्ष 1908 में हरदोई जिले में हुआ था. इन्होंने भी देश की आजादी के लिए अंग्रेजों का डटकर सामना किया, जिसके लिए इन्हें करीब 16 साल काले पानी की सजा भी काटनी पड़ी. साथ ही हर रोज 30 बेतों की यातना भी सही बावजूद इसके अग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके.
असेम्बली में बम फेंकने में की सहायता
आपको बताते चलें कि भगतसिंह से जयदेव कपूर की मुलाकात मुलाकात सन 1929 में हुई थी. तब जयदेव कपूर ने ही भगतसिंह और बटुकेश्वर को असेम्बली में जानें में सहायता की. जिसके बाद दोनों क्रांतिवीरों ने असेम्बली में धमाका किया और तीनों ने गिरफ्तारी भी दी थी. जयदेव ने कई दिनों तक अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए बम बनवाने के काम में भी योगदान दिया.
आजीवन कारावास की सजा
जयदेव ने आजादी की लड़ाई का वह स्वर्णिम दौर देखा था, जो बहुत कम क्रांतिवीर को देखना नसीब हुआ. अंत में ब्रिटिश पुलिस ने जयदेव को पकड़कर सेलुलर जेल में बंद कर दिया, जहां उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 19 सितंबर सन 1994 में इनका देहांत हो गया था. आज भी देश की आजादी के दिनों को याद किया जाता है तो जयदेव कपूर का नाम लोगों की जुबान पर आ ही जाता है.